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RGA न्यूज़ उत्तर प्रदेश बनारस
गरीब गुरबाें की आवाज को अपनी लेखनी से स्वर देने वाले मुंशी प्रेमचंद के घर और स्मारक की बिजली उनकी जयंती से पांच दिन पहले काट दी गई।...
वाराणसी:- ख्यात उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद देश ही नहीं दुनिया के लिए किसी धरोहर से कम नहीं। साहित्य की यह धरोहर किसी और देश में होती तो सिर माथे संजोती लेकिन गरीब गुरबाें की आवाज को अपनी लेखनी से स्वर देने वाले मुंशी प्रेमचंद के घर और स्मारक की बिजली उनकी जयंती से पांच दिन पहले काट दी गई। बिजली विभाग ने कनेक्शन को अवैध ठहराते हुए कार्रवाई की। बिजली चोरी के लिए जिम्मेदार की ताक में महकमे अधिकारी रविवार को पूरे दिन मुंशी जी के पैतृक आवास में जमे रहे। हालांकि उनकी कवायद तो निष्फल रही ही लेकिन मामला इस बात पर उलझ गया कि ख्यात साहित्यकार के घर-द्वार पर रोशनी के इंतजाम के लिए जिम्मेदार कौन। ऐसे में जयंती से जुड़े आयोजन के लिए पंडाल मोमबत्ती-लालटेन की रोशनी में लगाया जाता रहा।
दरअसल, मुंशी प्रेमचंद की 125वीं जयंती पर वर्ष 2005 में केंद्र व प्रदेश सरकार की ओर से बड़े जलसे का आयोजन किया गया। घर-स्मारक की देखरेख कर रहे वीडीए ने आनन-फानन बिजली के तार जुड़वा दिए। मुंशी से जुड़े स्थलों के विकास के लिए करोड़ों रुपये मिलने के बाद भी कनेक्शन की बात न तो वीडीए को आई और बिजली विभाग भी जागा तो जयंती से ठीक चार दिन पहले। अफसरों ने कनेक्शन काट कर 14 साल का बिल वसूली के लिए डेरा डाल दिया।
वीडीए ने झाड़ा जिम्मेदारी से पल्ला, गांव पर ठीकरा : ग्राम प्रधान ने बिजली काटे जाने की जानकारी स्मारक की देखरेख की जिम्मेदारी संभाल रहे वीडीए को दी अधिकारियों ने पहले तो डीएम से बात करने की सलाह दी। कुछ ही देर में कर्मचारियों को भेज कर यह भी संदेशा दे दिया कि बिजली का खर्च गांव उठाता है, अहसान भी जता दिया कि अभी तो कह कर कनेक्शन करवा देंगे लेकिन बिल बाद में गांव को ही देना होगा। जयंती से ठीक दिन पहले बिजली काटे जाने के संबंध में स्थानीय विद्युत वितरण खंड के अधिशासी अभियंता डीके दोहरे का कहना था कि छोडि़ए जो कुछ हुआ, बिजली जोड़ दी जाएगी।