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अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि परिसर में पांच जुलाई 2005 को सुबह ही असलहे से लैस आतंकियों ने धमाका किया था। आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच करीब डेढ़ घंटे तक मुठभेड़ चली थी।...
प्रयागराज:- करीब चौदह वर्ष पहले अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि परिसर में आतंकी हमले मामले में मंगलवार को फैसला सुनाया जा सकता है। इसकी सुनवाई पूरी हो गई है। श्री राम जन्मभूमि हमले से जुड़े जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी यहां के सेंट्रल नैनी जेल में बंद हैं।
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि परिसर में पांच जुलाई 2005 को सुबह ही असलहे से लैस आतंकियों ने धमाका किया था। आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच करीब डेढ़ घंटे तक मुठभेड़ चली थी। इसमें पांच आंतकवादी ढेर हुए थे, जबकि दो निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। इस हमले की जांच में आतंकियों को असलहों की सप्लाई और मददगारों में आसिफ इकबाल, मो. नसीम, मो. अजीज, शकील अहमद और डॉ. इरफान का नाम सामने आया। सभी को गिरफ्तार कर पहले फैजाबाद जेल भेजा गया। इसके बाद 2006 में हाईकोर्ट के आदेश पर केंद्रीय कारागार नैनी भेजा गया। यहां मुकदमे की सुनवाई विशेष न्यायाधीश ने की। इस मामले में अब तक 63 गवाहों तथा अभियुक्तों के बयान दर्ज हुए हैं।
बदला लेना था मकसद
बाबरी विध्वंस का बदला लेने के मकसद से सुबह करीब सवा नौ बजे यह हमला किया गया था। अभियोजन का कहना है कि हमलावर चाहते थे कि दो संप्रदायों के बीच शत्रुता बढ़ाकर देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाया जाए। हैंड ग्रेनेड, एके 47, राकेट लांचर व आधुनिक असलहे से लैस होकर आतंकियों ने बमबाजी और फायङ्क्षरग से पहले अपनी मार्शल जीप ब्लास्ट कर उड़ा दी थी।
जम्मू में षड्यंत्र, दिल्ली में पनाह
पुलिस विवेचना में सामने आया है कि हमले से पहले आतंकियों ने जम्मू में आसिफ इकबाल के घर षड्यंत्र रचा था। मार्शल कार में बक्सा बनवाकर उसमें हथियार रखा। मार्शल चलाकर आसिफ दिल्ली में संगम बिहार में डॉ. इरफान के क्लीनिक पर पहुंचा। यहीं अरशद नाम का आतंकी और उसका छोटा भाई अमीन उर्फ इमीन भी आया-जाया करता था। इरफान आतंकियों को जन्म भूमि के बारे में लोकेशन व पनाह देता था। आतंकियों ने अलीगढ़ में हथियार छिपाया था।