करतारपुर खुलने के बाद अब शारदा पीठ के खुलने की भी उम्मीद, पाकिस्तान ने दिए संकेत

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पाकिस्तानी मीडिया से ये खबरें भी आ रहीं हैं कि अब पाकिस्तान शारदा पीठ कॉरीडोर को खोलने के लिए भी हरी झंडी दिखा रहा है।...

नई दिल्ली:-करतार पुर कॉरीडोर के खुलने के बाद अब शारदा पीठ कॉरीडोर खुलने की उम्मीदें रफ्तार पकड़ रही हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव जग जाहिर है लेकिन करतारपुर कॉरिडोर खोलकर दोनों देशों ने एक एतिहासिक निर्णय लिया था, अब इसी तर्ज पर अब पाकिस्तानी मीडिया से ये खबरें भी आ रहीं हैं कि अब पाकिस्तान शारदा पीठ कॉरीडोर को खोलने के लिए भी हरी झंडी दिखा रहा है। वहीं जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी शारदा पीठ कॉरीडोर को लेकर कहा है कि इसके खुलने से दोनों देशों के बीच तनाव में कमी आएगी। 

क्या है शारदा पीठ कॉरीडोर
पीओके के शारदा नामक गांव में स्थित है शारदा पीठ। यह एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है, कश्मीरी पंडित शारदा पीठ को एक महत्तवपूर्ण धार्मिक स्थल मानते हैं। उनका मानना है कि यहां भगवान शिव का निवास है यह एलओसी के निकट स्थित है। यह पीओके के शारदा गांव के नीलम घाटी में स्थित है। भारत-पाक बंटवारे के बाद यह मंदिर सीमा के उस पार पाकिस्तान क्षेत्र में चला गया जिससे भारतीय तीर्थयात्री इस मंदिर से दूर होते गए, आजादी से पहले भारतीय तीर्थयात्री इस मंदिर में दर्शन के लिए लगातार जाते थे।

दिसंबर में महबूबा मुफ्ती ने पीएम मोदी को लिखा था पत्र
कश्मीरी पंडितों के लिए शारदा पीठ कॉरीडोर को खोलने की मांग दिसंबर में भी हुई थी तेज तब महबूबा मुफ्ती ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर इसे खोले जाने की मांग की थी। दिसंबर 2018 में भी भारत-पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरीडोर के निर्माण का रास्ता खुल जाने के बाद जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने शारदा कॉरीडोर का मुद्दा उठाया था। इस संबंध में महबूबा मुफ्ती ने पीएम मोदी को चिट्ठी भी लिखी थी, जिसमें उन्होंने कश्मीरी पंडितों के लिए इसे खोले जाने की मांग की थी। वो चाहती थीं कि भारत करतार पुर कॉरीडोर के बाद शारदा कॉरीडोर को खोले जाने को लेकर पाकिस्तानी पीएम इमरान खान से बात करे।

उन्होंने उस समय मीडिया को यह भी बताया था कि शारदा पीठ के मुद्दे को लेकर उन्होंने कश्मीरी पंडितों से मुलाकात भी की थी। अगर शारदा कॉरिडोर पर भारत-पाकिस्तान में बात बन जाती है तो यह भी करतारपुर कॉरीडोर की तरह से एक ऐतिहासिक कदम होगा। इससे दोनों देश एक बार फिर से एक-दूसरे के करीब आ जाएंगे।

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