छोटी मधुमक्खी भी रोक सकती है हाथियों का काफिला, पढ़ें कैसे

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रायपुर में हाथियों के उत्पात से होने वाली जनहानि को रोकने के लिए अब मधुमक्खी की आवाज का प्रयोग किया जा रहा है। मधुमक्खी की आवाज से हाथी डरते हैं। ...

बिलासपुर:-क्या आपने कभी सुना है कि भारी भरकम शरीर वाले हाथी भी किसी चीज से डर सकते हैं, यदि आपको नहीं पता है तो इस खबर को पढ़िए। हम आपको बता रहे हैं कि क्विटलों वजन वाले हाथी भी एक बहुत ही छोटी चीज की आवाज से डर जाते हैं। और तो और ये बड़े हाथी और उनका समूह यदि इस आवाज को सुन लेता है तो वो उस रास्ते को ही बदल देते हैं। हाथियों को डराने वाली ये अजीब आवाज मधुमक्खियों की है।

दरअसल एक छात्र ने वन विभाग के अधिकारी को सुझाव दिया कि यदि हाथियों को किसी दिशा में जाने से रोकना है तो उस दिशा में किसी प्रकार से मधुमक्खियों की आवाज पैदा करवा दी जाए, मधुमक्खियों की आवाज सुनने के बाद हाथी उस दिशा में नहीं जाता है। इससे पहले सितंबर 2017 में असम में रेलवे ने इस विधि का इस्तेमाल किया था, यहां रेलवे लाइन के आसपास कई बार हाथी आ जा रहे थे वो रेलवे से टकरा जा रहे थे, ट्रेन की टक्कर से कई हाथियों की मौत भी हो गई। उसके बाद रेलवे ने कुछ किलोमीटर के हिस्से में मधुमक्खियों की आवाज का इस्तेमाल करना शुरू किया, इसका रिजल्ट भी ठीक निकला। इसका फायदा यह हुआ कि अब रेलवे ट्रैक के आसपास हाथी नहीं आते। मधुमक्खी की आवाज हाथियों को परेशान करती है। इसके अलावा ट्रेन से कटकर हाथियों के मौत की घटनाएं भी कम हुईं है। छत्तीसगढ़ में सरगुजा इलाका सबसे ज्यादा हाथी प्रभावित क्षेत्र है। असम में इस प्रयोग के जरिए हाथियों पर नियंत्रण पाया गया है। 

इन दिनों छत्तीसगढ़ में हाथियों का उत्पात है, इस उत्पात को रोकने के लिए वहां भी इस दिशा में काम किया जा रहा है। हाथियों से होने वाली जनहानि को रोकने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए वन विभाग को एक छात्र ने अनोखा सुझाव दिया है। छात्र का नाम पवन वर्मा है। छात्र की ओर से रायपुर में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को ये सुझाव दिया गया था। इस सुझाव को अमल में लाने का आश्वासन सरकार की ओर से दिया गया है। अब संभावना जताई जा रही है कि राज्य में इस तरह का प्रयोग जल्द शुरू हो सकेगा। उसका कहना है कि मधुमक्खियों की आवाज से हाथी डरते हैं। यदि हाथी प्रभावित गांवों या ट्रैक के आसपास ऐसा सिस्टम को लगाया जाए, जिससे मधुमक्खियों की आवाज निकले तो हाथियों को रोका जा सकता है। छत्तीसगढ़ में केवल मधुमक्खी पालन कर हाथियों को रोकने का उपाय किया गया है। फिलहाल इसके प्रारंभिक परिणाम सामने आ रहे हैं। 

छत्तीसगढ़ के करीब 10 जिले हाथियों से प्रभावित हैं। यहां हाथी बड़े दल बनाकर जंगलों में स्वच्छंद घूमते रहते हैं और गांवों तक भी पहुंच जाते हैं। यह यहां खेतों में फसलों को रौंधते हैं और आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं। इससे भी बड़ी बात यह है कि हाथी दल लोगों पर भी हमला करते हैं और आए दिन यहां हाथियों के हमले में लोगों की मौत होती रहती है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसी आर्टीफिशियल साउंड सिस्टम की जगह मधुमक्खी पालन के जरिए हाथियों को रोकने के प्रयास पर ज्यादा विचार किया जा रहा है। सरगुजा में इस दिशा में किया गया प्रयोग प्रारंभिक स्तर पर बेहतर परिणाम दे रहा है, लेकिन इसे और व्यापक बनाना जरूरी है। हाथी नियंत्रण के इस काम के साथ ही राज्य में मधुमक्खी पालन के काम में भी तेजी आएगी।

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