बैगन, टमाटर व बीन्स हुए पास, तीनों प्रजातियों को मिली हरी झंडी

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RGA News, वाराणसी

आइआइवीआर ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यहां के वैज्ञानिकों ने शोध के जरिए बैगन टमाटर व बीन्स (फराशबीन) के नई प्रजाति की खोज की है।...

वाराणसी :- भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आइआइवीआर) ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यहां के वैज्ञानिकों ने शोध के जरिए बैगन, टमाटर व बीन्स (फराशबीन) के नई प्रजाति की खोज की है। कई रोगों से लडऩे के अलावा भरपूर पैदावार इसकी खासियत है। 22 से 25 जून के बीच कोयम्बटूर के तमिलनाडु कृषि विवि में आयोजित कृषि वैज्ञानिकों के सम्मेलन में इस पर मुहर भी लग गई है। हालांकि सब्जी की 22 प्रजातियों का चयन किया गया है जिनमें ये तीनों भी शामिल हैं। इसे अब केंद्रीय प्रजाति अनुमोदन समिति को भेजा गया है। 

काशी की तीन सहित देश से 22 प्रजातियां चयनित

आइआइवीआर के निदेशक डा. जगदीश सिंह ने बताया कि सम्मेलन में देश के 54 शोध केंद्रों व 40 निजी बीज कंपनियों ने भाग लिया। राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न सब्जी की कुल 22 किस्मों की पहचान की गई। इसके बाद अनुमोदन के लिए कृषि मंत्रालय के केंद्रीय प्रजाति अनुमोदन समिति के पास गई है।  

काशी की नई प्रजाति

सब्जी 
प्रजाति 

बैंगन   
आइवीबीएल-23

टमाटर
काशी टमाटर-8

फराशबीन
वीआरएफबीपी-14

टमाटर : इस प्रजाति में गुर्चा रोग का प्रकोप कम होता है। सितंबर में रोपण कर फलों की तोड़ाई दिसंबर-मार्च तक की जा सकती है, क्योंकि इस प्रजाति में 32-34 डिग्री तक ताप सहन करने की क्षमता है। औसतन इसकी उपज 60 टन प्रति हेक्टेयर है।

बैगन : इसके फल का रंग हल्का बैगनी, लंबाई 10 से 15 सेमी व वजन 110 से 120 ग्राम प्रति पौध है। फलों की संख्या 35 से 40 तक होती है। सबसे अहम यह कि 60 से 70 दिन में ही पहली तोड़ाई के लिए तैयार हो जाता है। इसकी उपज प्रति हेक्टेयर 500 से 525 कुंटल तक दर्ज की गई है। 

फराशबीन : इस प्रजाति में भी 30-32 डिग्री तक ताप सहने की क्षमता है। तोड़ाई मार्च के अंतिम सप्ताह तक की जा सकती है। जबकि इस दौरान फराशबीन की अन्य प्रजातियों की फलियां बाजार में उपलब्ध नहीं रहती। इसमें फ्रेंचबीन गोल्डेन यलो मोजैक वायरस सहने की क्षमता है। 

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