शिव के रौद्र रूप कालभैरव की पूजा होती है कालाष्टमी पर

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कालाष्टमी शिव जी के क्रोध से प्रकट हुए कालभैरव की पूजा का दिन होता है। इस दिन पूजन और व्रत करने से सुख और समृद्धि बनी रहती है।...

कब होती है कालाष्टमी 

हर माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन कालभैरव की पूजा का विधान है जिन्हें शिवजी का अवतार माना जाता है। कालाष्टमी को भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन दुर्गा जी की पूजा और व्रत भी किया जाता है। शिव पुराण के अनुसार भैरव, शंकर के ही रूप हैं, कालाष्टमी के दिन उनकी पूजा में इस मंत्र का जाप करना चाहिए, अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि। कालभैरव को काशी का कोतवाल भी कहते हैं। इस माह कालाष्टमी 26 अप्रैल को मनाई जाएगी। कहते हैं इस दिन साधना करने पर किसी भी प्रकार की उपरी बाधा, भूत-प्रेत, जादू-टोने आदि का खतरा नहीं रहता है।

कैसे करें कालाष्टमी का व्रत पूजन 

नारद पुराण में बताया गया है कि कालाष्टमी के दिन कालभैरव और मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। कालाष्टमी की रात काली की उपासना करने वालों को अर्ध रात्रि के बाद कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए। ये पूजा उसी प्रकार करनी चाहिए जैसे दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि को की जाती है। इस दिन पार्वती और शिव जी की कथा सुन कर जागरण करना चाहिए। इस व्रत में फलाहार ही करना चाहिए। कालभैरव की सवारी कुत्ता होता है इसलिए कुत्ते को भोजन करवाना शुभ माना जाता है।

कालाष्टमी व्रत की कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच कौन है श्रेष्ठ इसको  लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। विवाद के समाधान के लिए दोनों सभी देवता और ऋषि मुनियों सहित शिव जी के पास पहुंचे। वहां पहुंच कर सभी को लगा कि सर्वश्रेष्ठ तो शिव जी ही हैं। इस बात से ब्रह्मा जी सहमत नहीं थे, वे क्रोधित हो कर शिव जी का अपमान करने लगे। वे बातें सुनकर शिव जी को क्रोध आ गया जिसके परिणाम स्वरूप कालभैरव का जन्म हुआ। 

2019 में कालाष्टमी की तिथियां

6 अप्रैल को नवरात्रि के साथ ही हिंदु नववर्ष की शुरूआत भी हो गई थी। कालाष्टमी हर हिंदी महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी को होती है। जाने अप्रैल माह से लेकर साल के शेष महीनों में पड़ने वाली कालाष्टमी की तिथियों के बारे में। 26 अप्रैल, शुक्रवार, 26 मई, रविवार, 25 जून, मंगलवार, 24 जुलाई, बुधवार, 23 अगस्त, शुक्रवार, 21सितम्बर, शनिवार, 21 अक्टूबर, सोमवार, 19 नवम्बर, मंगलवार, इस दिन कालभैरव जयन्ती भी मनाई जायेगी। 19 दिसम्बर, बृहस्पतिवार।

कालाष्टमी की पूजा के लाभ

कालाष्टमी पर शिव जी का पंचामृत से अभिषेक करें, इससे दुर्घटनाओं का खतरा टलता है और कठिन रोग भी दूर हो जाते हैं।

धन संपदा के लिए कालाष्टमी के दिन भगवान शिव को सफेद साफा पहनायें और सफेद मिठाई का भोग लगायें।

इस दिन शंकर जी को 108 बिल्व पत्र, 21 धतूरे और भांग अर्पित करने से मुकदमों में जीत मिलेगी और शत्रु शांत होंगे।

 

कालाष्टमी के दिन भैरवनाथ को नारियल और जलेबी का भोग लगाकर उसे वहीं भक्तों और गरीबों में बांटने से कार्यों में सफलता मिलती है।

जन्मकुंडली में अगर मंगल ग्रह दोष है तो काल भैरव की पूजा से इस दोष का निवारण हो सकता है।

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