सोनभद्र नरसंहार : रसूखदारों व सरकारी मुलाजिमों ने खूब खेला खेल, CM योगी ने सार्वजनिक की रिपोर्ट

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RGA न्यूज़ उत्तर प्रदेश लखनऊ

सोनभद्र नरसंहार से जुड़े घटनाक्रम और गतिविधियों की जांच के लिए अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट में कई तथ्य सामने आये हैं।..

लखनऊ:-सोनभद्र के उभ्भा गांव में 17 जुलाई, 2019 को हुए नरसंहार की जड़ें जिस जमीन से जुड़ी हैं, वह सरकारी भूमि थी। बंजर खाते में दर्ज ग्राम समाज की 1305 बीघा जमीन को 64 साल पहले एक तथाकथित सोसाइटी के नाम दर्ज करने के बाद नियम कानून की धज्जियां उड़ाकर उसे चंद रसूखदार हाथों में सौंपने और बेचने-खरीदने का जो सिलसिला शुरू हुआ, उसमें सरकारी मुलाजिमों ने भी खूब हाथ धोया। धांधली के इस सिलसिले की परिणति 17 जुलाई को उभ्भा में हुए जघन्य हत्याकांड के रूप में सामने आई। सोनभद्र नरसंहार से जुड़े घटनाक्रम और गतिविधियों की जांच के लिए अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आये हैं। समिति की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को उसके निष्कर्षों को सार्वजनिक किया। 

बिना दस्तावेज समिति ने अपनी बताई 1452 बीघा जमीन

जांच समिति ने पाया कि 10 अक्टूबर, 1952 को गठित आदर्श कृषि सहकारी समिति, उभ्भा/सपही के मुख्य प्रवर्तक महेश्वर प्रसाद नारायण सिंह और प्रबंधक दुर्गा प्रसाद राय सहित कुल 12 सदस्य थे। सोसाइटी का गठन ही विवाद का मूल कारण है। यह सोसाइटी बिहार के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व उप्र के पूर्व राज्यपाल चंद्रेश्वर प्रसाद नारायण सिंह के चाचा महेश्वर प्रसाद नारायण सिंह द्वारा गठित की गई थी। महेश्वर प्रसाद नारायण बिहार से कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य और एमएलसी भी रहे। पंजीकरण के समय समिति ने दर्शाया था कि ग्राम उभ्भा में 727 बीघा और ग्राम सपही में 725 बीघा जमीन उसके सदस्यों की है, लेकिन इस बारे में कोई सरकारी दस्तावेज नहीं प्रस्तुत किये गए थे। सिर्फ गाटा संख्या और रकबे की हाथ से लिखी सूची प्रस्तुत की गई थी।

ग्रामसभा की निकली 1305 बीघा जमीन

समिति द्वारा दर्शायी गई जमीनों के बारे में जब जांच समिति ने आधार वर्ष फसली सन् 1359 (वर्ष 1952) की खतौनी से मिलान किया तो पाया कि ग्राम उभ्भा की 641 बीघा और सपही की 664 बीघा कुल 1305 बीघा जमीन बंजर खाते की है, जो ग्रामसभा की होती है।

गैर कानूनी तरीके से समिति के नाम दर्ज की जमीन

राबर्ट्सगंज के तत्कालीन तहसीलदार कृष्ण मालवीय ने 17 दिसंबर 1955 को आदेश पारित कर ग्राम उभ्भा की बंजर खाते की कुल 258 गाटा रकबा 641 बीघा और सपही की 123 गाटा रकबा 693 बीघा तीन बिस्वा जमीन आदर्श कोआपरेटिव फार्मिंग सोसाइटी लिमिटेड उभ्भा/सपही के नाम दर्ज कर दी। इस सोसाइटी का नाम वर्ग-2 सीरदार के रूप में खतौनी में दर्ज किया गया। राबर्ट्सगंज के तत्कालीन तहसीलदार के उस आदेश की फाइल जांच समिति को नहीं मिल पायी। केवल तहसीलदार के आदेश की प्रति रजिस्टर नंबर आर-6 पर अंकित है। तहसीलदार का यह आदेश गलत ही नहीं, उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर था क्योंकि बंजर खाते की ग्रामसभा की जमीन किसी व्यक्ति/समिति के नाम दर्ज कराने का अधिकार उसे था ही नहीं। किस धारा और अधिकार के तहत यह आदेश पारित किया गया और इसके पक्षकार कौन हैं, इसका जिक्र भी आदेश में नहीं है।

जमीन बेचने का ऐसे खुला रास्ता

वर्ष 1985-90 के बीच के 50 गाटे रकबा 524 बीघा चार बिस्वा और सपही के 57 गाटा रकबा 435 बीघा 15 बिस्वा जमीन पर सहकारी समिति को संक्रमणीय अधिकार (भूमि को बेचने का हक) प्रदान किये गए। आइएएस अधिकारी प्रभात कुमार मिश्रा की पत्नी आशा मिश्रा और आइएएस अधिकारी भानु प्रताप शर्मा की पत्नी विनीता शर्मा उर्फ किरन कुमारी द्वारा लैंड रिवेन्यू एक्ट, 1901 की धारा 33/39 के तहत दाखिल दो मुकदमों में एसडीओ राबर्ट्सगंज अशोक कुमार श्रीवास्तव ने छह सितंबर 1989 को आदेश पारित किया गया।

गैरकानूनी तरीके से दो महिलाओं के नाम दर्ज की गई भूमि

इस आदेश के द्वारा उभ्भा और सपही गांवों में समिति के नाम दर्ज जमीनों में से लगभग 18-18 हेक्टेयर जमीन आशा मिश्रा और विनीता शर्मा के नाम दर्ज कर दी गई। एसडीओ ने अपने अधिकारों से परे जाकर यह आदेश पारित किया क्योंकि धारा 33/39 सिर्फ गलतियों को ठीक करने के लिए है। इस धारा के तहत स्वत्व निर्धारण का आदेश पारित नहीं किया जा सकता। विनीता शर्मा ने 17 अक्टूबर 2017 को प्रधान पक्ष के लोगों को 18.211 हेक्टेयर और आशा मिश्रा ने 18.209 हेक्टेयर जमीन बेची। प्रधान पक्ष के लोगों ने वर्ष 2018 में राजस्व विभाग और पुलिस की मदद से बैनामे की भूमि पर कब्जा करने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हुए।

तीन पीढ़ियों से खेती कर रहे थे ग्रामीण

जांच समिति ने मौका मुआयना करने पर पाया कि आदर्श कृषि सहकारी समिति की भूमि पर उभ्भा और सपही गांवों के लगभग 140 परिवार तीन पीढ़ियों से खेती करते चले आ रहे हैं। इसके लिए वे समिति के प्रतिनिधि नीरज राय को प्रतिवर्ष आपसी सहमति के आधार पर तय धनराशि का भुगतान करते थे। 17 अक्टूबर, 2017 को प्रधान पक्ष के लोगों को जमीन का बैनामा किये जाने के बाद उन्होंने धनराशि का भुगतान करना बंद कर दिया।

बिना जांच प्रधान के नाम कर दी जमीन

सोनभद्र के सहायक अभिलेख अधिकारी राजकुमार ने बैनामे के आधार पर ग्रामीणों की गंभीर आपत्तियों और विधिक व्यवस्था के विपरीत जाकर बिना कोई जांच किये 27 फरवरी 2019 को प्रधान के पक्ष में जमीन के नामांतरण का आदेश पारित कर दिया।

डीएम ने भी नहीं सुनी

नामांतरण आदेशों के खिलाफ ग्रामीणों ने जिलाधिकारी सोनभद्र के समक्ष 11 अपीलें दायर कीं। जिलाधिकारी ने छह जुलाई 2019 को इन अपीलों को मात्र तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया। हालांकि जिलाधिकारी न्यायालय में नामांतरण आदेश के खिलाफ बिहार के वैशाली जिले के शहजादपुर गांव के प्रकाश नारायण सिंह की ओर से दो अपील दाखिल की गई हैं जिनका निस्तारण अभी लंबित है और अगली सुनवाई नौ अगस्त को होनी है।

निरीह ग्रामीणों पर गुंडा एक्ट

मामला तूल पकड़ने पर पुलिस प्रशासन ने ग्रामीणों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर गुंडा एक्ट में भी कार्रवाई की लेकिन प्रधान पक्ष के लोगों के खिलाफ कोई निरोधात्मक कार्रवाई नहीं की गई, जिससे उनका मनोबल बढ़ा। अपर पुलिस महानिदेशक वाराणसी जोन ने भी जांच में पाया कि पुलिस ने पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की।

सपा के पूर्व विधायक का करीबी है प्रधान

योगी ने बताया कि 17 जुलाई को सोनभद्र में हुए नरसंहार का मुख्य अभियुक्त ग्राम प्रधान यज्ञदत्त दबंग प्रवृत्ति का व्यक्ति और समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक रमेश चंद्र दुबे का करीबी रहा है। पिछले चुनाव में उसने सपा का प्रचार भी किया था। उसके भाई को वर्ष 2017 से पूर्व सड़क निर्माण का ठेका मिला था।

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