
RGA न्यूज रामपुर
नगर स्थित सरस्वती विद्या मन्दिर इंटर कॉलेज शिक्षा के क्षेत्र में नित नए इतिहास रचने में लगा है। बीते कई सालों से जनपद की टॉप सूची पर अपना कब्जा कायम कर अपनी एक अलग पहचान इस विद्यालय ने बनायी है। इसके बाद भी प्रबंध समिति और स्टाफ विद्यालय को और भी अधिक संवारने में निरंतर लगे हैं। वर्ष १९९२ में नगर के आर्य समाज मन्दिर के भवन से इस विद्यालय का शुभारम्भ हुआ था।
उस समय यहां रहने वाले एक अध्यापक विजेंद्र लाहौटी की परिकल्पना और स्व. पुरुषोत्तम सरन अग्रवाल व तत्कालीन मंत्री शिव बहादुर सक्सेना के सहयोग से इस की नींव रखी गयी थी। विद्यालय की बारह सदस्यीय समिति के सहयोग से धीरे धीरे बढ़ता वह पौधा आज एक वट वृक्ष के रूप में हमारे सामने है।
इस तरह मेधावियों को तराश रहा यह स्कूलविद्यालय प्रबन्धक योगेश कुमार बंसल ने बताया कि हमारे लिए प्रत्येक विद्यार्थी सामान है। उन्हें संवारने के लिए स्टाफ भरपूर परिश्रम करता है। तीव्र बुद्धि, मध्यम बुद्धि और कमजोर बुद्धि वाले विद्यार्थियों के आधार पर क्रमशः ए, बी और सी श्रेणियां हम बनाते हैं। अर्धवार्षिक परीक्षा तक सी को बी और बी को ए श्रेणी तक लाने पर विशेष बल दिया जाता है।
उसके उपरान्त वार्षिक परीक्षा तक बी को ए व ए को टॉपर बनाने की दिशा में कार्य किया जाता है। यही कारण है कि यह विद्यालय जनपद को सर्वाधिक टॉपर देता है तथा इसके अलावा यहां उत्तीर्ण होने वाले अन्य विद्यार्थियों में अधिकांश ए श्रेणी में ही रहते हैं। इसके अलावा होनहार और कमजोर विद्यार्थियों को अतिरिक्त कक्षा लगा कर भी पढ़ाया जाता है। इसका पूर्ण श्री हमारे आचार्यों को जाता है।
प्रबन्धक ने बताया कि वह स्वयं प्रतिदिन कक्षा में पीछे बैठ कर शिक्षण कार्य देखते हैं। माह के द्वितीय व चतुर्थ शनिवार को आचार्य गण की बैठक ले कर आवश्यक निर्देश देते हैं तथा उनकी समस्याओं का निदान भी किया जता है। अनुशासन है यहां की प्रमुख विशेषताअनुशासन हमारे विद्यालय की प्रमुख विशेषता है।
इसका सम्पूर्ण श्रेय तेरह वर्षों तक यहां पर प्रधानाचार्य पद पर रहे दयालु शरण शर्मा को जाता है, जो हाल ही में यहां से सेवानिवृत्त हुए हैं। कैसी भी परिस्थितियां आयीं, किन्तु अनुशासन और शिक्षण कार्य को ले कर किसी प्रकार का समझौता उन्होंने नहीं किया।