RGA न्यूज़ आगरा
नवंबर 1929 को मथुरा में गायों की दुर्दशा पर व्यथित हुए थे गांधी बोले थे कन्हैया जिसे पूजते थे वो बन गईं बोझ हालत आज भी वैसी।...
आगरा:- बापू, मैं मथुरा नगरी हूं। वह मथुरा जहां कन्हैया की गायें स्वच्छंद विचरण करती थीं, लेकिन आज गोपाल की नगरी में उनकी गायों की हालत खराब है। पेट भरने को गायें जब कूड़े में मुंह मारती हैं, खाद्य सामग्री की आस में पॉलीथिन भी खा लेती हैं तो मैं अंदर ही अंदर रो देती हूं। बापू, आपने 90 साल पहले मथुरा आगमन पर गायों की दुर्दशा पर जो व्यथा जताई थी, गायांे की हालत आज भी वैसी ही है।
बापू, वैसे तो मेरे आंगन में चार बार (14 अप्रैल, 1914, नौ अप्रैल, 1919, 7 नवंबर 1921 और 6-8 नवंबर 1929) आ चुके हैं। कभी आजादी की अलग जगाने तो कभी अन्य मिशन में सहभागिता केआह्वान के लिए। मगर आठ, नवंबर 1929 को वृंदावन में दिए गए आपके संबोधन का एक-एक शब्द मुङो याद है।
मथुरा में कान्हा की गायों की दुर्दशा आपसे देखी नहीं गई थी। दुखी मन से आपने कहा था- ‘जब कोई ब्रज में आता है, तो वह ये उम्मीद लेकर आता है कि गोपाल की जन्मभूमि होने के कारण यहां सवरेत्तम गोवंश देखने को मिलेगा। लेकिन अफसोस यहां सड़कों से गुजरते मैंने देखा कि चौपायों की दशा खराब है। इस पवित्र स्थान पर एक बूचड़खाना भी है, जहां मांसाहार के लिए पशुवध होता है।’ आपने आगे कहा था- ‘जिन पशुओं की कृष्ण रक्षा किया करते, उन्हें पूजते, वे आज बोझ बन गई हैं।’
बापू, यकीन मानिए जब आपने ये कहा, तो मुङो लगा मेरे आंचल की सारी पीड़ा आपने बयां कर दीं। मैं आपकी बात सुनकर मन ही मन खूब रोई, फिर ये सोचकर खुद को ढांढस बंधाया कि बापू ने कहा है तो हो सकता है दशा कुछ सुधरे। बस, दुख इस बात का है कि गोपाल की गायों को लेकर आपकी बात को ब्रजवासियों ने भी अनसुना कर दिया है। आज लाखों गाय मेरे आंगन में पल रही हैं, 39 गोशालाएं तो सरकारी कागजों में दर्ज हैं। लेकिन सड़कों पर कूड़ा और पॉलीथिन चबाती गायों को जब देखती हूं, तो आंखों से नीर बहता है। गोसेवा करने वालों को सड़कों पर विचरण करती कन्हैया की गाय नहीं दिखतीं। बापू, आप भले ही चले गए, लेकिन आपकी पीर आज भी वैसी ही है। कुछ हुआ तो बस इतना कागजों में दर्ज बूचड़खाने बंद हो गए, लेकिन अवैध अभी भी वध कर रहे हैं। बस यही उम्मीद करती हूं कि बिहारी जी शायद कुछ करें तो दशा सुधरे। ये उम्मीद शायद अंतहीन है।
आपकी कमी महसूस हो रही है, आपको दिल से नमन।
संग्रहालय में रखे हैं गांधी और शास्त्री के अस्थि कलश
राजकीय संग्रहालय में महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री और पंडित जवाहर लाल नेहरू के अस्थिकलश रखे हैं। इन तीनों लोगों की अस्थियां मथुरा में ही यमुना में प्रवाहित की गई थीं। लोगों के देखने के लिए संग्रहालय में ये अस्थि कलश रखे हैं। तीन साल पहले ये अस्थि कलश में संग्रहालय के गोदाम में रखे थे, उन्हें तीन साल पहले ही लोगों को देखने के लिए निकाला था।