भारत बंद: इलाज नहीं पहुंचा, बेबसी में दम तोड़ गईं 4 जिंदगानियां, गर्भ में भी गई जान

  • 2अप्रैल को आयोजित हुए भारत बंद में व्यापक पैमाने पर हिंसा देखने को मिली।
  • देश के अलग-अलग सूबों में 12 लोगों की मौत हुई जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए।
  • 2000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया, सबसे अधिक मौतें (6) एमपी में।
  • 4 मौतें ऐसी भी हुईं हैं जिन्हें समय पर इलाज मिलता तो सांसें आज भी चल रही होतीं।

नई दिल्ली 
एससी-एसटी ऐक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 2 अप्रैल को आयोजित हुए भारत बंद में व्यापक पैमाने पर हिंसा देखने को मिली। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश के अलग-अलग सूबों में 12 लोगों की मौत हुई, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। इनके अलावा 4 मौतें ऐसी भी हुई हैं, जिन्हें अगर समय पर इलाज मिल जाता तो शायद उनकी सांसें आज भी चल रही होतीं। इनमें से एक तो अजन्मा बच्चा था जिसने इलाज के अभाव में गर्भ में ही दम तोड़ दिया। आइए आपको बताते हैं बंद की भेंट चढ़ी ऐसी ही कुछ जिंदगियों के बारे में....

  • बिजनौर: बीमार पिता को कंधे पर लेकर दौड़ा पर बचा नहीं पाया 
    भारत बंद के दौरान बिजनौर से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो आपको अंदर तक हिला देगी। इस तस्वीर में एक शख्स अपने बीमार बुजुर्ग पिता को कंधे पर लेकर दौड़ता दिख रहा है। यह तस्वीर बिजनौर के बारुकी गांव के 68 वर्षीय लोक्का सिंह और उनके बेटे रघुवर सिंह की है। लोक्का सिंह पेट दर्द था और उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी। बेटा ऐंबुलेंस पर बीमार पिता को लेकर जा रहा था लेकिन भारत बंद में फंस गया। असहाय स्थिति में वह अस्पताल तक पहुंचने के लिए अपने पिता को कंधे पर लेकर दौड़ा। वह अस्पताल पहुंचने में कामयाब भी हुआ लेकिन तबतक देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने पिता को मृत घोषित कर दिया। पिता को कंधे पर लेकर भागा बेटा पर बचा नहीं पाया जान।
  • रघुवर ने कहा, 'मैंने उनसे विनती की कि मुझे जाने दें। मैंने एक हद तक जोर लगाकर उनसे पुकार लगाई, लेकिन किसी ने मेरी चीख नहीं सुनी। कोई वहां से नहीं हिला। मैं ऐंबुलेंस के अंदर अपने पिता को मरते हुए देख सकता था। मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। मैं किसी भी हालत में उन्हें बचाना चाहता था, इसलिए मैंने उन्हें कंधे में उठाया और दौड़ना शुरू किया।' 
  • वै शाली: बंद में फंसी ऐंबुलेंस, नवजात की सांसें थमीं 
    भारत बंद की दूसरी दर्दनाक खबर बिहार से आई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वैशाली में हाजीपुर-महनार मार्ग पर बंद समर्थकों ने जाम लगा दिया। इसमें एक ऐंबुलेंस भी फंस गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस ऐंबुलेंस में मोहम्मद कदील नाम के शख्स अपनी बेटी के नवजात शिशु को लेकर अस्पताल जा रहे थे। जन्म के बाद से ही शिशु की तबीयत खराब थी लेकिन घरवाले उसे अस्पताल नहीं ले जा सके। ऐंबुलेंस में ही नवजात की सांसें थम गईं। 
  • भारत बंद के दौरान खूब हुई हिंसा।

    हाइलाइट्स

  • 2 अप्रैल को आयोजित हुए भारत बंद में व्यापक पैमाने पर हिंसा देखने को मिली।
  • देश के अलग-अलग सूबों में 12 लोगों की मौत हुई जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए।
  • 2000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया, सबसे अधिक मौतें (6) एमपी में।
  • 4 मौतें ऐसी भी हुईं हैं जिन्हें समय पर इलाज मिलता तो सांसें आज भी चल रही होतीं।
  • नई दिल्ली 
    एससी-एसटी ऐक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 2 अप्रैल को आयोजित हुए भारत बंद में व्यापक पैमाने पर हिंसा देखने को मिली। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश के अलग-अलग सूबों में 12 लोगों की मौत हुई, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। इनके अलावा 4 मौतें ऐसी भी हुई हैं, जिन्हें अगर समय पर इलाज मिल जाता तो शायद उनकी सांसें आज भी चल रही होतीं। इनमें से एक तो अजन्मा बच्चा था जिसने इलाज के अभाव में गर्भ में ही दम तोड़ दिया। आइए आपको बताते हैं बंद की भेंट चढ़ी ऐसी ही कुछ जिंदगियों के बारे में....
  • बिजनौर: बीमार पिता को कंधे पर लेकर दौड़ा पर बचा नहीं पाया 
  • भारत बंद के दौरान बिजनौर से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो आपको अंदर तक हिला देगी। इस तस्वीर में एक शख्स अपने बीमार बुजुर्ग पिता को कंधे पर लेकर दौड़ता दिख रहा है। यह तस्वीर बिजनौर के बारुकी गांव के 68 वर्षीय लोक्का सिंह और उनके बेटे रघुवर सिंह की है। लोक्का सिंह पेट दर्द था और उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी। बेटा ऐंबुलेंस पर बीमार पिता को लेकर जा रहा था लेकिन भारत बंद में फंस गया। असहाय स्थिति में वह अस्पताल तक पहुंचने के लिए अपने पिता को कंधे पर लेकर दौड़ा। वह अस्पताल पहुंचने में कामयाब भी हुआ लेकिन तबतक देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने पिता को मृत घोषित कर दिया। 
    पिता को कंधे पर लेकर भागा बेटा पर बचा नहीं पाया जान।

    रघुवर ने कहा, 'मैंने उनसे विनती की कि मुझे जाने दें। मैंने एक हद तक जोर लगाकर उनसे पुकार लगाई, लेकिन किसी ने मेरी चीख नहीं सुनी। कोई वहां से नहीं हिला। मैं ऐंबुलेंस के अंदर अपने पिता को मरते हुए देख सकता था। मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। मैं किसी भी हालत में उन्हें बचाना चाहता था, इसलिए मैंने उन्हें कंधे में उठाया और दौड़ना शुरू किया।' 

    जाम में जगह-जगह ऐंबुलेंस भी फंसीं।

    वै शाली: बंद में फंसी ऐंबुलेंस, नवजात की सांसें थमीं 
    भारत बंद की दूसरी दर्दनाक खबर बिहार से आई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वैशाली में हाजीपुर-महनार मार्ग पर बंद समर्थकों ने जाम लगा दिया। इसमें एक ऐंबुलेंस भी फंस गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस ऐंबुलेंस में मोहम्मद कदील नाम के शख्स अपनी बेटी के नवजात शिशु को लेकर अस्पताल जा रहे थे। जन्म के बाद से ही शिशु की तबीयत खराब थी लेकिन घरवाले उसे अस्पताल नहीं ले जा सके। ऐंबुलेंस में ही नवजात की सांसें थम गईं। 

    प्रदर्शनकारियों ने जगह-जगह ट्रेनें भी रोकीं।

    बक्सर: इलाज के लिए जा रही महिला ने ट्रेन में दम तोड़ा 
    भारत बंद के दौरान तीसरी दर्दनाक खबर भी बिहार से ही आई है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक एक महिला इलाज के लिए बक्सर से दिल्ली जा रही थी। महिला की ट्रेन स्टेशन पर ही फंस गई और उनकी मौत हो गई। 

    रुड़की: गर्भस्थ शिशु की जान गई 
    भारत बंद का असर उत्तराखंड में भी व्यापक रहा। यहां रुड़की में बंद की वजह से एक प्रेगनेंट महिला को समय से अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका। इस वजह से गर्भ में ही शिशु की मौत हो गई। महिला को डिलिवरी के लिए एक प्राइवेट गाड़ी से अस्पताल ले जाया जा रहा था। यह गाड़ी भारत बंद के जाम में फंस गई और इलाज मिलने में देर हो गई। 

    सोमवार को दलित संगठनों का भारत बंद कई जगहों पर उग्र हो गया। दिल्ली-एनसीआर से लेकर राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, यूपी और गुजरात तक से हिंसक झड़पों और गाड़ियों को फूंकने की खबरें दिन भर मिलती रहीं। 10 राज्यों में हुई इस हिंसा के चलते कानून-व्यवस्था तमाम जगहों पर ठप नजर आई। 

    प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसा में 12 लोगों की मौत हो गई। इस दौरान कुल 2000 लोगों को हिरासत में लिया गया। सबसे ज्यादा 6 मौतें मध्य प्रदेश में हुई हैं। 4 लोगों की मौत वेस्ट यूपी के मेरठ और मुजफ्फरनगर में हो गई। बिहार के वैशाली में ऐंबुलेंस के फंसने से एक नवजात की मौत हो गई। एक व्यक्ति के राजस्थान में मरने की खबर है। 

     

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.