भारत के नियाग्रा में पानी की कमी, इंद्रावती को लेकर तेज हुई सियासी लहरें

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Rga news

छत्तीसगढ़ की इंद्रावती नदी इस बार सूख गई है। सैकड़ो सालो में यह पहली बार हुआ है कि नदी सूख गई। इस नदी का प्रवाह ओड़िशा से बस्तर की ओर है। जिसे भारत का नियाग्रा भी कहा जाता है। ...

रायपुर:- गर्मी बढ़ते ही जमीन का जल स्तर नीचे चला ग। बस्तर की जीवनदायिनी इंद्रावती नदी का जीवन संकट में है। इंद्रावती बस्तरियों के लिए हमेशा भावनात्मक मुद्दा रही है, हालांकि चुनाव में यह मुद्दा नहीं बन पाई थी। पर अब जबकि बस्तर में चुनाव हो चुके हैं सूखी इंद्रावती का मुद्दा उफान पर है। चुनाव नतीजों के बाद इंद्रावती के पानी में सियासी लहरें उठने की पूरी संभावना है। लोगों का कहना है कि सैकड़ों वर्षों के दौरान पहली बार ऐसा हुआ जब इस नदी पर स्थित भारत का नियाग्रा कहे जाने वाला चित्रकोट जल प्रपात पूरी तरह सूख गया।

बस्तर में पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान हुआ था। तब इंद्रावती में पानी कम तो था पर प्रवाह बना हुआ था। अप्रैल के अंत में एक रोज विश्वप्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात की तस्वीर आई। पहली बार ऐसा हुआ कि चित्रकोट सूखा था। उसमें एक बूंद पानी नहीं था। चित्रकोट को बस्तर का नियाग्रा कहा जाता है। हर साल इस जलप्रपात को देखने के लिए देश-विदेश से हजारों सैलानी आते हैं। ऐसे में जलप्रपात की दुर्दशा से बस्तर के लोगों में आक्रोश फूट पड़ा। जनता के गुस्से को देखते हुए ओड़िशा ने डैम से पानी छोड़ा। हालांकि यह अस्थाई व्यवस्था थी। इसके बाद बस्तर के लोगों ने आंदोलन शुरू किया। इंद्रावती के तट पर पदयात्रा शुरू की गई जो लगातार चल रही है।

समस्या है पर चुनावी मुद्दा नहीं बन पाती इंद्रावती

इंद्रावती का प्रवाह ओड़िशा से बस्तर की ओर है। जगदलपुर से होते हुए यह 40 किमी दूर चित्रकोट में विशाल जलप्रपात बनाती है। जगदलपुर से 30 किमी दूर ओड़िशा की सीमा पर इंद्रावती का प्रवाह जोरा नाला की ओर मोड़ दिया गया है। वर्षों से यह मुद्दा बना हुआ है। कई बार जोरा नाला के मुहाने पर सीमेंट की बोरियां डालकर प्रवाह को सीधा करने की कोशिश की गई लेकिन स्थाई समाधान नहीं हो पाया। मजे की बात यह है कि खाली समय में तो इंद्रावती मुद्दा बनती है पर चुनाव में यह मुद्दा कभी नहीं बन पाती।

चार विधानसभा क्षेत्र की राजनीति पर असर

इंद्रावती नदी ओड़िशा से जगदलपुर होकर चित्रकोट, बारसूर, बीजापुर होते हुए भद्रकाली में गोदावरी में मिल जाती है। इसे बस्तर की जीवनदायिनी कहा जाता है पर राजनीति में इसका प्रभाव चार विधानसभा सीटों पर सीधे दिखता है। जगदलपुर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा और बीजापुर की राजनीति में इंद्रावती का सीधा दखल है। बस्तर लोकसभा सीट में भी इंद्रावती का पानी असर डालता है

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