बेमौसमी बरसात से आधी रह गई पैदावार, बैंक का कर्ज सुखा रहा सांसें

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RGA News, अंबाला

बाबू जी सपने तो वो देखते हैं जिन्हें तीन टाइम की रोटी आसानी से नसीब हो जाती है, हमें तो दो वक्त की रोटी के भी लाल्ले पड़े हुए हैं। पहले बैंक वालों ने कर्ज को कई गुणा बढ़ा दिया, लोन भरते-भरते सांसे सूखने लगी, जब बस से बाहर हुआ तो बैंक ने जमीन कुर्की करने के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी। बाकी रही कसर परमात्मा ने बेमौसमी बरसात से पूरी कर दी। यह कहना है गांव भुडंगपुर के हरबंश सिंह का। उन्होंने बताया कि अब नेताजी चुनाव में वोट तो मांग रहे हैं, लेकिन उनकी माली हालत को कोई नहीं जानना चाहता।

जिला मुख्यालय से करीब 21 किलोमीटर दूर गांव भुडंगपुर। गांव में ज्यादातर लोग खेती-बाड़ी और पशुपालन करते हैं। लेकिन गांव में कई किसान फसल पर अधिक खर्च और आमदन कम होने से कर्ज में डूबते जा रहे हैं। इस कारण हरियाणा ग्रामीण बैंक कई किसानों को जमीन कुर्की के नोटिस भी दे चुका है। हरबंश सिंह ने बताया कि उसके पास करीब ढाई एकड़ अपनी जमीन है और कोई आय का साधन न होने के कारण कुछ जमीन ठेके पर लेता है। इससे वह छह एकड़ में खेती-बाड़ी कर रहा है।

25-25 क्विंटल की थी उम्मीद, निकला पंद्रह

किसान ने बताया कि इस बार उन्हें उम्मीद थी कि खेत में अच्छी फसल है और पैदावार प्रति एकड़ 25-25 क्विटल होने की उम्मीद थी। लेकिन इस बेमौसमी बरसात हो गई। जिससे फसल खेत में बिछ गई और दाना कमजोर रह गया। इस कारण प्रति एकड़ महज 15-15 क्विटल तक सिमट कर रह गया।

पौने दो लाख का कर्ज छह लाख कर गया पार

हरबंश सिंह ने बताया कि वर्ष 2007-08 में बैंक से करीब पौने दो लाख रुपये का कर्ज लिया था। वह कर्ज लौटा भी रहे थे। परंतु उसी दौरान सरकार ने कुछ किसानों का कर्ज माफ कर दिया। लेकिन उनका कर्ज माफ नहीं हुआ। इसके बाद उनके घर हालात कुछ बिगड़ते चले गए, वहीं दूसरे तरफ कर्ज भी बढ़ता चला गया। अब बैंक का कर्ज छह लाख रुपये से अधिक हो चुका है। नौबत यहां तक आ गई कि बैंक वालों ने उन पर केस कर दिया है और बैंक उनकी जमीन को हथियाने के लिए कुर्क करवाना चाहता है।

पहले भी एक किसान कर चुका आत्महत्या, नहीं ली सुध

उन्होंने बताया कि गांव का एक किसान कर्ज के कारण पहले भी आत्महत्या कर चुका है, लेकिन न तो किसी नेता और न ही किसी अफसर ने सुध ली। ऐसे ही हालात दूसरे किसानों के होते जा रहे हैं। इस समय उन्हें जमीन मालिक के ठेके का पैसा देना दूर, बल्कि अपना एक बच्चा स्कूल में पढ़ाना मुश्किल हो गया है।

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