लोकसभा चुनाव: तारीखों की घोषणा आज, बिहार में सियासी पारा चढ़ना तय

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RGA News बिहार पटना

चुनाव आयोग रविवार की शाम में लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर सकता है। बिहार में भी राजनीतिक दल इसका इंतजार कर रहे हैं। चुनाव मई में कराए जा सकते हैं। ...

पटना:- चुनाव आयोग रविवार की शाम में आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। आयोग इसके साथ चार राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखें भी जारी कर सकता है। चुनाव आयोग की इस घोषणा का बिहार में भी राजनीतिक दल इंतजार कर रहे हैं तो इसे लेकर आम लोगों में भी उत्‍सुकता है। बिहार में लोकसभा की 40 सीटों पर कई बड़े नेताओं की प्रतिष्‍ठा दांव है। राज्‍य का सियासी पारा भी चढ़ना तय माना जा रहा है। 
चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव के लिए मतदान मई में कराने की घोषणा कर सकता है। मई के तीसरे हफ्ते में वोटों की गिनती होगी। पहली वोटिंग 12 अप्रैल को उत्तर पूर्व में हो सकती है। साथ ही आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की भी घोषणा की जा सकती है। तारीखों की घोषणा के बाद अगले सप्ताह पहले और दूसरे चरण के मतदान के लिए चुनाव पर्यवेक्षकों की बैठक होगी। सुरक्षा और लॉजिस्टिक पर आयोग गृह मंत्रलय से बातचीत कर चुका है। 
1999 के बाद पहली बार हुआ ऐसा... 
खास बात यह भी है कि 1999 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि मार्च के शुरुआती आठ दिनों में लोकसभा चुनाव की घोषणा नहीं की गई है। इसके पहले 2004, 2009 और 2014 में 29 फरवरी से 5 मार्च के बीच चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया था। साल 1999 में लोकसभा चुनाव की घोषणा 4 मई को की गई थी। 
मोदी के खिलाफ राहुल कांग्रेस के पीएम प्रत्‍याशी 
आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी दोनों गठबंघनों (राजग व संप्रग) के बड़े चेहरे हैं। राहुल गांधी कांग्रेस के प्रधानमंत्री प्रत्याशी हैं। भाजपा ने 2013 में नरेंद्र माेदी को प्रधानमंत्री प्रत्‍याशी का उम्मीदवार घोषित किया था। इस बार भी वही सत्‍ताधारी राजग के प्रधानमंत्री प्रत्‍याशी हैं। 
अब गरमाएगी बिहार की सियासत
चुनाव की घोषणा के बाद बिहार में सियासी पारा चझ़ना तय है। अभी तक राजग या महागठबंधन के किसी भी दल ने उम्‍मीदवारों की घोषणा नहीं की है। राजग में सीटों का बंटवारा होने के बाद सीटों का पार्टियों का अलॉटमेंट नहीं हो सका है। महागठबंधन में तो सीट शेयरिंग तक में पेंच फंसा हुआ है। चुनाव की घोषणा के बाद अब विभिन्‍न दल अपने-अपने गठबंधनों में सीटों को लेकर दबाव बढ़ाएंगे। महागठबंधन में जीतनराम मांझर तथा उपेंद्र कुशवाहा का दबाव बढ़ना तय है। 
दांव पर कई बड़े नेताओं की किस्‍मत, दलबदल भी तय 
बिहार की बात करें तो आगामी लोकसभा चुनाव में राजग व महागठबंधन के कई बड़े नेताओं की किस्‍मत लिखेगी। टिकट नहीं मिलने पर दल-बदल भी तय हैं। कई सीटों को लेकर गठबंधन के घटक दलों के बीच ही पेंच फंसता दिख रहा है। उदाहरण के रूप में देखें तो दरभंगा सीट पर कांग्रेस कीर्ति आजाद को टिकट देना चरहती है, लेकिन इसपर राजद के फातमी की भी नजर है। 
सत्‍ता पक्ष में अश्विनी चौबे, गिरिराज सिंह, राककृपाल यादव, रामविलास पासवान, चिराग पासवान, केसी त्‍यागी आदि दर्जनों नेताओं की प्रतिष्‍ठा इस चुनाव में फंसी हुई है। विपक्षी में जयप्रकाश यादव, उपेंद्र कुशवाहा, शरद यादव, कन्‍हैया, पप्‍पू यादव, कीर्ति आजाद आदि के नाम गिनाए जा सकते हैं। 
विपक्ष की राजनीति के धुरी बने लालू 
चारा घोटाला में सजा पाए राजद सु्प्रीमो लालू प्रसाद यादव भले ही चुनाव नहीं लड़ें, लेकिन बिहार में विपक्ष की पूरी राजनीति उनके आसपास ही घूूमती रहेगी, यह तय है। राजद के सभी बड़े फैसले वहीं लेंगे। सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत पर सोमवार को सुनवाई है। अगर उन्‍हें जमानत मिल गई तो इसका लाभ राजद को मिलना भी तय है। 
चुनाव में ये मुद्दे रहेंगे अहम 
जहां तक मुद्दों की बात है, विकास, भ्रष्‍टाचार, राफेल, गरीबी, बेरोजगारी व आरक्षण के मुद्दे तो चर्चामें हैं ही, लेकिन जम्‍मू-कश्‍मीर में आतंकी हमले व पाकिस्‍तान में भारत की सर्जिकल स्‍ट्राइक के बाद राष्ट्रवाद भी बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। भाजपा की बात करें तो राम मंदिर का मुद्दा भी अहम है।

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