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RGA News, लखनऊ ब्यूरो चीफ
बसपा प्रमुख मायावती ने 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के निर्णय पर कहा कि यह इन 17 जातियों के लोगों के साथ धोखाधड़ी है।...
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश में 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने को लेकर राज्य की योगी सरकार पर निशाना साधा है। सोमवार को मायावती ने कहा कि योगी सरकार का यह आदेश पूरी तरह से गैर-कानूनी और असंवैधानिक है। जब सरकार जानती है कि इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति का लाभ नहीं मिल सकता है तो सरकार ने ऐसा फैसला क्यों किया? इससे साफ है कि योगी सरकार ने सपा सरकार की तरह इन 17 जातियों को धोखा देने के लिए ये आदेश जारी किया है।
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि राज्य सरकार ने यह कदम उठाकर अनुसूचित जातियों के साथ धोखा किया है, क्योंकि इस निर्णय से वे किसी भी श्रेणी का लाभ प्राप्त नहीं करेंगे। यूपी सरकार उन्हें ओबीसी भी नहीं मानेंगी।मायावती ने कहा कि इस फैसले से इन 17 जातियों को एससी से संबंधित लाभ नहीं मिलेगा, क्योंकि कोई भी राज्य सरकार उन्हें अपने आदेशों के माध्यम से किसी भी श्रेणी में नहीं डाल सकती है या उन्हें हटा नहीं सकती है
मायावती ने कहा कि हमारी पार्टी ने 2007 में केंद्र में तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लिखा था कि इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में जोड़ा जाए और अनुसूचित जाति श्रेणी का आरक्षण कोटा बढ़ाया जाए।इससे अनुसूचित जाति वर्ग में जातियों को मिलने वाले लाभ कम नहीं होता और जिन 17 जातियों को अनुसूचित जाति श्रेणी में जोड़ा जाता, उन्हें भी लाभ मिलता रहता। पहले भी इस तरह की मांग होती रही है, लेकिन केंद्र में न तो वर्तमान सरकार और न ही पहले की सरकारों ने इस बारे में कुछ किया।
उन्होंने कहा कि जब पूर्व में समाजवादी पार्टी की सरकार ने इसी तरह से गैरकानूनी व असांविधानिक और इन 17 जातियों को धोखा देने की नीयत से ऐसा ही आदेश जारी किया तो उस समय भी हमारी पार्टी ने विरोध किया था।
बता दें कि योगी सरकार ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का बड़ा फैसला किया है। इस निर्णय से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसा फासला तय कर लिया है, जो उनके पहले के तीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, मायावती और अखिलेश यादव कोशिश करने के बावजूद नहीं कर सके थे। हालांकि, हाईकोर्ट में दायर एक याचिका की वजह से इन 17 जातियों को जारी होने वाले जाति प्रमाण पत्र हाईकोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन होंगे। फैसले से सूबे की सियासत में हलचल मच गई है।