श्रीदेवी, देव आनंद समेत इन 7 बॉलीवुड हस्तियों की मौत इंडिया से बाहर हुई

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आनंद:-फ़िल्म का एक संवाद है कि हम सब रंगमंच की कठपुतलियां हैं जिसकी डोर ऊपर वाले के हाथों में है...हम में से कब कौन और कैसे उठेगा ये कोई नहीं बता सकता! ...

मुंबई 'आनंद' फ़िल्म का एक संवाद है कि 'हम सब रंगमंच की कठपुतलियां हैं जिसकी डोर ऊपर वाले के हाथों में है...हम में से कब, कौन और कैसे उठेगा, ये कोई नहीं बता सकता!' सच..यही तो फ़लसफ़ा है ज़िंदगी का! आज हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे स्टार्स के नाम जिनकी मौत इंडिया से बाहर यानी विदेश में हुई है। इस कड़ी में Sri Devi श्रीदेवी, Dev Anand देव आनंद समेत कई नाम हैं!

25 मार्च को अभिनेता फ़ारूख़ शेख की याद आयी। क्योंकि इस दिन उनका जन्मदिन होता है। फ़ारूख़ शेख की पहली बड़ी हिंदी फ़िल्म 'गरम हवा' थी जो 1973 में आई थी। फिर उसके बाद महान फ़िल्मकार सत्यजित रे के साथ 'शतरंज के खिलाड़ी' की। शुरुआती सफलता मिलने के बाद फ़ारूख़ शेख को आगे भी फ़िल्में मिलने लगीं जिसमें 1979 में आई 'नूरी', 1981 की 'चश्मे बद्दूर' जैसी फ़िल्में शामिल हैं। दीप्ति नवल और फ़ारूख़ शेख की जोड़ी सत्तर के दशक की सबसे हिट जोड़ी रही। बता दें कि फ़ारूख़ शेख का निधन इंडिया के बाहर हुआ था।

27 दिसंबर 2013 ही वह मनहूस तारीख है जिस दिन फ़ारूख़ शेख के दिवंगत हो जाने की ख़बर दुबई, संयुक्त अरब अमीरात से आई थी। 65 वर्षीय अभिनेता वहां एक कंसर्ट में भाग लेने के लिए गए थे, जहां दिल का दौरा पड़ जाने से उनकी मौत हो गयी। फ़ारूख़ शेख का पार्थिव शरीर निधन के अगले दिन ही इंडिया आ सका था, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया।

हाल ही में दिग्गज अभिनेता कादर ख़ान के निधन की ख़बर आयी थी। 81 साल के ख़ान अपने बेटे सरफ़राज़ के साथ कनाडा में रह रहे थे। वहीं से 31 दिसंबर को उनके निधन की ख़बर आयी थी! उनका अंतिम संस्कार वहीं कनाडा में ही हुआ

इस कड़ी में एक नाम हास्य अभिनेता और डायरेक्टर रहे महमूद का भी है। महमूद ने अपनी कॉमेडी से ऐसी धाक जमायी कि एक वक़्त में बड़े-बड़े एक्टर्स उनके साथ स्क्रीन स्पेस शेयर करने से डरने लगे। साठ के दशक में महमूद ने हिंदी सिनेमा में कॉमेडी को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया था। 71 साल की उम्र में महमूद अमेरिका के डनमोर, पेन्सिलवेनिया शहर में नींद में ही चल बसे थे। निधन से पहले वो लंबे समय से दिल की बीमारी से पीड़ित थे और उनकी सेहत ख़राब रहती थी। महमूद साहब का अंतिम संस्कार मुंबई में हुआ था।

अब बात देव आनंद की। देव साहब के जितने भी करीबी हैं उनके मुताबिक देव साहब हमेशा से यही चाहते थे कि उनकी मौत इंडिया से बाहर हो। इसके पीछे देव साहब का अपना एक तर्क यह था कि वो नहीं चाहते थे कि कोई उनकी डेड बॉडी देखे। उनकी इस सोच के पीछे का भाव यह था कि वो हमेशा अपने देश के लोगों के बीच उसी रूप में याद किये जाए जिस ज़िंदादिली से वो हमेशा नज़र आते रहे हैं! 3 दिसंबर 2011 की रात देव साहब की मौत लंदन में हार्ट अटैक की वजह से हुई थी। वह 88 वर्ष के थे। जब उन्होंने अंतिम सांस ली तब उनके पुत्र सुनील उनके पास थे। देव साहब का अंतिम संस्कार वहीं कर दिया गया था।

अपनी गायकी से दुनिया भर में पहचान बनाने वाले मुकेश आज भी अपने गाये गीतों से हमारे रूह में बसते हैं। क्या आप जानते हैं जब मुकेश का निधन हुआ तब वो अमेरीका के डेट्रॉयट शहर में थे। मुकेश वहां एक स्टेज प्रोग्राम में भाग लेने गए थे। वहीं कार्यक्रम के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया। यह पहला मौका था जब किसी बॉलीवुड से जुड़े किसी हस्ती की मौत देश से बाहर हुई थी। 27 अगस्त 1976 को महज 53 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गयी थी।

आपको याद होगा पिछले साल के शुरुआत में ही जब दिग्गज अभिनेत्री श्रीदेवी के निधन की ख़बर आई थी तो बॉलीवुड ही नहीं देश भर में लोग श्रीदेवी के आकस्मिक निधन से हैरान थे! हर कोई यही कह रहा है कि 54 साल की उम्र भी कोई उम्र होती है इस दुनिया को अलविदा कहने की। आप जानते हैं कि श्रीदेवी ने जब आखिरी सांसें लीं तो वो देश में नहीं थीं। बल्कि, वो दुबई में थीं जहां वो अपने भांजे मोहित मारवाह की शादी में भाग लेने गयी थीं। श्रीदेवी के निधन के दो दिनों के बाद उनका पार्थिव शरीर बड़ी ही मुश्किलों के बाद इंडिया लाया जा सका था।

‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘राम तेरी गंगा मैली’, ‘हीना’ के लिए फ़िल्मफेयर से पुरस्कार तक जीत चुके सईद ज़ाफरी का अपना एक अलग मुकाम रहा है। दिल्ली से लेकर लंदन और न्यूयॉर्क से लेकर मुंबई तक सईद रेडियो, थियेटर और सिनेमा से जुड़े रहे। वो एक सम्पूर्ण अभिनेता थे। सईद ज़ाफरी अपने लंदन स्थित घर में ब्रेन हेमरेज से गिरे और फिर कभी होश में नहीं आए। 15 नवम्बर 2015 को लंदन में उनका निधन हो गया।

यह थे उन अभिनेताओं और फ़िल्मी हस्तियों के नाम जिनका निधन इंडिया से बाहर हुआ! यह कहना भी गलत नहीं होगा कि आज ये सब हमारे बीच मौजूद नहीं हैं लेकिन अपने कामों से, अपने निभाए गए किरदारों से, अपनी फ़िल्मों से पीढ़ियों तक मौजूद रहेंगे और इनके चाहने वाले हर दौर में जन्म लेते रहेंगे!

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