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भक्त कैसे भी हो दिल से याद करने पर ईश्वर उनकी रक्षा करते हैं। ये बात नारायण सेवा संस्थान उदयपुर एवं राजस्थान विश्व प्रेम शांति सेवा ट्रस्ट द्वारा गोशाला में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में राधा किशोरी ने प्रवचन करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि भक्त भले ही मोह माया के जाल में फंस कर ईश्वर को याद नहीं करता। लेकिन जब वह कष्ट में होता है और ईश्वर को मन से याद करता है तो ईश्वर उसकी सहायता अवश्य करते हैं। अत: हमेशा ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ताकत के नशे में चूर हाथी नदी में विचरण करते समय जब मगरमच्छ ने उसका पांव पकड़कर निगलना चाहा तो तब ईश्वर ने हाथी की पुकार सुनकर उसकी रक्षा की। उन्होंने कहा कि भगवान ने कछुए का रूप धारण कर पहाड़ को अपने ऊपर स्थिर कर मंथन किया। मंथन में अनेक रत्न, अमृत और हलाहल निकले।
भगवान शिव ने भगवान के आदेश पर हलाहल को पीकर नीलकंठ कहलाए। भगवान राम ने कई अवतार लेकर दुर्जनों का नाश किया। राधा किशोरी ने कहा कि श्रीमद् भागवत गीता का पाठ करना चाहिए। इसमें शक्ति है। उन्होंने भगवान के कई अवतारों की चर्चा की। इस अवसर पर कुसुम शर्मा, सूरज शर्मा, गणेश शर्मा, पुरुषोत्तम गोयनका, गालमुकुंद गोयनका, गोपाल गोड़, श्याम झुनझुनवाला आदि उपस्थित थे।