संचार के बाद अब एफएम का राजस्व भी नेपाल के खाते में

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RGA News, उत्तराखंड पिथौरागढ़

पिथौरागढ़ सरकारों की उदासीनता भारतीय राजस्व को नेपाल जाने से नहीं रोक पा रह...

पिथौरागढ़: सरकारों की उदासीनता भारतीय राजस्व को नेपाल जाने से नहीं रोक पा रही हैं। संचार का बड़ा राजस्व तो अब तक नेपाल जा ही रहा था अब एफएम के जरिए होने वाली आमदनी का भी बड़ा हिस्सा भारत के हाथों से फिसल रहा है

सीमांत जिले पिथौरागढ़ में वर्ष 1994 में आकाशवाणी केंद्र की शुरू आत हुई थी। केंद्र स्थापित करने के पीछे मंशा थी कि स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। लोक कलाकार अपनी रचनाएं केंद्र के माध्यम से प्रसारित कर सकेंगे, लेकिन उद्देश्य पूरा नहीं हुआ। लगभग 25 वर्ष बीत जाने के बाद भी केंद्र में कार्यक्रम प्रसारित करने की सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी। मजबूरी में केंद्र से अल्मोड़ा से प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों का ही पुन‌र्प्रसारण इस केंद्र से होता रहा। वर्ष 2001 में केंद्र के माध्यम से एफएम प्रसारण की कवायद शुरू हुई। इसके लिए चंडाक में मात्र दस वॉट का एंटीना लगाया गया। बहुत कम क्षमता का होने के बावजूद पिथौरागढ़ नगर में एफएम कार्यक्रमों का प्रसारण हो रहा है, लेकिन पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण इसकी पहुंच बड़ी आबादी तक नहीं है। इस बीच पड़ोसी देश नेपाल ने अपने सीमांत जिलों में उच्च शक्ति के एफएम स्टेशन स्थापित कर लिए है। जिनके कार्यक्रम पिथौरागढ़ जिले के हर गांव तक सुने जा रहे हैं। अच्छी पहुंच के चलते एफएम पर विज्ञापन देने वाले भारतीय कंपनियां, व्यापारी भी नेपाली एफएम को विज्ञापन दे रही हैं। इससे भारतीय राजस्व पर चोट पहुंच रही हैं। बता दें जिले के नेपाल सीमा से लगे क्षेत्रों में कमजोर संचार व्यवस्था के चलते भारतीय गांवों के लोग नेपाली संचार सेवा का उपयोग करने को मजबूर हैं। हर वर्ष करोड़ों रू पये नेपाली संचार कंपनियों के खाते में जा रहे हैं। ======== फाइलों में ही रह गया 100 वॉट क्षमता के एफएम एंटीना का प्रस्ताव पिथौरागढ़: पिथौरागढ़ के चंडाक में लगे दस वॉट के एंटीना की क्षमता बढ़ाए जाने का प्रस्ताव आकाशवाणी केंद्र ने तैयार किया था। क्षमता बढ़ाए जाने से जिले के तमाम गांवों तक एफएम की पहुंच होने के साथ ही पड़ोसी जनपद चंपावत, बागेश्वर और अल्मोड़ा के बड़े क्षेत्र में कार्यक्रम सुने जा सकते हैं। इस स्थान पर विभाग के पास अपनी पांच नाली भूमि उपलब्ध है, लेकिन इस प्रस्ताव को आज तक केंद्र सरकार से अनुमति नहीं मिल सकी है। पिछली एनडीए सरकार में केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री के सामने भी इस मामले को रखा गया था, लेकिन कोई पहल नहीं हो सकी। ======= बिजली गुल होते ही ठप हो जाती हैं एफएम सेवाएं पिथौरागढ़: चंडाक केंद्र पहले दूरदर्शन के अंतर्गत था, जिसे फरवरी माह में बंद कर दिया गया। दूरदर्शन में तैनात कर्मचारियों को आकाशवाणी केंद्र में समायोजित करने की कार्रवाई चल रही है। फिलहाल एफएम कार्यक्रम के संचालन में इनकी मदद ली जा रही है। केंद्र के पास अपना जनरेटर है, लेकिन तेल के लिए बजट नहीं है, जिसके चलते क्षेत्र में बिजली गुल होते ही एफएम का प्रसारण भी बंद हो जाता है। ========= चंडाक में लगे एफएम एंटीना की क्षमता बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा गया है। क्षमता बढ़ने पर एफएम के कार्यक्रम गांव-गांव तक सुनाई देने लगेंगे। इसके साथ ही चंपावत, बागेश्वर और अल्मोड़ा के कई क्षेत्र इसके दायरे में आ जाएंगे।

 

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