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80 फीसद साक्षरता वाले उत्तराखंड में मताधिकार को लेकर मतदाताओं में जागरूकता बढ़ी है। लोकतंत्र के महापर्व में वे बढ़ चढ़कर आहुति देते आ रहे हैं। ...
देहरादून:-इसे पिछले डेढ़ दशक में चुनाव सुधारों को लेकर चली मुहिम का नतीजा कहें या फिर अपने कर्तव्य के निर्वह्न को लेकर संवेदनशीलता, बात चाहे जो भी हो, मगर 80 फीसद साक्षरता वाले उत्तराखंड में मताधिकार को लेकर मतदाताओं में जागरूकता बढ़ी है। लोकतंत्र के महापर्व में वे बढ़-चढ़कर आहुति देते आ रहे हैं और राज्य गठन के बाद 2004 से हुए लोकसभा चुनाव इसकी तस्दीक करते हैं। हर लोस सीट का बढ़ा मतदान प्रतिशत मतदाताओं की जागरूकता को दर्शाता है। मतदान के लिहाज से नैनीताल और हरिद्वार संसदीय क्षेत्र अव्वल हैं तो पर्वतीय क्षेत्र की सीटों पर भी उत्साह नजर आता है।
उत्तराखंड बनने के बाद वर्ष 2004 से 2014 तक के तीन लोकसभा चुनावों को देखें तो यहां के मतदाताओं में बढ़ी जागरूकता का ग्राफ साफ नजर आता है। साथ ही यह दर्शाता है कि यहां के लोग लोकतंत्र में अपने वोट की अहमियत को समझते हैं और वे इस अधिकार का प्रयोग करने में पीछे नहीं हैं। आंकड़ों को ही देखें तो वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में राज्य में 48.74 फीसद लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया था, जो वर्ष 2014 में 61.67 फीसद पर आ गया।
मतदान को लेकर उत्साह यहां की सभी पांचों सीटों पर नजर आता है। नैनीताल और हरिद्वार संसदीय क्षेत्रों के मतदाता भले ही वोट डालने को पोलिंग बूथ पर सबसे अधिक जाते हों, मगर पहाड़ की कंदराओं में उत्साह कम नहीं है। पर्वतीय स्वरूप वाली पौड़ी, टिहरी और अल्मोड़ा सीटों में भी गजब का उत्साह देखने में नजर आता रहा है। अब, गुरुवार को उत्तराखंडवासी फिर लोकतंत्र के महोत्सव में अपने मताधिकार के लिए तैयार हैं। माना जा रहा कि पिछले लोस चुनावों को देखते हुए इस मर्तबा भी यहां के लोग मतदान में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाकर अपनी जागरूकता का परिचय देंगे।
राज्य में लोस चुनाव में मतदान
वर्ष, मतदान (फीसद में)
2004, 48.74
2009, 53.43
2014, 61.67
लोस क्षेत्रवार मतदान
क्षेत्र, मत पड़े
2004, 2009, 2014
टिहरी, 561428, 584075, 776945
पौड़ी, 503240, 533568, 684014
अल्मोड़ा, 505223, 480757, 656934
नैनीताल, 616628, 752992, 1101434
हरिद्वार, 486352, 787963, 1172643