दुश्मनों के रडार को चकमा देने में उस्ताद है तेजस, जानें इसके बारे में

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को बेंगलुरु स्थित एचएएल हवाईअड्डे से तेजस लड़ाकू विमान में उड़ान भरी। इसी के साथ वह हल्के लड़ाकू विमान में उड़ान भरने वाले पहले रक्षा मंत्री बन गए। राजनाथ के साथ एयर वाइस मार्शल एन तिवारी भी थे। तिवारी बेंगलुरू में एयरोनॉटिकल डवल्पमेंट एजेंसी (एडीए) के नेशनल फ्लाइट टेस्ट सेंटर में परियोजना निदेशक हैं। तेजस दुश्मनों के रडार की पकड़ में नहीं आता। आधुनिक रडार और मिसाइल जैमर से भी इस लड़ाकू विमान को लैस किया गया है।

तेजस ने बीवीआर मिसाइल का सफल परीक्षण किया
अप्रैल 2018 में स्वेदशी रुप से विकसित हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस ने हवा से हवा में मार करने वाली बीवीआर मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था। इस दौरान तेजस ने एक प्रभावी जंगी जेट के तौर पर अपनी पूरी क्षमता प्रदर्शित की और वह अंतिम परिचालन मंजूरी हासिल करने के बिल्कुल करीब पहुंच गया।

हवा में उड़ते हुए तेजस लड़ाकू विमान में भरा गया ईंधन
सितंबर 2018 में देश में निर्मित हल्के लड़ाकू विमान तेजस में पहली बार सफलतापूर्वक हवा में उड़ान के दौरान ईंधन भरा गया। इस तरह भारत उन देशों के विशिष्ट समूह में शामिल हो गया, जिसके पास सैन्य विमानों के लिए हवा में उड़ान के दौरान ईंधन भरने की प्रणाली है। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने यह जानकारी दी।

आकाश के साथ समंदर की भी निगहबानी करेगा फाइटर प्लेन तेजस
सितंबर 2019 में हल्के लड़ाकू विमान तेजस के नौसेना संस्करण के विकास की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम के तहत इस विमान ने विमान वाहक पोत पर उतरने की अपनी काबिलियत प्रदर्शित की। विमानवाहक पोत पर लड़ाकू विमान को 'एरेस्टेड लैंडिंग' के तहत उतारा जाता है। इस लैंडिंग के दौरान नीचे से लगे तारों की मदद से विमान की रफ्तार कम कर दी जाती है। स्वदेशी तकनीक से विकसित भारत के इस हल्के लड़ाकू विमान के 'एरेस्टेड लैंडिंग' से जुड़े सैन्य अधिकारियों ने बताया कि इस सफल परीक्षण से भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में पहुंच गया है जो विमानवाहक पोत पर उतरने में सक्षम जेट विमान का डिजायन तैयार करने में समर्थ है।

तेजस पर उड़ान भरने के बाद आर्मी चीफ बिपिन रावत ने क्या कहा था
सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने गुरूवार को बेंगलुरू एयरो इंडिया 2019 शो के दौरान हल्के लड़ाकू विमान तेजस में हवाई उड़ान भरी और इसकी क्षमता को परखा था। जनरल रावत ने मेड इन इंडिया के तहत बनाए गए स्वदेशी लड़ाकू विमान पर सवारी के बाद इसे शानदार एयरक्राफ्ट बताते हुए कहा कि यह भारतीय वायुसेना की ताकत को और बढ़ाएगा।

क्यों खास है स्वदेशी 'तेजस'
तेजस की सबसे बड़ी खासियत यह है कि कम ऊंचाई पर उड़कर यह दुश्मन पर नजदीक से सटीक निशाना साध सकता है और यह दुश्मन के रडार को चकमा देने में माहिर है। तेजस हवा से हवा में और हवा से जमीन पर मिसाइल दागने में सक्षम है। इसमें एंटीशिप मिसाइल, बम और रॉकेट भी लगाए जा सकते हैं। डर्बी और अस्त्र मिसाइल से भी 'तेजस' लैस हो सकता है। इतना ही नहीं, 'तेजस' लड़ाकू विमान के जरिए लेजर गाइडेड बम से दुश्मनों पर हमला किया जा सकता है। आधुनिक रडार और मिसाइल जैमर से भी इस लड़ाकू विमान को लैस किया गया है।

लड़ाकू विमान 'तेजस' की गति और ताकत
ध्वनि की गति से दोगुनी रफ्तार से उड़ान भरने वाला लड़ाकू विमान 'तेजस' 2222 किमी प्रति घंटा की गति से उड़ान भरने में सक्षम है। इतना ही नहीं, 'तेजस' एक बार में 3850 किमी की दूरी तक उड़ान भरने की काबिलियत रखता है। अगर सभी तरह के हथियारों से 'तेजस' को लैस कर दिया जाए, तो इसका कुल वजन करीब 13,500 किलो होगा। पूरी तरह से स्वदेशी लड़ाकू विमान 'तेजस' 13.2 मीटर लंबा और 4.4 मीटर ऊंचा है।

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