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RGA News कानपुर
हृदयरोग संस्थान के कार्डियक सर्जन की ऑपरेशन की तकनीक को अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशन के लिए भेजा गया है।...
कानपुर:- अगर दिल का आकार बढ़ गया है, सांस लेने में दिक्कत है तो अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। ऐसे हृदय रोगियों का इलाज अब लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान (कार्डियोलॉजी) में संभव है। यहां के चीफ कार्डियक सर्जन प्रो. राकेश वर्मा ने हार्ट का आकार छोटा कर वॉल्व प्रत्यारोपण की नई तकनीक ईजाद की है। वह तीन साल में 260 मरीजों को स्वस्थ जिंदगी दे चुके हैं, अब उनके अध्ययन को अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशन के लिए भेजा गया है।
ये होती है दिक्कत
दिल में दो चेंबर, लेफ्ट एर्टियम (बायां आलिंद) तथा राइट एर्टियम (दाहिना आलिंद) होते हैं। इनका आकार बढऩे पर हार्ट के लेफ्ट वेंटकिल और राइट वेंटकिल पर दबाव बढ़ता है, इससे हार्ट की पंपिंग प्रभावित होती है, लेफ्ट तथा राइट एर्टियम में खून जमा होने से थक्के बनने लगते हैं। शरीर के दूसरे हिस्सों में खून का संचार प्रभावित होता है और हार्ट का आकार बढऩे लगता है।
12-14 सेंटीमीटर तक बढ़ जाते हार्ट चेंबर
दिल के रोगियों के दोनों हार्ट चेंबर का आकार 12-14 सेंटीमीटर (सीएम) तक बढ़ जाता है जबकि सामान्य व्यक्ति के हार्ट चेंबर का आकर 3.5 सीएम होता है।
बगैर कांट-छांट के छोटे किए चेंबर
प्रो. वर्मा ने इन मरीजों की ओपेन हार्ट सर्जरी की। फिर मॉडिफाइड एलए रिडेक्शन ऑफ द चेंबर तकनीक से बगैर कांट-छांट किए दोनों चेंबर छोटे किए। उसके बाद वॉल्व प्रत्यारोपण किया। इससे दोनों चेंबर का आकार 4 सेंटीमीटर तक हो गया। हार्ट छोटा होने से पंपिंग ठीक हो गई। लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान में कार्डियक थेरोसिक वैस्कुलर सर्जरी के विभागाध्यक्ष प्रो. राकेश वर्मा का कहना है कि जिन मरीजों के हार्ट का आकार बढ़ जाता है, उनके लिए मॉडिफाइड तकनीक ईजाद की है। इससे तीन साल में 260 आपरेशन कर चुके हैं। सूबे के किसी संस्थान में ऐसी सर्जरी नहीं होती।
अब तक 260 रोगियों के आपरेशन
138 पुरुष हृदय रोगी
122 महिला हृदय रोगी
136 मरीजों में एक वॉल्व प्रत्यारोपण
124 मरीजों में दो वॉल्व प्रत्यारोपण
160 मरीजों एक चेंबर छोटा किया
100 मरीजों के दोनों चेंबर छोटे किए
यह होती है दिक्कत
-दिल की मांसपेशियां फैल जाती।
-चलने में सांस फूलना।
-दिल की धड़कन बढऩा।
-शरीर की रक्त आपूर्ति में असर।
-पैरालिसिस (लकवा) अटैक का खतरा।