डॉ. कफील को क्लीन चिट नहीं दे रही सरकार, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा ने कहा- अभी जांच जारी

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RGA न्यूज़ उत्तर प्रदेश लखनऊ

प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा रजनीश दुबे ने बताया कि बीआरडी कॉलेज में बच्चों की आकस्मिक मौत पर निलंबित डॉ. कफील को किसी ने क्लीन चिट नहीं दी है। ..

लखनऊ:- गोरखपुर के बाबा राघवदास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में बच्चों की आकस्मिक मौत के आरोप में निलंबित डॉ.कफील अहमद खान भले ही खुद को क्लीन चिट मिलने का दावा कर रहे हों, लेकिन प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ.रजनीश दुबे ने उनके दावों को शुरुआती जांच रिपोर्ट की गलत व्याख्या बताया है। दुबे ने सफाई देते हुए कहा कि जांच रिपोर्ट के जिन बिंदुओं के आधार पर कफील खुद को निर्दोष बता रहे हैं, उसमें शासन के सामने नए तथ्य आए हैं।

तत्कालीन प्रमुख सचिव कर एवं निबंधन हिमांशु कुमार ने आरोप सिद्ध न होने की बात आख्या में दर्ज की थी। रजनीश दुबे के मुताबिक कफील का पक्ष लेने के लिए यह आख्या उन्हें भेजी गई थी, लेकिन कफील ने इसे अपनी क्लीन चिट की तरह प्रचारित करना शुरू कर दिया। प्रमुख सचिव ने बताया कि कफील भले ही किसी और के प्रभारी होने की बात कह रहे हों, लेकिन शासन के सामने आए नए अभिलेख बताते हैं कि वर्ष 2016 व 2017 में कफील 100 बेड वाले वार्ड के नोडल ऑफीसर थे।

प्रमुख सचिव ने बताया कि डॉ.कफील के द्वारा नोडल ऑफीसर के रूप में पत्राचार किया गया है और नोडल ऑफीसर होने की वजह से ही उन्हें क्रय समिति में सदस्य भी नामित किया गया था। दुबे ने बताया कि नए तथ्य आने के बाद कफील खान पर 100 बेड वाले वार्ड के प्रभारी के तौर पर अपने उत्तरदायित्व निभाने में बरती गई लापरवाही संबंधी आरोपों की जांच जारी है और प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य देवेश चतुर्वेदी को जांच अधिकारी बनाया गया है।

डॉ.कफील पर 22 सितंबर 2018 को बहराइच जिला अस्पताल के बाल रोग विभाग में जबरन घुसकर इलाज करने, अफरातफरी फैलाने और बच्चों के जीवन पर संकट खड़ा करने का भी आरोप है। प्रमुख सचिव ने बताया कि कफील पर कुल सात आरोपों पर विभागीय कार्रवाई चल रही हैं। एक में बच्चों की मौत से संबंधित चार आरोप थे, जिसमें दो सिद्ध हैं, जबकि दो आरोपों के संबंध में नए तथ्यों के आधार पर जांच चल रही है। दूसरी जांच कफील पर अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार और कर्तव्य पालन में घोर लापरवाही को लेकर की जा रही है। 

यह था मामला

अगस्त, 2017 में गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के बाद डॉ.कफील पर दायित्व न निभाने और ऑक्सीजन की कमी को उच्चाधिकारियों के संज्ञान में न लाने सहित कई आरोप लगाए गए थे। कफील ने खुद की बजाए डॉ.भूपेंद्र शर्मा को वार्ड का प्रभारी बताया तो आरोप लड़खड़ा गए।

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