शनि की पूजा में शनि स्त्रोत का पाठ होता है खास

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शनिवार को पूजा में शनि स्तोत्र का पाठ अवश्य करें क्योंकि भले ही शनि सब ग्रहों में सबसे कठोर और विरक्‍त माने जाते हैं पर वे निष्‍पक्ष न्‍यायकर्ता भी हैं। ...

ये है शनि स्तोत्र

शनिवार को शनिदेव की पूजा का विधान है। इस दिन यदि पूजा के साथ शनि स्तोत्र का पाठ किया जाए तो शनि की कुद्रष्‍टि से रक्षा हो सकती है ऐसी मान्‍यता है। 10 श्‍लोकों वाला ये स्तोत्र इस प्रकार है। 

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।

नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।1

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।

नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते। 2

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।

नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते। 3

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:।

नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने। 4

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।

सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च। 5

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।

नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते। 6

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।

नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:। 7

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।

तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्। 8

देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।

त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:। 9

प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।

एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।10

मूर्ति रूप नहीं है प्रिय

याद रखें शनिदेव को अपने रूप मूर्ति के समक्ष पूजा करना पसंद नहीं आता। इसलिए शनि की आराधना सदैव उसी मंदिर में करनी चाहिए जहां शनिदेव शिला रूप में विराजमान हों। इसके अलावा शनिदेव की आराधना उनके प्रतीक माने जाने वाले शमी या पीपल के वृक्ष की भी करनी चाहिए। शनिदेव की पूजा के लिए शनिवार का दिन ही नियत है।

ऐसे करें पूजा

शनिवार को पूजा करते हुए इन बातों ध्‍यान रखें। इस दिन पीपल के पेड़ की जड़ में जल अर्पण करें। इसके साथ ही शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाएं। शनि की पूजा करने से पहले अपना मन व आचरण स्‍वच्‍छ रखना चाहिए। इसके अलावा शनिवार के दिन शाम को किसी गरीब को भोजन करनाने से भी पुण्‍य मिलता है।

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