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Jammu and Kashmir Lok Sabha Election Result 2019. जम्मू-कश्मीर में छह संसदीय सीटों पर हुए मतदान के नतीजे कुछ ही देर में आ जाएंगे। ...
जम्मू:-17वीं लोकसभा के गठन के लिए देश के विभिन्न हिस्सों के साथ जम्मू-कश्मीर में छह संसदीय सीटों पर हुए मतदान के नतीजे कुछ ही देर में आ जाएंगे। इन छह सीटों पर भाग्य आजमा रहे 74 उम्मीदवारों में सभी की नजरें डॉ. फारुक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह पर टिकी हैं। ये तीनों दिग्गज अपनी सीट बचा पाएंगे या नहीं, यह सवाल सभी के लिए जिज्ञासा का विषय है। रियासत की सियासत में अपनी दमदार उपस्थिति जताने का प्रयास कर रहे पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन और जम्मू में डोगरों की अस्मिता के संरक्षण का दावा करने वाले चौ. लाल सिंह के सियासी भविष्य की दिशा भी इन्हीं चुनाव परिणामों से तय होगी।
गौरतलब है कि राज्य के छह संसदीय सीटों पर लगभग 78 लाख के करीब मतदाता हैं, जिनमें से 44.51 प्रतिशत लगभग 34.5 लाख ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। सबसे ज्यादा मतदान जम्मू पुंछ संसदीय सीट पर 72.16 प्रतिशत और सबसे कम अनंतनाग-पुलवामा संसदीय सीट पर मात्र 8.76 प्रतिशत हुआ है। इन चुनावों में जम्मू संभाग की दोनों सीटों जम्मू-पुंछ और उधमपुर-डोडा में भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला रहा है। कांग्रेस के समर्थन में इन दोनों सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस व पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपना कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा था। भाजपा ने वर्ष 2014 में ये दोनों सीटें जीती थीं और उसने जम्मू में जुगल किशोर और उधमपुर में डॉ. जितेंद्र सिंह को दोबारा मैदान में उतारते हुए इन सीटों को बचाने की कवायद की है। यह दोनों वर्ष 2014 में इन सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार थे। कांग्रेस ने इन दोनों सीटों पर नए चेहरे उतारे।
09.18 AM: श्रीनगर लोकसभा सीट पर पहले चरण में सामने आए रूझान में डाॅ फारुक अब्दुल्ला अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पीडीपी के आगा मोहसिन से करीब 2200 वोटों से आगे चल रहे हैं।
09.15 AM : दक्षिण कश्मीर के संसदीय क्षेत्र अनंतनाग पुुलवामा से कांग्रेस के प्रत्याशी जीए मीर आज सुबह अपने साथियों संग मतगणना शुरु होने के समय ही खन्नाबल स्थित डिग्री कालेज में बने मतदान केंद्र में पहुंचे। उन्होेने इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में उम्मीद जताई कि वोटरों ने जो फैसला लिया होगा वह कांग्रेस के हक में होगा। उन्होंने कहा कि साऊथ कश्मीर के वोटरों ने बहुत अच्छा फैसला किया होगा। क्योंकि उनके सामने जो मसले थे, जिसके लिए जो वोट डालना था, लोगों ने उसे समझा है। पूरे मुल्क में सरकार बननी है, पिछले पांच साल से जो सरकार केंद्र में थी उसके पालिसी क्या रही,पूरे देश के लिए जम्मू कश्मीर के लिए, विशेषकर इस वादी के लिए उसकी पालिसी क्या थी, उसके मदेनजर मुझे पूरी उम्मीद है कि साऊथ कश्मीर के सवा लाखा वोटरों ने अच्छा फैसला लिया होगा जो कांग्रेस के हक में हो। वीवीपैट के मुददे पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने पूरे देश ने सिर्फ कांग्रेस ने ही नहीं पूरे 25 विपक्षी दलों ने मांग रखी थी कि वीवीपैट के रिजल्टस को दखाना चाहिए। लेेकिन इस पूरे चुनाव हमने देखा है कि चुनाव आयोग ने विपक्ष की शिकायतोंको नजर अदांज किया गयाहै। अब जो उन्होने फैसला लिया है, हर एसेंबली सेगमेंट से पांच पांच वीवीपैट सैंपल के तौर पर लिए जाएंगे और उनका मिलान किया जाएगा। अगर कोई अंतर आएगा तो फिर मौके पर मौजूद आरओ के साथ बैठक कर उसकाहल निकाला जाएगा।
08.48 AM : मतगणना की प्रारंभिक रुझान के बाद मतगणना केंद्र से बाहर निकल डोगरा स्वाभिमान संगठन के चेयरमैन चौधरी लाल सिंह ने अपनी जीत का दावा किया। उनके साथ काफी संख्या में उनके समर्थक भी मतगणना केंद्र के बाहर पहुंचे हुए हैं। कठुआ मतगणना केंद्र में मतगणना कार्य शांतिपूर्वक चल रहा है। अभी सर्विस वोटरों की गिनती हो रही है।
08.43 AM: पॉलिटेक्निक कॉलेज जम्मू स्थित मतगणना केंद्र के बाहर कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए गए हैं। यहां जम्मू-पुंछ निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतगणना जारी है। सुरक्षा के मद्देनजर यहां वाहनों की आवाजाही भी बंद रखी गई है।
08.30 AM : कठुआ डिग्री कॉलेज के मतगणना केंद्र में डोगरा स्वाभिमान संगठन के उम्मीदवार चौधरी लाल सिंह पहुंचे। मतगणना केंद्र में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं।
08.15 AM: भारतीय जनता पार्टी के जम्मू-पुंछ संसदीय सीट के उम्मीदवार जुगल किशोर शर्मा सुबह सात बजे के करीब मतगणनना स्टेशन पॉल्टेक्निक कालेज में माता के जयकारे लगाते हुए प्रवेश कर गए। पाल्टेक्निक कालेज के मुख्य गेट पर वह सुरक्षा जांच के लिए रूके।
जम्मू-पुंछ सीट पर कांग्रेस के रमण भल्ला जो राज्य विधानसभा में जम्मू के गांधीनगर क्षेत्र से दो बार विधायक रह चुके हैं, बतौर कांग्रेस उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं, जबकि उधमपुर-डोडा संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस ने राज्य के अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह के पौत्र और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. कर्ण सिंह के पुत्र विक्रमादित्य को अपना उम्मीदवार बनाया। उन्होंने भाजपा के डॉ. जितेंद्र सिंह के समक्ष कांग्रेस की तरफ से मजबूत चुनौती पेश की है। इस सीट पर पैंथर्स पार्टी के हर्षदेव सिंह और डोगरा स्वाभिमान संगठन के संस्थापक व पूर्व सांसद लाल सिंह भी मैदान में हैं। उधमपुर सीट के जातीय, सामाजिक सियासी समीकरणों के बीच डॉ. जितेंद्र ¨सह के लिए इस बार चुनावी राह उतनी आसान नहीं रही है। नेकां व पीडीपी के उम्मीदवार न उतारने से कांग्रेस प्रत्याशी की स्थिती को मजबूत माना जा रहा है। इसलिए डॉ. जितेंद्र सिंह की जीत और जीत के अंतर पर सभी के कयास चल रहे हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह उधमपुर-डोडा संसदीय क्षेत्र से भाजपा की तरफ से दूसरी बार चुनाव लड़ रह हैं। वर्ष 2014 में उन्होंने यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज गुलाम नबी आजाद को हराकर जीती थी।
कश्मीर मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार रशीद राही के मुताबिक वीरवार को आने वाला चुनाव परिणाम जहां जम्मू में डोगरा स्वाभिमान के चौ. लाल सिंह और कांग्रेस का भविष्य तय करेगा, वहीं कश्मीर में पता चलेगा कि भाजपा का जनाधार उसके पार्टी कार्यालयों से बाहर है या नहीं। कश्मीर में भाजपा की जीत नहीं, उसके लिए वोटों की संख्या अहम रहेगी। अलबत्ता, उत्तरी कश्मीर में पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार की हार-जीत और दक्षिण कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की हार-जीत कश्मीर की सियासत का सबसे बड़ी खबर बनेगी।
अनंतनाग पुलवामा सीटः महबूबा के लिए अस्तित्व की लड़ाई
कश्मीर घाटी में दक्षिण कश्मीर की अनंतनाग-पुलवामा संसदीय सीट जो इस बार सभी की जिज्ञासा का केंद्र रही है, में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती न सिर्फ अपने सियासी गढ़ को, बल्कि अपनी सियासी साख और अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही हैं। लोगों की पीडीपी के प्रति नाराजगी और वर्ष 2016 के बाद से कश्मीर में जारी हिंसक प्रदर्शनों और चुनाव बहिष्कार का असर, सब उनके खिलाफ नजर आता दिखाई दिया है। उनके प्रभाव वाले इलाकों में मतदान कम हुआ है। हालांकि इस सीट पर कुल 18 उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन उनका मुख्य मुकाबला कांग्रेस के जीए मीर और नेशनल कॉन्फ्रेंस के हसनैन मसूदी से रहा है। कांग्रेस और नेकां के प्रभाव वाले इलाकों में खूब मतदान हुआ है। इस पूरे क्षेत्र में 13 लाख के करीब मतदाताओं में से करीब 1.10 लाख के करीब मतदाता ही वोट डालने आए हैं।
अगर महबूबा यह चुनाव हाारती हैं, तो पीडीपी के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी वापसी करना बहुत मुश्किल होगा। नेकां के हसनैन मसूदी अगर जीतते हैं, तो दक्षिण कश्मीर में जहां नेकां की फिर वापसी होगी तो वहीं कांग्रेस के जीए मीर अगर जीतते हैं, तो आगामी विस चुनाव में कांग्रेस की दक्षिण कश्मीर में एक दो सीटें और बढ़ जाएंगी। इस सीट पर नेकां व कांग्रेस के लिए हारने को कुछ नहीं है, उनके लिए जीतने का ही अवसर है, जबकि पीडीपी के लिए इस सीट पर हार का मतलब कश्मीर की सियासत में बैकफुट पर जाना।
श्रीनगर : जीत-हार तय करेगी फारुक की साख
महबूबा मुफ्ती की तरह नेकां अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारुक अब्दुल्ला के लिए भी यह चुनाव बहुत अहम है। श्रीनगर से एक बार फिर संसदीय चुनाव लड़ रहे डॉ. फारुक अब्दुल्ला जिंदगी में पहली बार वर्ष 2014 में इस सीट पर पीडीपी के उम्मीदवार तारिक हमीद करा से हार गए थे, हालांकि वर्ष 2017 में हुए संसदीय उपचुनाव में उन्होंने यह सीट जीत ली। इस बार उनके सामने पीडीपी के आगा सैयद मोहसिन और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के इरफान रजा अंसारी के अलावा भाजपा के खालिद जहांगीर भी हैं। कांग्रेस ने बेशक उनके समर्थन में अपना उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा। लगभग 13 लाख मतदाताओं में से मात्र 18,1843 मतदाताओं के मतदान केंद्र तक आने के कारण उनकी जीत को यकीनी माना जा रहा है, लेकिन शिया बहुल इलाकों में हुए मतदान और भाजपा के खालिद जहांगीर के पक्ष में कई युवा मतदाताओं की भीड़ को देखते हुए उनकी जीत का अंतर आने वाले समय में कश्मीर में नेकां की सियासत और प्रभाव को तय करेगा। डॉ. अब्दुल्ला को कड़ी टक्कर मिली है, यह मतगणना में नजर आएगा।
बारामुला-कुपवाड़ा: कोई अपने विरोधी से कमजोर नहीं
उत्तरी कश्मीर में बारामुला-कुपवाड़ा संसदीय सीट पर नेकां के मोहम्मद अकबर लोन, कांग्रेस के फारुक, पीडीपी के अब्दुल क्यूम वानी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के राजा एजाज अली और निर्दलीय इंजीनियर रशीद कोई भी मतदान के दिन अपने विरोधी से कमजोर पड़ता नजर नहीं आ रहा था। हालांकि अकबर लोन की स्थिति कश्मीर की सियासत में बीते तीन साल में आए बदलाव के चलते मजबूत मानी जाती है, लेकिन राजा एजाज अली और निर्दलीय इंजीनियर रशीद ने जिस तरह से अपने पैतृक इलाकों से आगे बढ़ते हुए चुनावी रैलियां की हैं, उसे देखते हुए कोई भी इस सीट पर किसी भी प्रत्याशी की चुनावी जीत को लेकर पक्के तौर पर दावा करने से बच रहा है। हालांकि कई लोग राजा एजाज अली की जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन पीडीपी के कयूम वानी को भी कम नहीं आंका जा रहा है। वह कर्मचारी वर्ग में जबरदस्त प्रभाव रखते हैं। अगर इस सीट पर राजा एजाज अली की हार होती है तो यह पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रभाव को कुपवाड़ा तक सीमित कर देगी जो आगामी विधानसभा चुनावों में सज्जाद गनी लोन के लिए मुश्किल का कारण बनेगी।
उत्तरी कश्मीर में ही पूरे कश्मीर में सबसे ज्यादा 34 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है।लेह प्रांत में चार उम्मीदवार मैदान में हैं। भाजपा को अपनी सीट बचाने के लिए अंतिम क्षणेां तक एक मजबूत उम्मीदवार की तलाश करनीपड़ी जो लेह स्वायत्त विकास परिषद के मौजूदा मुख्य कार्यपालक कौंसलिर जमयांग नामगयाल पर आकर समाप्त हुई है। करगिल से विभिन्न मुस्लिम संगठनों ने सज्जाद करगिल को अपना साझा उम्मीमदवार बनाया। उन्हें नेकां व पीडीपी का भी समर्थन प्राप्त है। कांग्रेस के रिग्जिन स्पलबार को टिकट मिला तो करगिल से कांग्रेस के वरिष्ठनेता असगर करबलाइ्रने बगावत कर बतौर निर्दलीय अपना नामांकन जमा करा दिया। मुकाबला पूरी तरह से चार कोणीय है और जो जीतेगा वह चंद वोटों के अंतर से जीतेगा। अगर निर्दलीय सज्जाद करगिली ने चुनावजीता तो लेह में बौद्ध समूुदाय की राजनीतिक पूछ और अहमियत के पतन कीपुष्टि होगी। अगर भाजपा ने सीट जीती तो तय होगा कि लद्दाख का मुस्लिम वर्ग भाजपा के साथ जुड़ चुका है।
जम्मू में भाजपा ने की जीत के जश्न की तैयारी
केंद्र में फिर मोदी सरकार के गठन के साथ जम्मू संभाग की दो संसदीय सीटें जीतने के प्रति पूरी तरह आश्वस्त प्रदेश भाजपा ने वीरवार को राज्य में जीत का उत्सव बड़े पैमाने पर मनाने की तैयारी की है। प्रदेश नेतृत्व ने मंडल इकाइयों को निर्देश दिए हैं कि बूथ स्तर पर ढोल नगाड़ों के साथ मोदी सरकार व भाजपा की शानदार जीत पर लोगों का आभार जताया जाए।
प्रदेश भाजपा ने राज्य में मोदी सरकार के काम का मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ा है। पार्टी जम्मू संभाग की दो सीटों के साथ लद्दाख की सीट जीतने का भी दावा कर रही है। ऐसे में वर्ष 2014 के इतिहास को दोहराया जाता है तो वीरवार को जीत की खुशी भी दोगुनी हो जाएगी। पांच साल पहले भाजपा ने पहली बार राज्य की छह में से तीन संसदीय सीटें जीत कर इतिहास रचा था।
जानकारी के मुताबिक उधमपुर-डोडा संसदीय सीट के उम्मीदवार डॉ. जितेंद्र ङ्क्षसह ने कठुआ में चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद कठुआ से जम्मू तक चुनावी रैलियों को संबोधित करने की तैयारी की है। वहीं, जम्मू-पुंछ से भाजपा के उम्मीदवार जुगल किशोर शर्मा ने जम्मू शहर में विजय रैली निकालने की तैयारी की है। रैली को भव्य बनाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। शहर के हर वार्ड से कार्यकर्ता अपने वाहनों पर भाजपा के झंडे लगाकर जुगल किशोर शर्मा की रैली में शामिल होंगे।
बुधवार को प्रदेश भाजपा की काउंटिंग एजेंटों की बैठकों में मतगणना के दौरान अपनाई जाने वाली रणनीति के साथ जीत की खुशी मनाने की तैयारियों पर भी जोरशोर से चर्चा हुई। जम्मू, कठुआ जिला में हुई इन बैठकों की प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना ने अध्यक्षता की। रैना का कहना है कि हमने वीरवार को भाजपा की जीत को यादगार बनाने की तैयारी की है। लोगों ने देश में फिर से मोदी सरकार को लाने के लिए वोट दिया है। अब उनके फैसले की खुशी मनाने का दिन है। हम तीन संसदीय सीटें जीतने के प्रति आश्वस्त हैं।