
RGA न्यूज़ पंजाब जालंधर
इस समय जिले में करीब 3700 टीबी के मरीजों का इलाज चल रहा है। इनमें से करीब 2500 मरीजों का सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों और शेष का निजी डॉक्टरों के पास इलाज हो रहा है।...
जालंधर:- सरकार ने वर्ष 2025 तक पंजाब को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के मुलाजिमों की लचर कार्यप्रणाली के कारण यह सपना धूमिल होने लगा है। विभाग के पास दवाइयां होने के बावजूद वे मरीजों तक नहीं पहुंच रही हैं। इस कारण उन्हें भटकना पड़ रहा है। हाल यह है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। बता दें कि इस समय जिले में करीब 3700 टीबी के मरीजों का इलाज चल रहा है। इनमें से करीब 2500 मरीजों का सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों और शेष का निजी डॉक्टरों के पास इलाज हो रहा है।
बता दें कि टीबी विभाग में जिला टीबी अफसर का पद पिछले करीब दो साल से खाली पड़ा है। स्वास्थ्य केंद्र शंकर के एसएमओ के अतिरिक्त कार्यभार संभालने से विभाग की कार्यप्रणाली पूरी तरह से गड़बड़ा गई है। दवाइयों की सप्लाई को लेकर संबंधित स्टाफ की मनमानी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। सेहत विभाग की नीतियों के मुताबिक टीबी के मरीजों को मुफ्त उनके घर के नजदीक मुहैया करवाना है, परंतु यहां उलटी गंगा बह रही है। मरीजों को दवा लेने के लिए मजबूरन जिला टीबी क्लीनिक क्लीनिक के चक्कर काटने पड़ रहे है।
विभाग के मुलाजिम कर रहे मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़
टीबी के एक मरीज ने बताया कि उसे दवा लेने के लिए भटकना पड़ रहा है। जब से इलाज शुरू हुआ है तब से दो बार जालंधर आना पड़ा है। इसके लिए काम से छुट्टी के लेने साथ आने-जाने का किराया उसे अपनी जेब से खर्च करना पड़ा है। यहां पहुंचने पर संबंधित अधिकारी टालमटाेल कर दवा पहुंचाने का आश्वासन देकर वापस भेज देते हैं और फिर दवा के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। यह तब जबकि डॉक्टरों का कहना है कि दवा रोजाना खानी है और बीच में छोड़ने से बीमारी खतरनाक रूप दारण कर लेती है। साफ है कि सेहत विभाग के मुलाजिम ही मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
मल्टी ड्रग रजिस्टेंस (एमडीआर) मरीजों की दवा में हर बार कुछ बदलाव होते है। फार्मेसी अफसर की बाढ़ में ड्यूटी लगने से कुछ दिन समस्या थी। स्टाफ की कमी भी चल रही है। अब सभी जगह पर मरीजों की दवा भिजवा दी गई है। उन्होंने मरीजों की समस्या को प्राथमिकता के आधार पर समाधान करने की बात कही।
-डाॅ. राजीव शर्मा, जिला टीबी अधिकारी।
सिविल सर्जन बोली, समस्या का गंभीरता से हल किया जाएगा
इधर, सिविल सर्जन डाॅ. गुरिंदर कौर चावला ने समस्या को गंभीरता से लेने की बात कही है। उन्होंने कहा कि मरीजों की दवा को लेकर ढुलमुल रवैया अख्तियार करने वाले मुलाजिमों आड़े हाथों लिया जाएगा। इस संबंध में संबंधित अधिकारी को समस्या का समाधान करने की हिदायतें दी जाएगी।