Rga news
ली ने कहा ‘यह एक अच्छा पहला कदम है जो कार्बन उत्सर्जन करने वाले वाहनों का स्थान ले सकता है। साथ ही हमारे पर्यावरण को होने वाले नुकसान से भी बचाएगा।’...
टोरंटो:-वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए जीरो एमिशन फ्यूल यानी ऐसा ईंधन जिससे किसी भी प्रकार का उत्सर्जन ना हो, की मांग लगातार बढ़ रही है और वैज्ञानिक इसे और उन्नत बनाने का प्रयास कर रहे हैं। अब एक शोध में यह भी दावा किया गया है कि नई फ्यूल सेल तकनीक के जरिये गैसोलीन इंजनों (परंपरागत डीजल-पेट्रोल से चलने वाले वाहनों में प्रयुक्त होने वाला इंजन) को नई फ्यूल सेल से बदला जा सकता है। इससे उत्सर्जन भी नहीं होगा और इसका खर्च भी बहुत कम है।
कनाडा की वाटरलू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक नया फ्यूल सेल विकसित किया है। दरअसल फ्यूल सेल एक विद्युत रासायनिक युक्ति है। जो रासायनिक ऊर्जा को सीधे विद्युत ऊर्जा में बदलती है। नई तकनीक वर्तमान के मुकाबले 10 गुना ज्यादा कारगर है। इस ईंधन के बारे में ‘अप्लाइड एनर्जी’ नामक जर्नल में विस्तार से बताया गया है। वाटरलू के फ्यूल सेल एंड ग्रीन एनर्जी लैब के निदेशक जियांगुओ ली ने कहा कि नए डिजाइन की विशेषता यह है कि गैसोलीन इंजनों के मुकाबले काफी सस्ता है। यह हरित ईंधन है और बाजार में इसकी मांग बढ़नी स्वाभाविक है। इसीलिए इसका भविष्य भी सुनहरा है।
शोधकर्ताओं ने सबसे पहले अपना ध्यान हाइब्रिड वाहनों (जो आज परंपरागत इंजन और बैटरी से चलते हैं) पर दिया। इन वाहनों में बैट्री को चार्ज कर इंजन चलाया जाता है। वर्तमान में मौजूद फ्यूल सेल के माध्यम से इन इंजनों को बदलना संभव नहीं था। वैज्ञानिकों ने बताया कि फ्यूल सेल के माध्यम से इतनी ऊर्जा नहीं उत्पन्न हो पा रही थी, जिससे बैट्री को चार्ज किया जा सके, लेकिन नई तकनीक के मौजूदा ईंधन सेल उन इंजनों को बदल सकते हैं। नया सेल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मिलने पर कैमिकल रिएक्शन से करंट उत्पन्न करता है। यह एक साधारण प्रक्रिया है, इसलिए यह बहुत सस्ती भी है।
ली ने कहा कि हमने एक ऐसा रास्ता खोजा है जो सस्ता होने के साथ-साथ प्रदर्शन के स्तर पर भी हमारी उम्मीदों पर खरा उतरा है। इसके जरिये हम शून्य उत्सर्जन करते हुए अपने आर्थिक लक्ष्यों को भी पूरा कर रहे हैं। शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि हाइब्रिड वाहनों में ये फ्यूल सेल कम कीमत पर इनके उत्पादन को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होंगे। ली ने कहा, ‘यह एक अच्छा पहला कदम है, जो कार्बन उत्सर्जन करने वाले वाहनों का स्थान ले सकता है। साथ ही हमारे पर्यावरण को होने वाले नुकसान से भी बचाएगा।’