बेटे की शहादत को प्रेरणा बनाकर जांबाजों की फौज तैयार कर रहे सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर

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RGA न्यूज़ उत्तराखंड देहरादून

बेटे की शहादत से टूटे नहीं बल्कि इसे प्रेरणा बनाकर देश को जांबाज देने में जुटे सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर पीएस गुरुंग आज युवाओं को दिशा दिखाने का काम कर रहे हैं। ...

देहरादून:- बेटे की शहादत से टूटे नहीं, बल्कि इसे प्रेरणा बनाकर देश को जांबाज देने में जुटे सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर पीएस गुरुंग आज युवाओं को दिशा दिखाने का काम कर रहे हैं। ब्रिगेडियर गुरुंग की जिजीविषा का ही परिणाम है कि उनसे बॉक्सिंग प्रशिक्षण लेकर 66 युवा स्पोर्टस कोटे में सेना व अद्र्धसैनिक बलों में शामिल होकर देश की सेवा में लगे हैं।  

ब्रिगेडियर पीएस गुरुंग सेना से जनवरी 2002 में सेवानिवृत्त हुए थे। कारगिल युद्ध से पहले उनका इकलौता बेटा लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग अदम्य शौर्य व पराक्रम दिखाते हुए शहीद हुआ था। बेटे की शहादत के बाद गुरुंग ने ठान लिया कि वह गौतम जैसे युवाओं का कॅरियर संवार को सेना के लिए जांबाज तैयार करेंगे। 

इसी उद्देश्य को लेकर उन्होंने बेटे के नाम पर गौतम गुरुंग बॉक्सिंग क्लब बनाया और गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज परिसर में बॉक्सिंग ङ्क्षरग तैयार कराया। इस क्लब के माध्यम से उन्होंने युवाओं को बॉक्सिंग का प्रशिक्षण देना आरंभ किया। उनके दृढ़ विश्वास और बेहतर प्रशिक्षण को ही परिणाम रहा कि 66 युवा सेना के साथ ही पुलिस ओर अद्र्धसैनिक बलों में स्पोर्टस कोटे में भर्ती होकर देश की सेवा में लगे हैं।  

बॉक्सिंग क्लब में वर्तमान में 103 युवा प्रशिक्षण ले रहे हैं। जिन्हें क्लब निश्शुल्क प्रशिक्षण के साथ ही बॉक्सिंग किट भी उपलब्ध करता है। वहीं इंटरनेशनल मुथाई खिलाड़ी नरेश गुरुंग खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। समय-समय पर अर्जुन अवार्डी कैप्टन पदम बहादुर भी खिलाड़ियों को बॉक्सिंग के गुर बताते आते रहते हैं। 

गौतम गुरुंग बॉक्सिंग क्लब राज्य का पहला ऐसा निजी क्लब है, जिसका अपना बॉक्सिंग रिंग है। सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर गुरुंग का कहना है कि उनका मकसद देश के लिए जांबाज तैयार करना है। इसलिए वह स्पोर्टस कोटे के माध्यम से युवाओं को सेना में जाने के लिए प्रेरित करते है और उन्हें बॉक्सिंग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। 

बेटे की शहादत के बाद खुद को संभाला

बिग्रेडियर गुरुंग ने बताया गौतम गुरुंग ने बीकॉम की पढ़ाई पूरी करने के बाद मास्टर डिग्री की और मुंबई में एमएनसी में नौकरी शुरू की। लेकिन, उनका इस सर्विस से मन ऊब गया और उन्होंने सेना के माध्यम से देश की सेवा करने का निर्णय लिया। 

गौतम सीडीएस के माध्यम से सेना में लेफ्टिनेंट बने। बिग्रेडियर गुरुंग ने बताया कि जब गौतम शहीद हुए वह उनकी ही बटालियान में तैनात थे। वह समय उनके लिए काफी कठिन था लेकिन उन्होंने अपने को टूटने नहीं दिया। 

बेटी ने शुरू किया भाई के नाम से ट्रस्ट

शहीद गौतम गुरुंग की छोटी बहन मीनाक्षी  ने अपने भाई की शहादत के बाद उनके नाम से ट्रस्ट शुरू की। आज उसी ट्रस्ट के पैसे से युवाओं को निश्शुल्क प्रशिक्षण देकर सेना के लिए तैयार किया जा रहा है। मीनाक्षी के पति भी सेना में अफसर हैं। 

इतने खिलाड़ी हुए सेना में भर्ती

गौतम बॉक्सिंग क्लब से प्रशिक्षण लेकर 27 खिलाड़ी गढ़वाल रायफल, 17 खिलाड़ी गोर्खा रायफल, छह खिलाड़ी कुमाऊं, एक बीएसएफ, सात सीआरपीएफ, दो उत्तराखंड पुलिस, एक सीआइएसएफ, एक दिल्ली पुलिस, एक असम रायफल व एक नेवी में सेवा दे रहे हैं।

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