अलीगढ़ में जमीन पर आया 'जमीन का धंधा'!

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नोटबंदी जीएसटी व काले धन पर अंकुश का दौर देख चुका रियल एस्टेट कारोबार अब भी बे-पटरी है। पिछले पांच साल में एक तिहाई से भी कम व्यापार रह गया है। ...

अलीगढ़:- नोटबंदी, जीएसटी व काले धन पर अंकुश का दौर देख चुका रियल एस्टेट  कारोबार अब भी बे-पटरी है। पिछले पांच साल में एक तिहाई से भी कम व्यापार रह गया है। टावरों और फ्लैटों में कोई मकानों को पूछने वाला नहीं हैं। तमाम इमारतों पर निर्माण कार्य बीच में ही रुक गया है। बिल्डिरों की हालात भी लगातार खस्ता होती जा रही हैं।

बिल्डरों की थी भरमार

जानकारों की मानें तो पांच साल पहले शहर में 300 से अधिक बिल्डर थे। इसका कारण था कि उस दौरान लोग बड़े पैमाने पर घर और अपार्टमेंट खरीद रहे थे। अच्छी खासी कमाई भी हो रही थी, लेकिन समय के साथ सबकुछ बदलता चला गया। आज स्थिति यह है कि शहर में महज चंद बिल्डर ही दिखाई दे रहे हैं। कुछ ऐसे हैं, जो महज अपनी लगाई हुई रकम को एकत्रित करने में लगे हुए हैं। कुछ ऐसे हैं जो करोड़ों फंसाने के बाद व्यापार भी नहीं बदल सकते।

35 फीसद रह गया कारोबार

अगर पांच साल के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो काफी बुरी स्थिति है। बिल्डिरों की मानें तो 2014 से पहले एक महीने में 100 अपार्टमेंट बेचते थे। अब यह संख्या 30 से 35 के बीच में ही सिमट कर रह जाती है। प्लॉटों की बिक्री भी आधी से कम रह गई है।

यह है वजह

जानकारों की मानें तो पांच साल पहले प्रॉपर्टी खरीदने में सबसे अधिक प्रयोग काले धन का हो रहा था, लेकिन जब से मोदी सरकार केंद्र में आई है, उन्होंने प्रॉपर्टी खरीदने में नंबर एक पैसे का प्रयोग अनिवार्य कर दिया है। सर्किल रेट के हिसाब से जमीन का भुगतान चेक से ही होगा।

आम आदमी को फायदा भी

कुछ समय पहले हर साल मकानों और जमीनों की कीमतों में 20 से 30 फीसद तक बढ़ोत्तरी हो जाती थी। इससे घर का सपना मुश्किल हो गया था, लेकिन अब मंदी आने से आम आदमी को फायदा हुआ है। 15 फीसद तक कीमत कम हो गई है। जो फ्लैट 2014 में 25 लाख का था, वह 20 लाख का रह गया है।

एडीए से भी हैं दिक्कतें

रियल एस्टेट में मंदी के लिए एडीए भी कम जिम्मेदार नहीं है। यहां से बिल्डरों को नक्शा पास कराना मुश्किल होता है। जानबूझ कर नक्शों को टाला जाता है। हर साल फीस व सर्किल रेट में भी बढ़ोत्तरी हो जाती है।

बीते पांच सालों में एडीए से पास नक्शे

साल- पास नक्शों की संख्या

2013-14, 767

2014-15, 461

2015-16, 348

2016-17,167

2017-18,130

 2018-19, 114

अहम बातें

- पांच साल में एक तिहाई से भी कम रह गया रियल एस्टेट कारोबार

झटका

- काले धन से खरीदारी पर अंकुश लगने से आ रही गिरावट

- एडीए में भी नक्शा पास करने की संख्या में लगातार आ रही कमी

ग्राहक नहीं मिल रहे

कावेरी ग्रुप  के योगेश गुप्ता का कहना है कि रियल एस्टेट में इतनी मंदी कभी नहीं आई। अपार्टमेंटों को खरीदने के लिए ग्राहक नहीं मिल रहे हैं। सरकार को विशेष छूट देनी चाहिए। जादौन बिल्डिर्स के योगेश सिंह का कहना है कि सर्किल रेट और टैक्स से अपार्टमेंट के दाम दोगुने हो जाते हैं। ऐसे में आम आदमी का मकान खरीदना बहुत मुश्किल है।

नक्शा ऑन लाइन पास करने की प्रकिया शुरू

एडीए के अधिशासी अभियंता डीएस भदौरिया का कहना है कि सरकार ने सभी नक्शों को ऑनलाइन पास करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 30 दिन में नक्शा पास करने का नियम है।

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