पांच बार के सांसद शेरवानी पर फिर कांग्रेसी दांव

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RGA News बदायूं ब्यूरो चीफ

लोकसभा चुनाव का आगाज हो चुका है। का्रंग्रेस ने सलीम शेरवानी पर दांव खेला है।...

बदायूं : लोकसभा चुनाव का आगाज हो चुका है। सपा-बसपा गठबंधन के चलते यहां की सीट दो बार सपा से जीत चुके धर्मेद्र यादव के खाते में गई है। भाजपा ने अब तक कोई पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन अकेले बल पर लड़ रही कांग्रेस ने पांच बार यहां से सांसद रहे सलीम इकबाल शेरवानी पर दांव लगाया है। कांग्रेस प्रदेश महासचिव ओमकार सिंह ने बताया कि पूर्व सांसद सलीम इकबाल शेरवानी का टिकट घोषित हो गया है। शेरवानी ही यहां कांग्रेस का चेहरा होंगे।

सलीम इकबाल शेरवानी की यहां की राजनीति पर पर लंबे समय तक दबदबा रहा है। पिछला चुनाव भी यहां से वह कांग्रेस से लड़ना चाह रहे थे, लेकिन ऐन वक्त पर महानदल से समझौता होने की वजह से यहां की सीट स्वामी पगलानंद के हिस्से में गई और शेरवानी को आंवला जाना पड़ा। नया क्षेत्र होने की वजह से वह वहां ज्यादा कुछ अपना किरदार नहीं निभा पाए। नतीजा यह निकला कि बदायूं सीट से महानदल और कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याश स्वामी पगलानंद को यहां से पांच से छह हजार वोट मिले तो आंवला में नया राजनैतिक कैरियर देखने गए शेरवानी को भी पटखनी देखनी पड़ी। अब लोकल राजनीति शुरू हुई तो फिर से सलीम शेरवानी का नाम कांग्रेस हिट लिस्ट में पहुंच गया। पांच बार सांसद रहे शेरवानी यहां की सियासी गणित बिगाड़ सकते हैं इस बात को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। 1984 में पहली बार सांसद बने थे शेरवानी

- संगम के तट पर बसे प्रयागराज के मूल निवासी और नेहरू परिवार के करीबी माने जाने वाले सलीम इकबाल शेरवानी को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपने बचपने का दोस्ताना निभाते हुए सूफी संतो के शहर बदायूं से उम्मीदवार घोषित किया था। उस वक्त देश में कांग्रेस लहर थी और शेरवानी को यहां की जनता ने सिर माथे पर रखा तो लोकसभा तक पहुंचाया। हालांकि 1989 में देश में बदलाव की लहर चली तो यहां से जनता दल से शरद यादव सांसद चुने गए। इसके बाद वर्ष 1991 में शेरवानी फिर से कांग्रेस से चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन भाजपा लहर के चलते स्वामी चिन्मयानंद यहां से सांसद बने। इसके बाद वर्ष 1996 में शेरवानी ने सपा का दामन थाम लिया और वह यहां से फिर सांसद बने। इसके बाद 1998, 99 व 2004 में भी शेरवानी यहां सांसद रहे। इसके बाद यहां से सैफई परिवार के धर्मेंद्र यादव चुनाव मैदान में आए और 2009 से लेकर 2014 में भी वह सांसद बने।

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