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जामा मस्जिद के मौलना मोहम्मद अब्दुल बारी नईमी इमाम व अध्यापक मदरसा अरबिया फैज नईमी सरैया पहाड़ी ने कहा कि इस्लामी साल का नौवां महीना रमजान उल मुबारक अपनी तमाम तर रहमतों के साथ हमारे सरों पर साया फागन है।..
अतरौलिया (आजमगढ़) : इस्लामी साल का नौवां महीना रमजान उल मुबारक अपनी तमाम तर रहमतों के साथ हमारे सरों पर साया फागन है। इसका पहला असरा यानी 10 दिन रहमत का है। दूसरा असरा मगफिरत का है और तीसरा असरा जहन्नुम से आजादी का है। इसकी रहमतों, बरकतों, इनायतों, नवाजिशों से पूरी तरह फायदा हासिल करने के लिए जरूरी है कि अपने तमाम तरह के पिछले गुनाहों से तौबा कर आइंदा इन गुनाहों के न करने का पक्का इरादा करें।
यह बातें जामा मस्जिद के मौलना मोहम्मद अब्दुल बारी नईमी इमाम व अध्यापक मदरसा अरबिया फैज नईमी सरैया पहाड़ी कही। उन्होंने कहा कि झूठ गीबात, चुगलखोरी, झगड़े फसाद, बोगज, किना से अपने आप को दूर रखें। यह महीना मुसलमानों के लिए बहुत पवित्र और बरकत का है। इसके जरिय वह इसकी रौनकों और खुशबुओं से साल भर महकता रहेगा। हदीस पाक में है कि रसूले अकरम सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ने शाबान के आखिरी दिन में कहा कि तुम्हारे पास अजमत वाला, बरकत वाला महीना आया। इसमें एक रात ऐसी है जो हजार महीनों से बेहतर है। इसके दिन में रोजे फर्ज किए गए। रात में नमाज तरावीह जो इसमें नेकी का कोई काम करे तो ऐसा है जैसे और किसी महीने में फर्ज अदा किया। इसमें जिसने फर्ज अदा किया तो ऐसा है जैसे और दिनों में 70 फर्ज अदा किए। यह महीना सब्र का है और सब्र का सवाब जन्नत है। रमजान के महीने में रोजादार को इफ्तार कराने वाले को वैसा ही सवाब मिलेगा जैसा कि रोजादार को। अल्लाह ताला एक घूंट दूध या एक घूंट पानी या एक खुरमा से इफ्तार कराने वाले को इसका शबाब देगा। जिसने रोजादार को पेट भर खाना खिलाया उसको अल्लाह ताला मेरे हौज से इतना पिलाएगा कि कभी प्यासा नहीं होगा। यहां तक कि जन्नत में चला जाएगा।x