RGA News, बस्ती
नाम प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र लेकिन दवाएं गायब हैं। यह हाल तब है जब केंद्र और प्रदेश सरकार जन औषधि को बढ़ावा देने के लिए हर दिन प्रयासरत है। बावजूद इसके गरीबों को यहां सस्ती दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। जरूरी दवाएं केंद्र में नहीं हैं।...
बस्ती : नाम प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र लेकिन, दवाएं गायब हैं। यह हाल तब है जब केंद्र और प्रदेश सरकार जन औषधि को बढ़ावा देने के लिए हर दिन प्रयासरत है। बावजूद इसके गरीबों को यहां सस्ती दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। जरूरी दवाएं केंद्र में नहीं हैं। बताया जा रहा है कि एक ही कंपनी पर दवाओं का भार है। डिमांड पर भी दवाएं नहीं मिल पाती हैं। मौजूदा समय में केंद्र में साढ़े 7 सौ प्रकार की दवाओं की जगह महज 50 प्रकार की ही दवाएं उपलब्ध हैं।
सरकार ने अस्पताल में आने मरीजों को सस्ती दवाएं मिल सके इसके लिए अस्पताल परिसर में ही प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की स्थापना की। यहां बाजार की दर से तीन गुना सस्ती जेनरिक दवाएं मिलती हैं। अधिकतर मरीज बाजार से दवा लेने को मजबूर हैं। भंडार से सस्ती दवाएं गायब हैं। यह हाल जिला अस्पताल, महिला अस्पताल व मेडिकल कालेज के जनऔषधि केंद्रों का है। बताया जा रहा है कि जो दवाएं खत्म हो रही हैं वह दोबारा नहीं मिल पा रही हैं। गरीब मरीजों को सस्ती दवाएं मिलने का सपना टूट रहा
600 प्रकार की मेडिसिन व 154 सर्जिकल के सामान चाहिए
जन औषधि केंद्र पर 600 प्रकार की मेडिसिन और 154 प्रकार के सर्जिकल सामान मिलने हैं। इसमें 50 प्रकार की ही मेडिसिन उपलब्ध है सर्जिकल सामान गायब है। एक ही कंपनी बीपीपीआइ पर दवा देने का जिम्मना है। अधिक डिमांड से दवाएं कम पड़ जा रहीं हैं। जो दवाएं एक्सपायर हो रही हैं उसको कंपनी नहीं ले रही, इसके नाते केंद्र वाले अधिक दवाएं भी नहीं मंगा रहे हैं। मरीज किरन को सस्ती दवा लेनी थी। वह जन औषधि केंद्र गईं, लेकिन वहां वह दवा नहीं मिली, इसके बाद वह बाहर से दवा लेने को मजबूर हुईं।
जन औषधि केंद्रों पर सस्ती दवाएं उपलब्ध हैं। चिकित्सकों को जेनरिक दवाएं लिखने के हिदायत दी गईं हैं। जो दवाएं नहीं हैं उन्हें जल्द मंगवाने के लिए केंद्र संचालक से कहा जाएगा।
डा. जेएलएम कुशवाहा, सीएमओ बस्ती