याद करेगी काशी सुषमा का उपहार : प्रवासी भारतीय दिवस की कमान थी सुषमा स्वराज के हाथों में

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RGA न्यूज़ उत्तर प्रदेश काशी

यूं तो काशी को उत्सव की नगरी कहा जाता है। सात वार-नौ त्योहार वाली काशी को सुषमा स्वराज ने एक ऐसा अनूठा उत्सव मनाने का मौका दिया जिसे काशी भूल नहीं सकती।...

वाराणसी:-.जमीं पर चांद कहां रोज-रोज उतरता है। यूं तो काशी को उत्सव की नगरी कहा जाता है। सात वार-नौ त्योहार वाली काशी को सुषमा स्वराज ने एक ऐसा अनूठा उत्सव मनाने का मौका दिया जिसे काशी भूल नहीं सकती। जनवरी में आयोजित तीन दिवसीय प्रवासी भारतीय दिवस के दौरान काशी को उसकी पौराणिक पहचान दिलाने के साथ ही स्वच्छ काशी-सुंदर काशी के सपने को भी साकार किया था सुषमा स्वराज ने। पिछली मोदी सरकार में विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज के निधन की खबर जैसे ही बनारस पहुंची, सहज विश्वास नहीं हुआ। हर किसी की जुबां पर यहीं बात कि अरे, अभी कुछ देर पहले ही तो उन्होंने अनुच्छेद 370 के मामले में पीएम मोदी को ट्वीट के जरिए बधाई दी थी। 

प्रवासी भारतीय दिवस के दौरान सुषमा स्वराज वाराणसी में थीं। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में 15वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन चुनौती भरा था क्योंकि काशी स्मार्ट सिटी के दायरे में नहीं थी और अब तक के सभी सम्मेलन स्मार्ट सिटी में हुए थे। बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए टीएफसी बड़ालालपुर स्टेडियम में प्रवासी भारतीय दिवस का सफल आयोजन कराया। टेंट सिटी में विदेश से आए प्रवासियों को ठहराया। पीएम मोदी ने सम्मेलन का उद्घाटन व समापन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था। दोनों ही समारोह में सुषमा स्वराज मौजूद रहीं। 

काशीवासियों के आतिथ्य को किया था नमन : प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के सफल आयोजन पर सुषमा स्वराज काशी के आतिथ्य की कायल हो गई थीं। उन्होंने कहा था काशी ने पूरी दुनिया में दिखाया कि अतिथि देवो भव: के क्या मायने होते हैं। 

मोदी के प्रचार में बनारस आई थीं अंतिम बार : सुषमा स्वराज अंतिम बार वाराणसी पंद्रह मई को आईं थीं मोदी के लिए चुनाव प्रचार करने। सांस्कृतिक संकुल में मातृशक्ति समागम में शिरकत करने के साथ ही उन्होंने महिलाओं की बाइक रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। 

काशी का सौभाग्य कि वह पीएम चुन रही : भाजपा की प्रखर नेता रहीं सुषमा स्वराज 26 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन के दौरान भी थीं। उन्होंने ने कहा था कि यह काशी का सौभाग्य है कि वह पीएम का चुनाव कर रही है जबकि देश के अन्य संसदीय क्षेत्र के मतदाता अपने सांसद का चुनाव करेंगे। 

राष्ट्रीय मुद्दों पर उनकी स्पष्ट राय रहती थी : भाजपा नेता व बीएचयू छात्रसंघ के पूर्व महामंत्री भूपेंद्र प्रताप सिंह उर्फ रिंटू ने बताया कि 1995 में बीएचयू में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर मालवीय व्याख्यान माला का आयोजन किया गया था। सुषमा स्वराज उस व्याख्यान माला में आई थीं। उनकी स्पष्टवादिता उन्हें राजनीति में एक अलग स्थान दिलाती थी। 

- सुषमा जी के निधन से स्तब्ध हूं भारतीय जनता पार्टी की यह अपूरणीय क्षति है। यह स्थान रिक्त ही रह जाएगा। विनम्र श्रद्धांजलि। -हंसराज विश्वकर्मा, भाजपा जिला अध्यक्ष, वाराणसी।

- सुषमा जी उन प्रखर वक्ताओं में से थीं जिनकी वाणी के सभी कायल थे। उनका असामयिक निधन हम सबके लिए सदमे से कम नहीं है। - डा. नीलकंठ तिवारी, राज्यमंत्री। 

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