साहित्‍य जगत को क्षति, नहीं रहे समय चक्र के रचियता डॉ प्रणवीर चौहान 

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 RGA न्यूज़ आगरा ब्यूरो चीफ सोनू शर्मा

शनिवार रात दो बजे ली अंतिम सांस। पत्रकारिता और साहित्‍य जगत में था बड़ा योगदान। आगरा के साहित्‍य जगत में शोक की लहर। ...

आगरा:- साहित्‍य और कला की नगरी आगरा को शनिवार देर रात बड़ी क्षति पहुंची है। साहित्‍य जगत में बड़ा योगदान देने वाले अौर आगरा को शब्‍दों की दुनिया में नये फलक पर पहुंचाने वाले वरिष्‍ठ साहित्‍यकार डॉ प्रणवीर चौहान का शनिवार रात दो बजे निधन हो गया। बीमारी के कारण उनकी मृत्‍यु होना बताया जा रहा है।

आगरा के इतिहास को शब्‍दों में पिरोकर ग्रंथ का आकार देने वाले साहित्‍यकार प्रणवीर चौहान अपने आप में एक पूर्ण शोध थे। उनका कृतित्‍व इतना गहन अध्‍ययन से परिपूर्ण होता था कि वर्षों पुराने उनके लेखन को वर्तमान में भी साहित्‍यकार आधार मानकर अपनी पुस्‍तकों का सृजन कर रहे हैं। उनकी पुस्‍तक समय चक्र में आगरा के संपूर्ण इतिहास की जानकारी है। इस पुस्‍तक का अध्‍ययन कर आज भी कई लेखक शहर के बारे में नित नई पुस्‍तकें लिख रहे हैं। डॉ प्रणवीर चौहान मूलत: एत्मादपुर के हसनपुरा के रहने वाले थे। पत्रकारिता के साथ साहित्‍य साधना में उन्‍होंने अपना जीवन समर्पित किया था। उनके पिता स्‍वतंत्रता सेनानी, पूर्व विधायक और ब्रजभाषा कवि ठा. उल्‍फत सिंह चौहान 'निर्भय' थे। डॉ प्रणवीर अपने पिता की तरह ही समाज सेवा के पथ पर अग्रसित हुए थे।

पत्रकारिता में लिखी सफलता की नई इबारत  

पत्रकारिता के क्षेत्र में डॉ प्रणवीर चौहान एक अनुभवी एवं वरिष्‍ठ पत्रकार के रूप में जाने जाते हैं। उनहोंने आगरा से प्रकाशित पत्र दैनिक मतवाला, दैनिक सैनिक, आगरा साप्‍ताहिक पत्रों में संपादन, सहायक संपादक के रूप में कार्य किया था। करीब 35 वर्षों तक मासिक पत्रिका युवक और चेतक सहित  कई स्‍मृति एवं अभिनंदन ग्रंथों, स्‍मारिकाओं और पुस्‍तकों का पूर्वक संपादन किया है। 

ब्रजभाषा में किया था साहित्‍य का सृजन  

साहित्‍यकार के रूप में  डॉ प्रणवीर चौहान का हिंदी साहित्‍य में बड़ा योगदान है। उन्‍होंने ब्रज लोक संस्‍कृति, ब्रज लोक गीत, इतिहास, जीवनी, साक्षात्‍कार और विभिन्‍न विषयों पर करीब एक हजार से अधिक लेख कादम्बिनी, युग धर्म, सैनिक सहित कई दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए थे। करीब 600 से अधिक बार आकाशवाणी दिल्‍ली, लखनऊए मथुरा और आगरा केंद्र पर वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं। इसके अलावा वे कई सामाजिक संस्‍थाओं से भी जुड़े रहे थे। कई पुरस्‍कारों से अलंकृत किया जा चुका है। 

साहित्‍यकारों ने जताया शोक 

साहित्‍य जगत को हुई इस क्षति पर शहर के साहित्‍कारों में शोक की लहर है। वरिष्‍ठ साहित्‍यकार एवं स्‍वतंत्रता सेनानी रानी सरोज गौरिहार ने इसे एक युग का समाप्‍ता होना बताया है। उनके लिए डॉ प्रणवीर भाई समान थे। सुनीता, रीता, गीता, कविता आदि साहित्‍यकारों ने शोक व्‍यक्‍त किया है। 

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