Loksabha Election 2019 : भारत-नेपाल सीमा : सरहद की पुकार, बने स्थिर सरकार

Praveen Upadhayay's picture

RGA News रुपैडिया

भारत-नेपाल सीमा के आसपास रहने वालों की अपनी समस्याएं हैं और समाधान की उम्मीदें वह स्थिर सरकार में देखते हैं। उनकी निगाहें भी चुनाव में बनते बिगड़ते समीकरणों पर है।...र भी शांति है और उधर भी। हालांकि चढ़ती धूप की तरह चुनावी चर्चाएं दोनों तरफ गरम है। भारत-नेपाल सीमा रुपईडीहा में यह प्रतीत ही नहीं होता कि सीमा का कोई बंधन है। रोज की तरह यहां से वहां आने-जाने वालों का न खत्म होने वाला सिलसिला चल रहा है। इधर रुपईडीहा बड़ा कस्बा है, उधर पांच किलोमीटर अंदर नेपालगंज। चुनावी चर्चाएं छेड़ने पर रुपईडीहा के व्यापारी विकास अग्रवाल कहते हैं हमारे लिए प्रत्याशी के मायने नहीं। लेकिन, यह जरूर जानते हैं कि स्थिर सरकार बनेगी तो सीमा पर शांति रहेगी।

राजधानी लखनऊ से तकरीबन 200 किलोमीटर दूर बहराइच जिले से लगने वाली अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर दोनों देशों को जोड़ने वाली चौड़ी रोड पर बैरियर लगाकर एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) के डीएल चौधरी अपने मातहतों के साथ मौजूद हैं। उनकी जिज्ञासा है कि प्रदेश की हवा किधर जा रही है? किसी सवाल का जवाब देने के बजाए खुद ही सवाल पर सवाल करते हैं। फिर सीमा के हालात बताते हैं-‘यहां दूसरी तरह की समस्याएं हैं। हमारी निगाह इस बात पर भी है कि चुनावी लाभ के लिए कोई सामान सीमा पार से इधर न आए।’ 1751 किलोमीटर लंबी भारत-नेपाल सीमा से तस्करी और देश विरोधी तत्वों की अवैध रूप से भारत में आवाजाही के खतरे की आशंका रहती है। इसीलिए जवान मुस्तैद नजर आते हैं।

चेकिंग एरिया में ही बने श्री बजरंगबली के पुराने मंदिर में प्रवेश करते ही मुख्य पुजारी पंडित राम भद्र दास ‘दैनिक जागरण’ अखबार को बड़ी ध्यान से पढ़ते दिखे। वह पूछते हैं कि मोदी की सरकार दोबारा बन जाएगी न?’ फिर बताने लगते हैं कि इधर तो मोदी का नाम ही चल रहा है। अचानक ही पूछ बैठते हैं-‘और आजम का क्या होगा।’ और भी कुछ सीटों के चुनावी समीकरण में दिलचस्पी दिखाते हुए कहते हैं कि वह काशी में ही नहीं अयोध्या और संगम नगरी प्रयागराज आदि में भी रहे हैं। कुंभ की चर्चा करते हुए बोले-‘मोदी को इसका लाभ भी तो मिलेगा।’ भन्सार चौकी पार कर लगभग पांच किलोमीटर अंदर नेपालगंज भारत के चुनाव क्षेत्र से बाहर है। लेकिन, चुनाव पर यहां के लोगों की भी निगाह है।

नेपालगंज में श्री गुरुनानक सिंह सभा गुरुद्वारा के महासचिव सरदार अमरजीत सिंह से मुलाकात होती है। अमरजीत बताते हैं कि उनके कई रिश्तेदार भारत में रहते हैं। सर्जिकल स्ट्राइक की चर्चा कर कहते हैं कि सरकार ने कलेजेवाला काम किया है। भारत से नेपाल में पेट्रोलियम उत्पादों की ढुलाई से भी जुड़े अमर जीत बताते हैं कि इस सरकार में आनलाइन इनवाइस से सामान मंगाना आसान हुआ है। हालांकि, 10 लाख रुपये से ऊपर के माल की लखनऊ से इनवाइस में दिक्कत भी हो रही है। पास ही दरगाह के रंगरोगन का काम कर रहे बहराइच निवासी इस्लाम राई कहते हैं कि मोदी का विरोध तो नाजायज ही है।

ऐसा नहीं कि सिर्फ मोदी की ही बयार है। मुखालफत करने वाले भी कम नहीं। सुलेमान, जमालुद्दीन इदरीशी कहते हैं-‘जीएसटी और नोटबंदी से बड़ा नुकसान हुआ है। भारतीय रुपये के लिए कहीं ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं।’ निजामुद्दीन का दर्द यह है कि यूपी में योगी सरकार बनने के बाद से मीट महंगा हो गया है। गोश्त व बकरे को लाने पर कहीं ज्यादा सुविधा शुल्क देनी पड़ रही है। नेपाल में सब्जी बेचने वाले शाहिद कहते हैं कि भारत से सब्जी लाते हैं लेकिन बार्डर पर परेशान होते हैं। 

नेपाल बार्डर के जमुनाह बांके क्षेत्र से वापस होकर फिर रुपईडीहा के मुख्य बाजार पहुंचते हैं। वहां जनरल मर्चेंट की दुकान चलाने वाले विकास के पास कई लोग हैं। वह बिना लागलपेट के कहते हैं कि यहां सांसद ने कोई काम तो नहीं किया है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लोग भाजपा के साथ जुड़े हैं। विकास कहते हैं कि रुपईडीहा बाजार की रौनक तो नेपाल से यहां आने वालों के दम पर ही है। नेपाली तो यहीं से रोजमर्रा का सामान ले जाते हैं। उधर तो चाइना से कॉस्मेटिक ज्यादा आ रहा है। समीप खड़े एक और युवा कहते हैं कि एसएसबी ने सीमा पर ई-रिक्शा चलने पर रोक लगा दी है, जिससे इधर-उधर आने-जाने वालों की दिक्कतें बढ़ गईं हैं। स्थिर सरकार बनेगी तो इन सारी समस्याओं का भी समाधान होगा।

News Category: 
Place: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.