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RGA News, जयपुर राजस्थान
राजस्थान में पिछली सरकार की अन्नपूर्णा रसोई योजना में भी बदलाव की तैयारी है। ...
जयपुर। पिछली सरकार की योजनाओं को बदलने का सिलसिला जारी रखते हुए राजस्थान की मौजूदा कांग्रेस सरकार जरूरतमंदों को सस्ता भोजन व नाश्ता उपलब्ध करा रही अन्नपूर्णा रसोई योजना में भी बदलाव की तैयारी कर रही है। इस योजना को अब चेन्नई की अम्मा रसोई की तर्ज पर चलाने का विचार है। विभिन्न राज्यों में चल रही ऐसी योजनाओं के अध्ययन के लिए बनाई गई समिति ने रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। बताया जा रहा है कि सरकार पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर इस योजना को लागू कर सकती है।
राजस्थान की पिछली भाजपा सरकार ने जरूरतमंदों को आठ रुपये में भोजन और पांच रुपये में नाश्ता उपलब्ध कराने के लिए अन्नपूर्णा रसोई योजना शुरू की थी। यह योजना प्रदेश के 191 शहरों के 495 स्थानों पर चल रही है। इसके तहत मोबाइल वैन के जरिए संबंधित शहर के प्रमुख सार्वजनिक स्थानों जैसे अस्पताल, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन आदि जगह जरूरतमंदों को सस्ती दर पर नाश्ता और भोजन उपलब्ध कराया जाता है। वास्तविक लागत अधिक होने से संबंधित फर्म को राज्य सरकार की ओर से राशि दी जा रही है। सरकार इस योजना पर हर वर्ष 240 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। दरअसल, स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने योजना में सुधार करने और इसे अधिक व्यापक बनाने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा के तीन अधिकारियों को देश के अन्य स्थानों पर चल रही अन्य योजनाओं का अध्ययन करने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
इन अधिकारियों ने चेन्नई में चल रही अम्मा रसोई योजना और बेंगलुर की इंदिरा रसोई योजना का अध्ययन कर रिपोर्ट मंत्री को सौंप दी है। इसमें अम्मा रसोई योजना को बेहतर मानते हुए मौजूदा योजना में बदलाव की सिफारिश की गई है। अधिकारियों ने मानना है कि चेन्नई की योजना में मोबाइल वैन की जगह स्थायी स्थान पर सस्ता भोजन व नाश्ता उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे लोगों को उसी समय पका हुआ गरम व ताजा खाना मिल रहा है। इसमें प्लेटों की संख्या आवश्यकता अनुसार कम-ज्यादा की जा सकती है। चेन्नई में इसके जरिए स्वयंसेवी सहायता समूहों की स्थानीय महिलाओं को खाना बनाने की जिम्मेदारी देने से उन्हें रोजगार मिल रहा है। अधिकारियों ने माना है कि अम्मा रसोई योजना के मॉडल को राजस्थान में लागू करना ज्यादा बेहतर है। रिपोर्ट में प्रदेश की परिस्थितियों के अनुसार, इसमें बदलाव करने के लिए कुछ सुझाव भी दिए गए है और दावा किया गया है कि इन सुझावों के आधार पर योजना में बदलाव करने से सरकार यह योजना मौजूदा 240 करोड़ के बजाए 120 करोड़ रुपये यानी आधी राशि में लागू कर सकती है।