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RGA News जम्मू : जम्मू शहर में किरायेदारों को मकान देने से पहले उनकी वेरिफिकेशन करवाने के लिए बेशक पुलिस ने कई बार मकान मालिकों को उनकी जानकारी देने के निर्देश दिए हैं, लेकिन मकान मालिक भी किराये पर मकान देने से पहले इस बात को गंभीरता से नहीं ले रहे। इस वजह से जम्मू-कश्मीर में क्राइम और आतंकवाद अपने पैर पसार रहा है। ऐसी ही चूक अनिरुद्ध के पिता जोगेंद्र शर्मा से हुई, जिन्होंने संजय को किराये पर मकान देने से पहले उसकी पृष्ठभूमि के बारे में पुलिस वेरिफिकेशन नहीं करवाई।
जिस मकान में अपहरणकर्ताओं ने अनिरुद्ध को दो दिनों तक रखा, उसके मकान मालिक ने भी एक बार नहीं सोचा कि जिन युवकों को वह मकान किराये पर दे रहा है, वहां आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिया जाना है। पुलिस वेरिफकेशन न होने से आपराधिक घटनाओं में वृद्धि हो रही है। वर्ष 2006 में भी जानीपुर इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी जो स्लिपिग सेल के रूप में रह रहा था, की मकान मालिक नहीं वेरिफकेशन नहीं करवाई थी। यह आतंकवादी अपनी एक महिला साथी के साथ छात्र में रूप में रह रहा था। हालांकि दिल्ली पुलिस को इसकी खबर लग गई थी और उन्होंने जम्मू-कश्मीर पुलिस को विश्वास में लिए बगैर ही आतंकवादी को मार गिराया था। राज्य पुलिस ने मकान मालिकों को किराये पर मकान देने से पहले वैरिफकेशन, उनके ठिकानों, मूल निवास और उनकी पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी अनिवार्य की है, लेकिन अक्सर यह चूक कई बार आतंकवाद और अपराध को बढ़ावा दे रही है।
वेरिफिकेशन प्रक्रिया सुरक्षा की दृष्टि से सबके लिए जरूरी है। अक्सर लोग किरायेदारों पर विश्वास कर लेते हैं, लेकिन उनका यह सोचना कई बार गलत साबित हो सकता है। सुरक्षा में ही सबकी भलाई है, इसलिए पुलिस को भी वेरिफिकेशन प्रक्रिया में सख्ती दिखानी होगी, क्योंकि पकड़े गए आतंकवादी ने जो खुलासा किया है, उसे हल्के से नहीं लिया जाना चाहिए। सीमा पर सख्ती होने के बाद आतंकवादियों को वारदात का मौका नहीं मिल रहा है। इसलिए वह स्लीपिग सेल के रूप में अपने मंसूबे को कामयाब बनाने की फिराक में हैं।