धीमा जहर देकर बंदरों की ली जा रही जान

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अमरोहा समाचार 

पिछले दस दिनों से ढबारसी में बंदरों के मरने का सिलसिला जारी हैं। अब तक सौ से ज्यादा बंदरों की मौत हो चुकी हैं। पहले तो बंदरों की मौत बीमारी से होना माना जा रहा था, लेकिन भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान बरेली (आईवीआरआई) से आई रिपोर्ट में बंदरों की मौत की पुष्टि स्लो प्वाइजन (धीमा जहर) से हुई है। धीमा जहर देने से ही बंदर तड़प तड़पकर मरे। 

ढबारसी में बंदरों की मौत के मामले में शुक्रवार को भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान बरेली ने विसरा जांच रिपोर्ट अमरोहा के मुख्य पशुु चिकित्साधिकारी को प्रेषित कर दी। मंगलवार को पशु चिकित्सकों की टीम ने एक बंदर का पोस्टमार्टम किया था। जिसमें यहां के डाक्टरों ने खूनी पेचिस बंदरों की मौत की वजह बताई थी। वहीं बंदर के लीवर और फेफड़े खराब मिले थे। इसके अलावा पेट भी खाली था। इसके बाद भी यहां के डाक्टर बंदरों की मौत के अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए थे। बुधवार को बंदर का विसरा आईवीआरआई बरेली जांच के लिए भेजा गया। बरेली के वैज्ञानिकों ने मिशन मोड पर काम करते हुए शुक्रवार को रिपोर्ट तैयार कर दी। आईवीआरआई के सूत्रों की मानें तो बंदरों को धीमा जहर दिया गया था, जिससे उनकी मौत तड़पकर हुई। अब सवाल यह उठता है कि आखिर किसने और क्यों जहर दिया? फिलहाल जिला प्रशासन ढबारसी में नजर रखे हुए है। डीएम और एसपी ने गांव पहुंचकर मौका मुआयना किया। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि बताया कि आईवीआरआई से विसरा रिपोर्ट आ गई है। जिसका अब अवलोकन किया जाएगा।

आईवीआरआई ने विसरा परीक्षण के बाद उसकी रिपोर्ट मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के मेल पर भेजी गई। इसके बावजूद मुख्य पशु चिकित्साधिकारी अभी रिपोर्ट देखने की बात कह रहे हैं। ढबारसी में बंदरों का इलाज जारी है। प्रशासन अभी इस मुद्दे पर कुछ भी खुलकर नहीं बोल रहा है। 

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