मीना कुमारी को अनाथालय की सीढ़ियों पर छोड़ आये थे पिता, एक दिन बनीं सुपरस्टार

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हाल ही में फ़िल्मफेयर अवॉर्ड 64th Filmfare Awards की धूम रही। अभिनेत्रियों में इस बार यह अवॉर्ड आलिया भट्ट (राज़ी) Alia Bhatt को मिला।...

मुंबई। 31 मार्च को अपने दौर की मशहूर अभिनेत्री मीना कुमारी Meena Kumari की पुण्यतिथि है। (Meena Kumari Death anniversary) लोग उन्हें ट्रेजडी क्वीन से लेकर सिंड्रेला तक के नाम से जानते हैं! साहिब बीवी और गुलाम, पाकीज़ा, मेरे अपने, बैजू बावरा, दिल अपना और प्रीत परायी जैसी फ़िल्मों के लिए वो आज भी याद की जाती हैं। बता दें कि 1 अगस्‍त, 1932 को जन्मीं मीना कुमारी का असल नाम महज़बीन था। जब उनका जन्म हुआ तब पिता अली बख्‍श और मां इकबाल बेगम (मूल नाम प्रभावती) के पास डॉक्‍टर को देने के पैसे नहीं थे। दोनों ने तय किया कि बच्‍ची को किसी यतीमखाने के बाहर छोड़ दिया जाए और छोड़ भी दिया गया। लेकिन, पिता का मन नहीं माना और वो पलट कर भागे और बच्‍ची को गोद में उठा कर वापस घर ले आए।

महज़बीन (मीना कुमारी) ने कम उम्र में ही घर का सारा बोझ अपने कंधों पर उठा लिया था। सात साल की उम्र से ही वो फ़िल्मों में काम करने लगीं। वो बेबी मीना के नाम से पहली बार फ़िल्म ‘फरज़द-ए-हिंद’ में दिखीं। इसके बाद लाल हवेली, अन्‍नपूर्णा, सनम, तमाशा आदि कई फ़िल्में कीं। लेकिन उन्‍हें स्‍टार बनाया 1952 में आई फ़िल्म ‘बैजू बावरा’ ने। इस फ़िल्म के बाद वह लगातार सफलता की सीढियां चढ़ती गईं। ‘बैजू बावरा’ ने मीना कुमारी को बेस्‍ट एक्‍ट्रेस का फ़िल्मफेयर अवॉर्ड दिलवाया। वह यह अवॉर्ड पाने वाली पहली अभिनेत्री थीं।

उनकी अदाकारी को आप इस तरह भी समझ सकते हैं कि 1963 के दसवें फ़िल्मफेयर अवॉर्ड में बेस्‍ट एक्‍ट्रेस कैटेगरी में तीन फ़िल्में (मैं चुप रहूंगी, आरती और साहिब बीवी और गुलाम) नॉमिनट हुई थीं और तीनों में मीना कुमारी ही थीं। अवॉर्ड साहिब बीवी और गुलाम में ‘छोटी बहू’ के रोल के लिए मिला था। मीना कुमारी ने करियर में जो बुलंदियां हासिल की, निजी ज़िंदगी में उतनी ही मुश्किलें झेलीं। जन्‍म से लेकर अंतिम घड़ी तक उन्‍होंने दुख ही दुख झेला।

मीना कुमारी और कमाल अमरोही की शादी के किस्से भी बड़े दिलचस्प हैं। लेकिन, उनके रिश्ते कभी मधुर नहीं रहे। कमाल अमरोही जब ‘पाकीज़ा’ बना रहे थे, तब वो बुरी तरह आर्थिक संकट में फंस गए थे। मीना ने अपनी सारी कमाई देकर पति की मदद की। इसके बावजूद इस फ़िल्म के दौरान दोनों के संबंध लगातार खराब हो गए। नौबत तलाक तक पहुंच गई। मीना कुमारी की तबीयत भी खराब रहने लगी थी। पैसे भी नहीं थे। मीना कुमारी इतनी बीमार हो गईं कि उनका इलाज कर रहे डॉक्‍टर ने सलाह दी कि नींद लाने के लिए एक पेग ब्रांडी लिया करें। डॉक्‍टर की यही सलाह उन पर भारी पड़ गयी और मीना कुमारी को शराब की लत लग गई।

‘पाकीज़ा’ कमाल अमरोही की महत्‍वाकांक्षी फ़िल्म थी, लेकिन वो इसे आगे नहीं बढ़ा पा रहे थे। सुनील दत्‍त और नर्गिस के कहने पर वर्षों बाद इसकी शूटिंग शुरू हुई। मीना कुमारी तलाक के बाद भी कमाल अमरोही के इस फ़िल्म का हिस्सा बनी रहीं। 14 साल बाद 4 फरवरी, 1972 को फ़िल्म पर्दे पर आई। तब तक मीना की हालत काफी बिगड़ गई थी। बीमारी की हालत में भी वह लगातार फ़िल्में कर रही थीं, लेकिन रोग असाध्‍य हो गया था। अंतत: 31 मार्च 1972 को लिवर सिरोसिस के चलते मीना कुमारी ने दुनिया को अलविदा कह दिया और तमाम मुश्किलों से आज़ाद हो गईं।

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