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दस अप्रैल को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के लखनऊ दौरे के बाद भाजपा की चुनौतियों का हल निकलेगा। इसलिए अब शाह के दौरे पर निगाहें टिक गई हैं।
लखनऊ - मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पिछले दिनों भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय की केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात का असर अब उत्तर प्रदेश की सियासत पर दिखेगा। कुछ दलित सांसदों का विद्रोह, विधान परिषद की 13 सीटों पर चुनाव और भविष्य में मंत्रिमंडल में फेरबदल जैसे मसले इस समय प्रभावी हैं। दस अप्रैल को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के लखनऊ दौरे के बाद इन चुनौतियों का हल निकलेगा। इसलिए अब शाह के दौरे पर निगाहें टिक गई हैं।
भाजपा इस समय दलित आंदोलन को लेकर आंतरिक और बाहरी दोनों तरह की चुनौतियों से जूझ रही है। डैमेज कंट्रोल के लिए भाजपा ने अपने दलित नेताओं को आगे जरूर किया है लेकिन, यह माना जा रहा है कि विद्रोह को पूरी तरह दबाने के लिए अमित शाह कोई नया फार्मूला निकालेंगे। इसमें सरकार के साझीदार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर का भी मुद्दा शामिल है। राजभर भी लंबे समय से अपनी ही सरकार से नूरा-कुश्ती कर रहे हैं। संभव है कि ऐसे लोगों के खिलाफ भाजपा आर-पार का फैसला कर ले या फिर विद्रोही ही पार्टी के प्रति खुद अपनी निष्ठा जाहिर कर दें।
दलित-पिछड़ों के साथ सभी वर्गों का समन्वय
विधान परिषद की 13 सीटों पर चुनाव के लिए सोमवार से नामांकन शुरू होगा। भाजपा को संख्या बल के आधार पर इस चुनाव में 11 सीटें मिलनी है। यूं तो प्रदेश नेतृत्व ने उम्मीदवारों के नाम प्रस्तावित कर दिए हैं लेकिन, अमित शाह ही उस पर मुहर लगाएंगे। विधान परिषद में भाजपा विशेष रूप से कुछ प्रभावी दलित और पिछड़े नेताओं को मौका दे सकती है। पिछले दिनों विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देकर बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए ठाकुर जयवीर सिंह, एलएसी पद से इस्तीफा देने वाले यशवंत सिंह, सरोजिनी अग्रवाल और बुक्कल नवाब की दावेदारी भी बढ़ी है। बसपा से टकराव के बाद ठाकुर जयवीर का भाजपा में महत्व बढ़ा है।
मंत्रिमंडल में भी बदलेंगे कई चेहरे
योगी मंत्रिमंडल का विस्तार 15 अप्रैल या फिर कर्नाटक चुनाव के बाद हो सकता है। इस पर भी अंतिम फैसला मोदी और शाह ही लेंगे। बहरहाल, बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच दो प्रमुख दलित नेताओं के मंत्री बनने की राह आसान हुई है। इसके अलावा खराब परफार्मेंस वाले मंत्रियों की छुट्टी भी हो सकती है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से बात नहीं बनी तो मंत्रिमंडल से ओमप्रकाश राजभर को भी बाहर किया जा सकता है। कुछ अन्य पिछड़े नेताओं को तरजीह मिल सकती है। अपना दल एस कोटे से राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष सिंह पटेल को एमएलसी बनाकर मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने की चर्चा जोर पकड़ चुकी है।