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Lok Sabha Election 2019. हजारीबाग के विष्णुगढ़ के सैकड़ों नौजवान मोटी कमाई की चाहत लिए हर वर्ष खाड़ी देशों में पलायन कर रहे हैं। ...
हजारीबाग । कई ऐतिहासिक प्रमाण पत्रों को अपने में समेटे हजारीबाग लोकसभा का महत्वपूर्ण क्षेत्र विष्णुगढ़ के लिए पलायन, विदेशों में नौकरी की सब्ज बाग, ठगी और बदले में मौत यहां की नियति बन गई है। रोजगार का अभाव और खाड़ी देशों में कम समय में मोटी कमाई लोगों को असमय हीं मौत के कगार पर ले जा रही है। कई गंभीर बीमारियों के अलावा यहां के लोगों को खाड़ी देशों में पैसे तो नही मिल रही लेकिन परिवार को तबाह जरूर कर दे रहा है।
पिछले दो सालों में अकेले खाड़ी देशों में हुए विभिन्न दुर्घटना और कारणों में मरने वालों की संख्या दो दर्जन से अधिक रही है। वहीं करीब दो सौ लोगों को भारत सरकार ने बंधक के रुप में छुड़ाया है। पलायन, बेरोगारी, ठगी नहीं बनती जन प्रतिनिधियों के लिए आवाज विष्णुगढ़ क्षेत्र में खाड़ी देश में जाने वाले लोग सबकुछ जानकार भी जाने को विवश है। सबसे अधिक पासपोर्ट से लेकर वीजा भी यहां ही निर्गत हुआ है।
पिछले एक दशक में खाड़ी देश जाने वाले लोगों में यहां चार गुना संख्या बढ़ी है। जानकारी के मुताबिक करीब पांच सौ लोग खाड़ी देश में काम कर रहे है। इन सबकुछ जानकारियों के बावजूद क्षेत्र की समस्या, पलायन, बेरोजगारी, ठगी और मौत कभी भी किसी भी जन प्रतिनिधि का आवाज नहीं बना। यहां से झामुमों को विधानसभा और भाजपा को लोकसभा में वोट मिलता रहा है।
2015 में 13 मार्च को हुई थी पहली मौत, 14 माह बाद हुई शव की वतन वापसी
बाहर जाने वाले लोगों की हालत खाड़ी देश में और उसके अपने देश में परिजनों की हालत क्या हो सकती है, इसका उदाहरण हम इन बातों से जान सकते है। जहां 13 मार्च 2015 को सउदी अरब के रियाद में मौत के शिकार विष्णुगढ़ के टंडवा के मो0 अफसर का शव की घर वापसी 14 महीने बाद 12 मई 16 को हुई। जानकारों के मुताबिक अफसर को कमाई की रकम मांगने के एवज में मालिक ने पिटाई की जिससे उसकी मौत हो गई।
इसी तरह विष्णुगढ़ के किर्तोडीह के सूजान अंसारी की मौत 18 अप्रैल 2017 को सउदी अरब में हो गई थी। विष्णुगढ़ के सिरैय के सुरेश महतो की मौत 10 दिसंबर 2018 को को कुवैत में, सउदी अरब में 5 फरवरी को करगालो के श्यामलाल की हो गइ शव की घर वापसी 26 दिनों के बाद 3 मार्च को हुई।
हर दिन ठगे जा रहे लोग
विदेश जाने के नाम पर हर दिन यहां के लोग ठगे जा रहे है। ये लोग जमीन जायदाद और कर्ज लेकर दलालों को पासपोर्ट और वीजा के लिए पैसे उपलब्ध कराते है। लेकिन इसके उलट उन्हें उसकी भारी कीमत भी अदा करनी पड़ती है। नौकरी के नाम पर खाड़ी देश ले जाने की मामले में यहां ठगे जाने वाले लोगों की लंबी फेहरिस्त है।