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अपने केला के खेत में काम करते पद्मश्री रामसरन वर्मा अपने केला के खेत में काम करते पद्मश्री रामसरन वर्मा अपने केला के खेत में काम करते पद्मश्री रामसरन वर्मा...
बाराबंकी: कर्म ही पूजा के सिद्धांत को अपनाकर खेती करने वाले रामसरन वर्मा पद्मश्री सम्मान पाने के 12 घंटे के अंदर ही अपने खेतों में बने आवास पर आ गए। यही नहीं मंगलवार की सुबह छह बजे से ही वह अपने खेतों में पौधों में आलू-टमाटर की फसल के बीच काम करते दिखाई दिए। टमाटर की नर्सरी की रोपाई भी इस समय हो रही है। वहीं केला की फसल में भी जोताई-गोड़ाई का काम चल रहा है।
हरख ब्लॉक के दौलतपुर गांव में खेतों में रामसरन का अपना घर बना है। आसपास करीब 100 बीघे से ज्यादा भूमि में केला की खेती लगी है। यहां से निकलकर वह सफदरगंज, बदोसराय के किनारे औलिया लालपुर पहुंचे जहां पर केला की तीन सौ बीघे फसल उन्होंने सहकारिता आधारित तरीके से लगा रखी है। यहां काम कर रहे श्रमिकों को सिचाई व गुड़ाई, निराई से संबंधित मार्गदर्शन देने के बाद कुर्सी क्षेत्र में महमूदाबाद रोड के किनारे स्थित करीब 100 बीघे के कृषि फार्म पर पहुंचे जहां केला की फसल लगी है। खेत में उन्होंने पौधों के खाद, पानी के बारे में अपने सहयोगियों से चर्चा की। रामसरन ने बताया कि इस समय खेती का काम चल रहा है। ऐसे में पुरस्कार मिलने के बाद वह दिल्ली से रविवार को दोपहर बाद चल पड़े थे। उन्होंने कहा कि खेती मजदूरों के सहारे नहीं की जा सकती। जब तक मजदूर को पूरी बात करके नहीं समझाई नहीं जाएगी तब तक कार्य बेहतर नहीं होगा। इसलिए जो भी कार्य होता है उसे पहले करके बताता हूं। तब परिणाम अच्छे होते हैं। उन्होंने कहा कि खेतों में ही घूमना और पौधों से बात करना हमें अच्छा लगता है। खेती में समय की पाबंदी बहुत ही अनिवार्य है। इसलिए दिल्ली घूमने के बजाए परिवार सहित घर वापस आया। किसानों को संदेश देते हुए पद्मश्री ने कहा कि हर फसल को निर्धारित समय पर बोएं। बीज अच्छा बोएं। फसल को स्वयं देखें। तभी खेती लाभकारी होगी।