गन्ने की कड़वाहट के साथ पाक में सर्जिकल स्ट्राइक की तड़तड़ाहट

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RGA News

बगहा:- नरकटियागंज से गोरखपुर जाने वाली पैसेंजर ट्रेन में चुनावी चर्चा के दौरान रेल के खेल के साथ गन्ना और सर्जिकल स्ट्राइक के बीच बराबरी का मुकाबला छिड़ा था। कोई गन्ने की कम होती मिठास और भुगतान को लेकर टेंशन से चितित था तो कुछ लोगों की खुशी सर्जिकल स्ट्राइक पर केंद्रित नजर आई। जबकि नियमित रूप से ट्रेन की सफर करने वाले रेल की अव्यवस्था से आहत थे। नरकटियागंज से लेकर वाल्मीकि नगर रोड रेलवे स्टेशन के बीच करीब 51 किलोमीटर की दूरी तय कर सियासी तापमान नापने की कोशिश की गयी। इलेक्शन एक्सप्रेस के लिए सुनील आनंद की रिपोर्ट।

सुबह के 7 बजकर 05 मिनट । नरकटियागंज रेलवे स्टेशन पर 55073 सवारी गाड़ी खड़ी है। अपने निर्धारित समय से 3 घंटे विलंब से यह ट्रेन चल रही है। इस रेलखंड में विद्युतीकरण कार्य की वजह से एक माह तक बंद यह पैसेंजर गाड़ी पहली बार चली है। ट्रेन में यात्रियों की भीड़ अधिक है। प्लेटफॉर्म नंबर एक से पैसेंजर ट्रेन खड़ी है। रात में सवारी गाड़ियों से पटना एवं मुजफ्फरपुर से आए यात्रियों को कोई ट्रेन नहीं होने के कारण इसी ट्रेन की प्रतीक्षा थी। बोगी में चढ़ने के लिए धक्का- मुक्की के बीच मैं भी नरकटियागंज से वाल्मीकि नगर रोड तक के लिए बड़ी मुश्किल से बोगी में सवार हो गया। किसी तरह से बैठने के लिए जगह मिली। फिर यात्रियों के बीच आधी अधूरी चर्चा में शामिल होने में सफल हो गया। नरकटियागंज के राहुल पांडेय अपने पास खड़ी बीमार महिला शारदा देवी को खड़ा देख अपनी सीट पर बैठा देते हैं। राहुल की इस उदारता और सम्मान के भाव को देख पास ही बैठे दूसरे बुजुर्ग राजेश्व प्रसाद ने उनकी तारीफ करते हुए कहा कि युवा ही देश के भविष्य को संवारेंगे। निश्चित रुप से पिछले पांच वर्ष में युवाओं की सोच बदल गयी है। आधुनिकता की चकाचौंध में युवा विचलित नहीं ,रोजगार उन्मुख हुए हैं। बस सरकारी स्तर पर युवाओं को रोजगार देने का अवसर प्रदान करने की जरूरत है। खिड़की की साइड बैठे मो. अरमान तपाक से बोले, क्या भाई आप किसकी बात करते हैं। ये तो देश की स्थिति खराब कर रहे है। गरीब आदमी के लिए तो कुछ नहीं बदला। किसानों की हालत तो देखिए। गन्ना किसान कभी गन्ने की आपूर्ति के लिए तंग तो कभी भुगतान के टेंशन में है। बीमारी की हालत में गोरखपुर इलाज कराने जा रही शारदा से रहा नही गया, वह बोलीं, कोई कुछ भी कहे लेकिन, सरकार ठीक है। अभी घर - घर गैस का कनेक्शन मिल गया है। महिलाओं को चूल्हे में फूंक मारने से मुक्ति मिल गई। शराब बंद करके जो काम सरकार ने किया है वह काबिले तारीफ है। गांव की महिलाओं को आजादी मिली है ।रोज रोज शराब को लेकर घर में मारपीट होती थी। वह भी बंद है ।फिर भी आप कह रहे हैं सरकार खराब है? चुनावी चर्चा में ट्रेन कब चमुआ रेलवे स्टेशन पार गई । पता ही नहीं चला। गाड़ी हरिनगर रेलवे स्टेशन पर पहुंच गई थी। कुछ यात्री बोगी से उतरे तो उनसे दोगुने यात्री फिर बोगी में सवार हो गए और धक्का-मुक्की शुरू हो गयी।लेकिन चुनावी चर्चा का दौर थमा नहीं।

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इस रेलखंड की तो सांसद ने दुगर्ति करा दी हरिनगर से ट्रेन खुली। बोगी नियमित रूप से यात्रा करने वाले सवारियों की संख्या अधिक थी। चुनावी चर्चा के केंद्र में रेल का खेल आ गया। अधिवक्ता श्याम नारायण पांडेय ने कहा , ट्रेन की हालत तो एक दम से दयनीय हो गई है। पहले मुजफ्फरपुर से गोरखपुर तक ट्रेन चलती थी। बहुत अच्छा था। अभी इस रेल खंड को दो टुकड़े में बांट दिया। अब ट्रेनों के बारे कोई जानकारी ही नहीं होती कब आएगी। एक माह से सभी सवारी गाड़ियों को बेवजह बंद किया है। दैनिक यात्री संजय ने कहा, सांसद के कमजोर होने का परिणाम है। अगर जनप्रतिनिधि ग्रास रूट का हो तो वह लोगों की समस्या समझता है। जब रेल खंड को दो टुकड़े में बांटा जा रहा था तो सांसद मौन साधे थे। अच्छा हुआ इस बार बेटिकट हो गए। इस बीच , छात्र राजेश कुमार ने मोर्चा संभाला और कहा, कि वर्षो से रेल ट्रैक जर्जर था। जब सुधार की कोशिश होती है तो थोड़ी परेशानी अवश्य होती। अभी रेल ट्रैक का सु²ढ़ीकरण एवं विद्युतीकरण का कार्य चल रहा है। विद्युतीकरण कार्य खत्म होते ही सारी परेशानियां दूर होने वाली है। थोड़ा धैर्य रखने की आवश्यकता है। हां, यह जरूर गलत हुआ। इस रेल खंड को दो भाग में नहीं बांटना चाहिए था। इससे यात्रियों की परेशानी बढ़ी है। पहले पटना और मुजफ्फरपुर जाना आसान था। अब बगैर बस के आप ट्रेन से पटना और मुजफ्फरपुर नहीं जा सकते। जिला मुख्यालय बेतिया जाने के लिए भी कोई ट्रेन नहीं है। सबसे अधिक तकलीफ तो बगहा क्षेत्र की जनता को है। वहां से बस की सुविधा भी ठीक ठाक नहीं है।

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गन्ने के भुगतान का टेंशन

एक घंटे के सफर में भैरोगंज एवं खरपोखरा रेलवे स्टेशन कब निकल गया। पता नहीं चला। हम बगहा रेलवे स्टेशन पर पहुंच चुके थे। ट्रेन की बोगी पूरी तरह से खाली हो चुकी थी। अब ट्रेन में वहीं लोग बचे थे जिन्हें गोरखपुर या प्रमुख व्यवसायिक केंद्र सिसवा बाजार जाना था। ट्रेन खुली तो मैंने भी बोगी बदल ली। अब सिसवा बाजार से किराना व अन्य सामान लाकर बेचने वाले व्यवसायियों के बीच चर्चा होने लगी। मनोज कुमार ने कहा, व्यवसायी नोटबंदी को लेकर आहत हैं। सिक्के ने व्यवसाय की कमर तोड़ दी है। गन्ने का भुगतान काफी विलंब से हो रहा है। इस वजह से मार्केट में मंदी है।

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कश्मीर मुद्दा सुलझाए सरकार

ट्रेन लगभग वाल्मीकिनगर रोड़ रेलवे स्टेशन पर पहुंचने वाली थी। यहां से यूपी की सीमा आरंभ होती है। हमें भी वाल्मीकिनगर रोड़ में ही उतरना था। चुनावी बहस सर्जिकल स्ट्राइक और आतंकवाद पर जा पहुंची थी। तभी पास बैठी एक छात्रा संजना बोली कि सर्जिकल स्ट्राइक ने आतंकवाद

का मुंहतोड़ जवाब दिया लेकिन, लगातार हो रहे आतंकवादी हमले बड़ा सवाल हैं। कश्मीर का मुद्दा भी तब ही सुलझेगा जब सरकारके स्तर सर्जिकल स्ट्राइक टाइप स्ट्रॉक लगातार चले और सर्जिकल स्ट्राइक पूर्व के सरकारों के बूतों की बात नहीं।पूर्व में अगर कोशिश हुई होती तो आतंकवाद इतना नहीं बढ़ता।

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