घर बैठे भी हो जाएगी स्तन कैंसर की जांच, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों ने बनाई खास डिवाइस

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RGA न्यूज़ दुर्गापुर पश्चिम बंगाल

आविष्कार नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों ने बनाई खास डिवाइसबायो सेंसर डिवाइस की कीमत महज 200 रुपये पलभर में बता देगी रक्त में एचईआर-2 एंटीजन की मात्र...

दुर्गापुर:-  नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दुर्गापुर (बंगाल) के छात्रों ने ब्रेस्ट कैंसर डिटेक्शन डिवाइस तैयार की है, जिससे महिलाएं घर बैठे भी रक्त के नमूने से जांच कर सकेंगी। बायो सेंसर आधारित डिवाइस की कीमत महज 200 रुपये होगी।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) के बायो टेक्नोलॉजी और इलेक्टिकल इंजीनियरिंग विभाग के 12 छात्रों की टीम ने एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मोनीदीपा घोष के नेतृत्व में यह डिवाइस तैयार की है। खास बात यह है कि इसका प्रयोग भी आसान है और कीमत भी काफी कम। इस शोध को पूरा करने में भी केवल 10 हजार रुपये ही खर्च हुए हैं। एक साल की मेहनत के बाद तैयार इस डिवाइस को अब पेटेंट कराने की तैयारी हो रही है। छात्रों के अनुसार पेटेंट कराने के बाद इसे बाजार में उतारा जा सकेगा।

डिवाइस में विशेष रसायनयुक्त एक स्टिप लगाई गई है। इस पर रक्त की एक बूंद डालते ही रिपोर्ट सामने होगी। यदि खून में ह्यूमन एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर (एचईआर-2) एंटीजन 15 नैनो ग्राम से अधिक है तो स्तन कैंसर का खतरा है और तत्काल विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेने की जरूरत होगी।

स्तन कैंसर की जांच के लिए एचईआर-2 एंटीजन बायो मार्कर है। किट के डिस्प्ले यूनिट में रक्त में मौजूद एचईआर-2 एंटीजन की मात्र स्क्रीन पर आ जाती है। स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए अब तक महिलाओं को एलाइजा टेस्ट या मेमोग्राफी जांच करानी पड़ती थी। यह डिवाइस आने पर अब उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं होगी। टीम लीडर डॉ. मोनीदीपा घोष ने बताया कि 15 लाख महिलाएं स्तन कैंसर से पीड़ित हैं। कई बार सजग न रहने व जांच में लापरवाही के कारण यह रोग विकराल हो जाता है।

अकसर महिलाएं जांच के लिए लैब जाने में लापरवाही करती हैं। स्तन कैंसर के लक्षणों की जांच में समय भी अधिक लगता है और खर्च भी। आरंभ में रोग की जानकारी हो जाए तो उसका उपचार आसानी से हो सकता है। बस तभी इसे बनाने का ख्याल आया। महिलाओं को घर बैठे ही बीमारी की जांच सुलभ हो, इसे ध्यान में रख डिवाइस बनाने के लिए शोध शुरू किया। करीब एक वर्ष के गहन परीक्षणों के बाद डिवाइस बन गई। इसके परिणाम आशातीत आए हैं। यह शोध अंतरराष्ट्रीय रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हो चुका है। 

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