गांधी जयंती विशेष: हर सुबह सड़कों की सफाई करता ये पगला झाड़ूवाला, जुनून ऐसा कि बेच दिए पत्‍नी के गहने

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RGA न्यूज़ बिहार पटना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्‍वच्‍छता अभियान के पहले से बिहार में एक युवक अपने बूते स्‍वच्‍छता की मुहिम में जुटा है। वह हर सुबह हाथ में झाड़ू लेकर सड़कों की सफाई में जुट जाता है।...

पटना:- राष्‍ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार बनने के बाद साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने दो अक्तूबर को महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के जन्म दिवस को स्वच्छता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झाड़ू लेकर अपने परिवेश को साफ रखने की प्रेरणा दी। लेकिन इस काम में बिहार का एक युवा पहले से ही जुटा था।

संसाधनों के अभाव के बावजूद दिल में स्‍वच्‍छता की ऐसी ललक कि हर सुबह हाथ में झाड़ू लेकर सड़कों पर निकलना दिनचर्या में सालों से शामिल है। बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले इस युवक को लोग प्‍यार से 'पगला झाड़ूवाला' (Pagla Jhadu wala) कहते हैं। वैसे महात्‍मा गांधी की स्‍वच्‍छता के इस आधुनिक सिपाही कर असली नाम शशिभूषण सिंह Shashi Bhushan Singh) है।

2011 से अपने बूते चला रहे स्वच्छता अभियान

शशिभूषण सिंह सीतामढ़ी के मेजरगंज प्रखंड स्थित डुमरी कला गांव में साल 2011 से ही अपने बूते स्वच्छता अभियान चलाने में लगे हैं। कहते हैं, पहले तो लोग 'बेकारी में टाइमपास', पगला झाड़ू वाला' व न जाने और क्‍या-क्‍या ताने मारते थे, लेकिन हिम्‍मत कायम रखा। हार नहीं मानी। अपने पैसे से झाड़ू व टोकरी खरीदकर साफ-सफाई में लगे रहे। जहां कहीं गंदगी दिखती, साफ कर देते। शशिभूषण सिंह बताते हैं कि इरादे व काम नेक हों तो लोग उसे समझते ही हैं। उनके साथ भी ऐसा ही हुआ। लाेग तो आज भी पगला झाड़ू वाला' कहते हैं, लेकिन अब इसमें उनका प्‍यार झलकता है। शशिभूषण सिंह लोगों को खुले में शौच के विरोध में भी जागरूक करते हैं।

ऐसे मिली प्रेरणा, फिर अकेले ही शुरू किया काम

बकौल शशिभूषण सिंह, जब वे पढ़ाई करते थे, तब अपने इलाके में पसरी गंदगी देखकर उन्‍हें पीड़ा होती थी। उन्‍ही दिनों गांव के एक भाग में बीमारी फैलने से कई लोगों की मौत ने उन्‍हें झकझेार दिया। तभी उन्‍होंने गंदगी के खिलाफ स्‍वच्‍छता का संकल्‍प ले लिया। इसे लिए उन्‍होंने समाज के सहयोग के लिए विलंब नहीं किया। अकेले ही मुहिम शुरू कर दी।

भी दिया साथ, जरूरत पड़ी तो बेच दिए गहने

परिवार के आर्थिक हालात अच्‍छे नहीं थे, समाज के ताने भी मिलने लगे थे। लेकिन उन्‍होंने हार नहीं मानी। बाद में उनकी पत्नी ने भी साथ दिया। स्‍वच्‍छता अभियान में जरूरत के सामान के लिये अपने गहने तक बेंच डाले।

जनसमर्थन से बने पंचायत वार्ड सदस्य, गांव को गर्व

शशिभूषण सिंह आज किसी परिचयके माेहताज नहीं। अ‍ब उन्‍हें लोगों का भरपूर प्‍यर भी मिलता है। यह जनसमर्थन ही है कि 2015 के पंचायत चुनाव में वे वार्ड सदस्य निर्वाचित हुए। आज पूरे डुमरी कलां के ग्रामीण उनपर गर्व करते हैं।

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