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उत्तर प्रदेश में परिवहन नियमों में हुए संशोधन के चलते वेस्ट यूपी में स्कूल बसों की हड़ताल से बुधवार को अभिभावकों को खासी परेशानी उठानी पड़ी। ...
मेरठ:- परिवहन नियमों में हुए संशोधन को स्कूल संचालकों के खिलाफ और परिजनों पर अधिक बोझ डालने वाला बताते हुए स्कूलों ने बसों की हड़ताल कर दी है। इसका व्यापक असर बुधवार को मेरठ, सहारनपुर सहित अन्य जिलों में देखने को मिला। बड़ी संख्या अभिभावक स्वयं ही अपने वाहनों से बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए पहुंचे। हालांकि हड़ताल के मद्देनजर कुछ स्कूलों ने दो दिन का अवकाश घोषित किया है। लेकिन बुधवार को अभिभावकों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी।
छह सौ हड़ताल में शामिल
मेरठ के साथ ही पश्चिम उत्तर प्रदेश के 10 शहरों में बुधवार 28 अगस्त और गुरुवार 29 अगस्त को स्कूल बसों की हड़ताल रहेगी। कांफेडेरेशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल यानी सीआइएस से जुड़े पश्चिम के 10 जिलों के करीब छह सौ स्कूलों ने इस हड़ताल में शामिल हो रहे हैं। इस हड़ताल में मेरठ स्कूल्स फेडरेशन से जुड़े स्कूल संचालकों का भी समर्थन है। मेरठ जिले के सभी पब्लिक स्कूलों की बस सेवाएं 28-29 अगस्त को बंद रहेंगी।
परिजनों को स्वयं लाना होगा बच्चों को
मेरठ में स्कूल बसों की हड़ताल रहने के बाद भी सभी स्कूल खुले रहेंगे। परिजनों को स्वयं बच्चों को स्कूल पहुंचाना और छुट्टी के बाद वापस ले जाना पड़ेगा। ऐसे में जो परिजन बच्चों को स्कूल पहुंचाना व लाना चाहते हैं उन्हें अपने व्यवस्था समय से कर लेनी होगी। स्कूल खुलने व छुट्टी के समय अत्यधिक वाहन एक ही जगह पहुंचने से जाम की स्थिति भी बन सकती है जिससे परिजनों को परेशानी उठानी पड़ेगी। स्कूलों की ओर से भी परिजनों को एसएमएस के जरिए बसों की हड़ताल रहने की सूचना दे दी गई है। साथ ही परिजनों से बच्चों को स्वयं स्कूल पहुंचाने और वापस ले जाने को भी कहा गया है।
बातचीत से नहीं निकला हल
स्कूल संचालकों और प्रशासन के विभिन्न स्तर पर हुई बातचीत का होई हल नहीं निकला है। स्कूल बदले नियमों को पुन: संशोधित करने की मांग पर अड़े हैं। वहीं जिला प्रशासन की ओर से इस ¨बदु पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने से स्कूलों ने भी परिजनों और बच्चों की परेशानी को नजरअंदाज करते हुए बसों की हड़ताल करने का निर्णय लिया है। दो दिनों तक बसों से आने-जाने वाले शहर के 60 हजार से अधिक बच्चों को परिजन निजी वाहनों से स्कूल पहुंचाने को मजबूर होंगे। स्कूलों में पढ़ने वालों बच्चों में तकरीबन 30 फीसद ही स्कूल बसों से आते हैं। इससे अधिक बच्चे पहले ही निजी वाहनों, ऑटो रिक्शा, वैन आदि से स्कूल पहुंचते हैं।
ऑटो-वैन पर भी हड़ताल का बनाया दबाव
स्कूलों में चल रहे ऑटो रिक्शा और वेन पर भी बस संचालक व ट्रांसपोर्टर हड़ताल करने का दबाव बना रहे हैं। मंगलवार को स्कूलों के आस-पास हड़ताल से जुड़े लोग ऑटो रिक्शा और वैन को भी दो दिनों तक बच्चों को स्कूल पहुंचाने से मना कर रहे हैं। ऐसे में जिन परिजनों के बच्चे ऑटो रिक्शा या वैन से स्कूल आना-जाना करते हैं उनके मन में भी आशंका बनी हुई है।
कुछ स्कूलों ने छोटे बच्चों की छुट्टी की
स्कूल बसों की हड़ताल को देखते हुए कुछ स्कूलों ने छोटे बच्चों की दो दिनों के लिए छुट्टी कर दी है। केएल इंटरनेशनल स्कूल की ओर से एलकेजी से कक्षा पांचवीं तक के बच्चों की छुट्टी कर दी गई है। वहीं आठवीं से 12वीं तक के बच्चों के परिजनों को स्वयं ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था करने संबंधी एसएमएस भेजे गए हैं। इसी तरह कुछ अन्य स्कूल भी परिजनों से संपर्क कर रहे हैं।
परिवहन मंत्री को दिया ज्ञापन
सीआइएस और एआइईईएफ संगठनों की ओर से परिवहन मंत्री अशोक कटारिया से मुलाकात कर ज्ञापन सौपा गया है। ज्ञापन में स्कूलों का पक्ष और हड़ताल होने की स्थिति से अवगत कराते हुए परिवहन नियमों में जरूरी बदलाव करने की मांग रखी गई है।
इन शहरों में रहेगी हड़ताल
सीआइएस के अंतर्गत स्कूल बसों की हड़ताल मेरठ, शामली, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, अमरोहा, मोदीनगर, मुरादनगर और मुजफ्फरनगर में दो दिन बस हड़ताल रहेगी। वहीं हापुड़ और बागपत में 29 को स्कूल बसों की हड़ताल रहेगी।
शिक्षकों को बाहर खड़ा रखें स्कूल
जिला विद्यालय निरीक्षक गिरजेश कुमार चौधरी ने कहा कि मेरठ स्कूल फेडरेशन की ओर से आहुत बस हड़ताल के कारण स्कूलों के समक्ष स्कूल खुलने व छुट्टी के समय जाम जगने की संभावना है। बच्चों व परिजनों को अधिक असुविधा न हो इसलिए सभी स्कूल अपने शिक्षकों को दोनों समय गेट पर तैनात रखें। यह सभी की सम्मिलित जिम्मेदारी हे कि बच्चों को परेशानी न हो।
इन नियमों के कारण स्कूल प्रबंधक कर रहे हैं हड़ताल
बस चालक के दुर्घटना करने पर स्कूल प्रिंसिपल व प्रबंधन के खिलाफ एफआइआर।
आरटीओ के बाद जिला व स्कूल समितियों से भ्रष्टाचार को मिलेगा बढ़ावा।
हर बस में एक-एक महिला सहायकों की तैनाती हुई अनिवार्य।
हर सीट पर अनिवार्य रूप से सीट बेल्ट लगाना।
स्कूल बस, सहायक व महिला सहायक का यूनिफार्म व अन्य व्यवस्था।
स्कूल बसों में कैमरे, जीपीएस, सीट बेल्ट आदि का अत्यधिक खर्च।
स्कूल संचालकों का तर्क
दुर्घटना दुर्भाग्यपूर्ण होती है पर सीधे प्रिंसिपल व प्रबंधक कैसे जिम्मेदार।
आरटीओ की निगरानी ही बढ़ाने से बन सकती है बात।
हर बस में एक महिला का खर्च अधिक होगा। उनकी सुरक्षा की चिंता भी रहेगी।
बसों में तमाम सुरक्षा के उपाय अच्छे हैं लेकिन अत्यधिक खर्च बढ़ने से स्कूल व परिजनों पर बढ़ेगा दबाव।
अभिभावक बोले- बच्चों को नहीं भेजेंगे स्कूल
स्कूल बसों की हड़ताल को देखते हुए कई परिजनों ने दो दिनों तक बच्चों को स्कूल न भेजने का निर्णय लिया है। परिजनों ने सीधे स्कूलों से ही सपंर्क कर यह जानकारी दे दी है कि वह बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाएंगे। स्कूल भी ऐसे परिजनों पर बच्चों को स्कूल भेजने का कोई दबाव नहीं दे रहे हैं। बुधवार और गुरुवार को स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति काफी कम रहने की उम्मी जताई जा रही है।
छूट मिले तो स्कूल भी बढ़ाएंगे हाथ
सीआइएस के सचिव राहुल केसरवानी के अनुसार हर बस में महिला सहायक लगाने और उन्हें सुबह पांच बजे से ड्यूटी पर लाना संभव नहीं है। इसमें छूट मिलनी चाहिए। स्कूल बसों को जीएसटी, रोड कैक्स, फिटनेस चार्ज, परमिट चार्ज आदि में छूट मिलनी चाहिए जिससे खर्च को बैलेंस किया जा सके। इसके अलावा एफआइआर के क्लाज में बदलाव किया जाना चाहिए। बस चालक की गलती पर प्रबंध गिरफ्तार होंगे तो स्कूल का संचालन नहीं हो पाएगा।