कांवड़ यात्रा : अग्निहोत्र से पर्यावरण को शुद्ध कर रहे शिवभक्त 

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RGA  न्यूज़ उत्तर प्रदेश मेरठ

अग्निहोत्र का विज्ञान मानता है कि धुएं से हवा में विषाक्त डाईआक्साइड और मोनोआक्साइड टूट जाते हैं। मेरठ के राजीव दशक भर से हवन कर पर्यावरण की शुद्धि की साधना कर रहे हैं।...

मेरठ:- भोले बाबा के भक्तों का रेला दिल्ली रोड पर अचानक रुक जाता है। यहां कोई भजन-कीर्तन, घंटा-घड़ियाल या शिवलीला का मंच नहीं लगा है। धुएं की सुगंध भक्तों का ध्यान खींचती है। सड़क किनारे एक साधक प्रकृति की सेहत की कामना करते हुए अग्निहोत्र कर रहा है। 36 प्रकार की समिधा हवनकुंड में भस्म होकर प्राणवायु बन जाती है। हरिद्वार से जलतत्व लेकर निकले भोलेभक्त भी पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेकर हवन कर रहे हैं। 
ऐसा धुआं जो सोख ले हवा का विष 
अग्निहोत्र का विज्ञान मानता है कि धुएं से हवा में विषाक्त डाईआक्साइड और मोनोआक्साइड टूट जाते हैं। मेरठ के करनावल गांव के राजीव दशक भर से प्रदेशभर में हवन कर पर्यावरण की शुद्धि की साधना कर रहे हैं। रविवार सुबह दस बजे दिल्ली रोड स्थित वासु ऑटोमोबाइल के पास राजीव ने दर्जनों सहयोगियों के साथ डेरा डाला। महामृत्युंजय के जाप के साथ अग्निहोत्र शुरू किया गया। मंत्रों की गूंज ने कांवड़ कैंप के वातावरण में ऊर्जा का संचार कर दिया। 
हवन से थकान भी हो रही खत्‍म 
राजीव ने शिवभक्तों से आहुति डलवाते हुए वायुमंडल को शुद्ध बनाने की सीख दी। करीब एक घंटे तक यज्ञ चलता रहा। कांवड़ियों ने माना कि हवन में भाग लेकर उनकी थकान खत्म हो गई है। वो इसे वैदिक परंपरा का महान पाठ मानते हैं, जिसे इस यात्रा के बहाने फिर से पढ़ने का मौका मिला। 50 से ज्यादा कांवड़ियों ने जलतत्व और हवा को बचाने का संकल्प लिया। मार्ग में तीन अन्य स्थानों पर भी हवन कर भक्तों को जल एवं वायु संरक्षण का संकल्प दिलाया जाएगा। 
जड़ी बूटियों से महक उठा कुंड 
यजुर्वेद के विज्ञान से निकला अग्निहोत्र एक बार फिर लोकप्रिय हो रहा है। यह कांवड़ मार्ग पर शिवभक्तों को खूब रास आया। राजीव ने बताया कि अग्निहोत्र में गाय का घी, चावल, जायफल, इचाइची, जावित्री, गूगल लोहबान, कस्तूरी और केसर समेत दर्जनों जड़ी बूटियां डाली गईं। इसमें मिर्च जलकर परमाणुओं में टूटती है। 
पेड़-पौधों में पोषक तत्व बढ़े 
लोगों की आखों में जलन एवं छींक आती है। इसी प्रकार, अन्य औषधियां भी सूक्ष्म कणों में बंटकर शरीर में लाभकारी प्रभाव छोड़ती हैं। कई औषधियां अग्निकुंड में जलकर वायुमंडल में बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करती हैं। राजीव बताते हैं कि इससे पेड़-पौधों में पोषक तत्व भी बढ़ जाते हैं। टमाटर की खेती पर अग्निहोत्र से अपेक्षाकृत 30 फीसद ज्यादा फल लगे। राजीव ने बताया कि कांवड़ मार्ग पर तीन नई जगहों पर यज्ञ की योजना है। 

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