RGA News, पटना
यह बिहार की राजनीति का नया रूप है। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई अंदाज अच्छा लगता है। जदयू को जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन भा रहा है। ..
पटना :-यह बिहार की राजनीति का नया रूप है। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई अंदाज अच्छा लगता है। वह तारीफ कर देती हैं। जदयू संसदीय दल के नेता आरसीपी सिंह जम्मू-कश्मीर के मसले पर गृह मंत्री अमित शाह की इस राय से सहमत हो जाते हैं कि उस राज्य की मौजूदा खराब हालत के लिए कांग्रेस की नीतियां जिम्मेवार रही हैं। उधर, मुख्य विपक्षी दल राजद मुजफ्फरपुर में एईएस से हुई 150 से अधिक बच्चों की मौत के लिए पूरी सरकार के बदले स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को जिम्मेवार ठहरा रहा है।
राबड़ी घाघ राजनीतिज्ञ नहीं, पर सरल भी नहीं
हाल के दिनों में कई चीजें ऐसी हुईं जो इससे पहले नहीं हुई थी। मसलन, राबड़ी देवी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कहना बहुत अच्छा लगा कि मुजफ्फरपुर में हुई बच्चों की मौतें शर्म की बात है। राबड़ी देवी उनसे सहमत हुईं। सराहना भी की। राजद लगातार भाजपा से लड़ता रहा है। भाजपा को देश की राजनीति से बेदखल करना उसका प्राथमिक लक्ष्य है। राजद की 23 साल की राजनीति में यह पहला अवसर है, जब उसके बड़े नेता को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की बात अच्छी लगी। राबड़ी घाघ राजनीतिज्ञ नहीं हैं। फिर इतनी सरल भी नहीं हैं कि अपने कहे का मतलब न समझ सकें।
काम रोको प्रस्ताव को आसानी से मिली मंजूरी ऐतिहासिक घटना
सोमवार को सरकार ने जिस तरह से विपक्ष के काम रोको प्रस्ताव को आसानी से मंजूर कर लिया, वह भी बिहार विधानसभा के इतिहास की असाधारण घटना है। इसी सदन में कांग्रेसी हुकूमत के दौरान ऐसे ही प्रस्ताव को मंजूर कराने के लिए संपूर्ण विपक्ष को सदन के भीतर धरना देना पड़ा था। स्व. कर्पूरी ठाकुर विपक्ष के नेता थे। सदन की कार्यवाही सप्ताह भर तक बाधित हुई थी। सदन में धरना पर बैठे विधायकों को मार्शल से बाहर करवाया गया था। वही काम रोको प्रस्ताव सोमवार को पेश होने के तुरंत बाद मंजूर कर लिया गया। विपक्ष की मांग का ऐसा सम्मान बिहार विधानसभा में पहले कभी ऐसा हुआ हो, उदाहरण खोजना पड़ेगा। वजह ये भी हो सकती है कि सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। उसे खुद पर भरोसा है। फिर भी विरोधी का यह सम्मान यादगार बन गया।
दो भूमिकाओं में राजद के विधायक
हालांकि, मुख्य विपक्षी दल राजद के विधायकों की दो भूमिकाएं इन दिनों साफ नजर आ रही हैं। उनके एजेंडे में एनडीए सरकार का समग्र विरोध नहीं रह गया है। एक हिस्से को भाजपा का तो दूसरे को जदयू का विरोध अच्छा लगता है। दोनों का एक साथ विरोध किसे अच्छा लगता है, ढूंढऩा मुश्किल है। काम रोको प्रस्ताव पर बहस के दौरान राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी मुख्यमंत्री के प्रति नरम थे तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. हर्षबदर्धन और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के प्रति आक्रामक। हालांकि उन्होंने कहा कि बच्चों की बीमारी के मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए। उम्मीद की जा सकती है कि राजद के रूख में जल्द ही स्थिरता आएगी।
तीन तलाक का विरोध लेकिन अच्छा लग रहा राष्ट्रपति शासन
तीन तलाक के अलावा जम्मू-कश्मीर पर भाजपा की नीति ही वह मुद्दा है, जिस पर भाजपा और जदयू के बीच तकरार है। सोमवार को राज्यसभा में जदयू संसदीय दल के नेता आरसीपी सिंह ने जम्मू-कश्मीर की मौजूदा हालत के लिए पूरी तरह कांग्रेस को जिम्मेवार ठहराया। उन्होंने वहां राष्ट्रपति शासन बढ़ाए जाने के गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्ताव की तारीफ की। अपना अनुभव बताया कि राष्ट्रपति शासन में अच्छा काम होता है। यह भी देखा जा रहा है कि आरसीपी राज्यसभा में और उसके बाहर भी केंद्र सरकार की सराहना से कभी परहेज नहीं करते हैं, जबकि आम धारणा यह है कि जदयू मुद्दे के आधार पर ही भाजपा का समर्थन या विरोध करता है।