कैसे होंगी किसानों की बेटियों की शादी

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फतेहपुर सीकरी विधानसभा क्षेत्र का गांव मदनपुरा। इस गांव के विजय सिंह की बेटी की शादी 22 जून को होनी है। घर में ब्याह की तैयारियां चल रही हैं। विवाह में होने वाले खर्च का बंदोबस्त गेहूं बेचकर होना था। उसी गेहूं पर शनिवार रात ओलों की परत बिछ गई। गेहूं की बाली खेत में छितरने से विजय सिंह के सपने भी बिखर गए। अलसुबह से खेत पर पहुंच किसी तरह बची हुई फसल को सुरक्षित करने के इंतजाम में जुट गए।...

 संवाददाता आगरा: फतेहपुरसीकरी विधानसभा क्षेत्र का गांव मदनपुरा। इस गांव के विजय सिंह की बेटी की शादी 22 जून को होनी है। घर में ब्याह की तैयारियां चल रही हैं। विवाह में होने वाले खर्च का बंदोबस्त गेहूं बेचकर होना था। उसी गेहूं पर शनिवार रात ओलों की परत बिछ गई। गेहूं की बाली खेत में छितरने से विजय सिंह के सपने भी बिखर गए। अलसुबह से खेत पर पहुंच किसी तरह बची हुई फसल को सुरक्षित करने के इंतजाम में जुट गए।

यह दर्द अकेले विजय सिंह का ही नहीं है। शुक्रवार को बेमौसम ओले और बारिश से किसानों की खुशियों पर पानी फिर गया है। गेहूं की फसल चौपट होती दिख रही है। किसानों को अब दोहरी मेहनत करनी होगी और लागत भी बढ़ेगी। शनिवार सुबह से लेकर शाम तक किसान खेतों पर रहे। जलभराव वाले स्थानों से गेहूं के गट्ठर अन्य स्थान पर रखे, जबकि कटी हुई फसल को सुखाने के लिए कारगर इंतजाम किए।

फतेहपुर सीकरी क्षेत्र के गांव मदनपुरा के ही थान सिंह की बेटी की शादी भी जून में ही होनी है। हीरा सिंह की बेटी की शादी 20 अप्रैल को है। ओमप्रकाश की बेटी की शादी 12 मई को है। इन सभी की गेहूं की फसल पानी में डूब गई है। ऐसे में शादी के लिए आवश्यक खर्च के लिए पैसा जुटाने का विकल्प समाप्त हो गया है। परिजन चिंतित हैं।

अछनेरा विकास खंड के गांव तुरकिया के किसान गजेंद्र सिंह चाहर ने इस बार मकान निर्माण कराया है। इसमें उन्होंने अब तक की जमा पूंजी लगा दी है। उन्होंने कुछ धन उधार भी लिया था। उम्मीद थी कि इस बार गेहूं की बंपर फसल होगी तो सब व्यवस्था सही हो जाएगी। भविष्य में बेटी की शादी करनी है, इसलिए गेहूं की बिक्री से आने वाली धनराशि को वो बचत में शुमार कर लेते। लेकिन ऐनवक्त पर प्रकृति ने उनकी भावी योजनाओं पर पानी फेर दिया है। ऐसे ही गांव अंगूठी निवासी किसान लाचारी सोलंकी गेहूं की फसल के बल पर अधूरे मकान के निर्माण कार्य को पूरा कराने की तैयारी में थे। लेकिन बरसात ने फिलहाल उनके कदमों पर ब्रेक लगा दिया है। अब वे लाचार दिख रहे हैं। उन्हें चिंता है कि अब कैसे परिवार का खर्च चलेगा। कैसे बुनियादी जरूरतें पूरी होंगी। कोई भी जुगत कर फसल को सुखाकर अनाज घर लाना चाहते हैं। उनका कहना है कि फसल को सुखाने में मजदूर लगाने पड़ेंगे। इस पर कई हजार रुपये खर्च होंगे। साथ ही कई दिन फसल सूखने का इंतजार करना पड़ेगा। चिंता यह भी है कि ऐसे में देनदारी कैसे चुकेगी। गजेंद्र सिंह चाहर का कहना है कि खेती ही परिवार की जीविका का जरिया है, फसल में नुकसान बहुत हुआ है। फिलहाल बच्चों की फीस का बड़ा खर्चा है, कैसे भरेंगे, इसे लेकर चिंतित हैं।

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