रंगदारी व हमले में डिप्टी मेयर सहित 11 रिहा

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RGA News

कोयला कारोबारी अशोक सिंह को शिमला बहाल में घेरकर मारपीट करने और रंगदारी मांगने एक मामले में डिप्टी मेयर एकलव्य सिंह सहित 11 आरोपियों को कोर्ट ने शनिवार को बरी कर दिया। साक्ष्य के अभाव में प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी सुरेंद्र बेदिया ने यह फैसला सुनाया।कोर्ट में शनिवार को फैसले की तिथि निर्धारित थी। सुनवाई के मद्देनजर डिप्टी मेयर एकलव्य सिंह, मनोज पासवान, बबन सिंह, राजू सिंह, शिवा यादव, धर्मेंद्र सिंह, शशिकांत सिंह उर्फ संतोषे, राजेंद्र सिंह, शशि सिंह, मिथिलेश सिंह एवं सुखी खान हाजिर हुए थे। आरोपियों के खिलाफ शिमला बहाल निवासी व गया सिंह के रिश्तेदार अशोक सिंह ने झरिया थाना में दो नवंबर 2010 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

पिस्टल सटा कर रंगदारी मांगने का था आरोपआरोप लगाया था कि घटना के दिन सुबह साढ़े नौ बजे वे झरिया जा रहे थे। शिमला बहाल कोलियरी ऑफिस के समीप जब वे पहुंचे तो वहां पहले से ही स्कार्पियो तथा इंडिका कार के अलावा 8-10 मोटर साइकिल पर सवार 25 से 30 लोग खड़े थे। राजेंद्र सिंह एवं पवन सिंह ने उन्हें रोका और एकलव्य सिंह और मिथिलेश सिंह से पहचान करवाई। इसके बाद एकलव्य और मिथिलेश सिंह ने कमर से पिस्टल निकाल कर सटा दिया। उनके समर्थकों के हाथ में हॉकी स्टीक था। एकलव्य सिंह बोले कि इतने दिन से डीओ का माल उठा रहा है एक लाख रुपया दो। एकलव्य सिंह पिस्टल के बट से उनके चेहरे पर मारा और जेब से 5,620 रुपया निकाल लिया। आरोप में कहा गया था कि वे गया सिंह के साले हैं तथा उनके साथ रहते हैं, इसलिए आरोपियों ने उनकी पिटाई की और धमकी दी।

12 अप्रैल 2016 को इस मामले में वादी अशोक सिंह कोर्ट में उपस्थित होकर अभियुक्तों के साथ सुलह कर लिया था। दोनों ओर से संयुक्त सुलहनामा कोर्ट में दाखिल किया गया। अपनी गवाही के दौरान अशोक सिंह ने रंगदारी की बात से इनकार किया था। इस मामले में आरोप पत्र के कुल 12 गवाहों में से अभियोजन ने केवल नौ गवाह का ही परीक्षण कराया। आईओ अवर निरीक्षक प्रेम रंजन गोप और डाक्टर ने गवाही नहीं दी। झरिया पुलिस 27 जनवरी 2011 को 11 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र समर्पित किया था और 19 मार्च 2012 को आरोपियों के खिलाफ आरोप का गठन किया था।

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