घाटी में राजनीतिक गतिविधियों को बहाल करने के लिए कई कश्मीरी नेता केंद्र के संपर्क में

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RGA न्यूज़ जम्मू कश्मीर श्रीनगर

स्थानीय सियासत में महबूबा और उमर अब्दुल्ला को आप्रसंगिक मानना राजनीतिक अपरिपक्वता साबित हो सकता है।...

श्रीनगर:- केंद्र शासित जम्मू कश्मीर (यूटी) में राजनीतिक गतिविधियों को पूरी तरह बहाल करने के लिए नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस, पीडीपी और पीपुल्स कांफ्रेंस के कई नेताओं के साथ केंद्र ने कथित तौर पर बातचीत का चैनल बहाल कर लिया है। मकसद नया राजनीतिक मंच तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि जम्मू कश्मीर में विधानसभा के गठन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाया जा सके। गत सप्ताह नई दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत दोभाल द्वारा यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों के लिए आयोजित रात्रिभोज में पीडीपी, पीपुल्स कांफ्रेंस, कांग्रेस नेताओं की उपस्थिति महज संयोग नहीं थी, बल्कि इन्हें वहां कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया की बहाली की कवायद के तहत विशेष तौर पर आंमत्रित किया था।

60-65 नेताओं से चल रही बातचीत: सूत्रों की मानें तो नेकां, पीडीपी, कांग्रेस, पीपुल्स कांफ्रेंस समेत विभिन्न दलों के लगभग 60-65 नेताओं के साथ नया राजनीतिक मंच तैयार करने पर केंद्र की तरफ से विभिन्न स्तरों पर बातचीत चल रही है। इन नेताओं में कई पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री भी शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो पीडीपी के पूर्व नेता मुहम्मद अल्ताफ बुखारी, पीडीपी के संरक्षक मुजफ्फर हुसैन बेग, कांग्रेस नेता तारिक हमीद करा, पीडीपी से दो दिन पहले निष्कासित हुए राज्यसभा सांसद नजीर अहमद लावे, पूर्व पीडीनी नेता बशीर अहमद मीर व पूर्व विधायक जहूर अहमद मीर, पूर्व वित्तमंत्री हसीब द्राबु, नेकां के अब्दुल रहीम राथर, नेकां के खलील बंड, पीडीएफ के चेयरमैन व पूर्व विधायक हकीम मोहम्मद यासीन, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी के गुलाम हसन मीर, कांग्रेस के उस्मान मजीद और पीडीपी नेता अब्दुल हक खान के नाम उल्लेखनीय हैं। पीपुल्स कांफ्रेंस के इमरान रजा अंसारी के अलावा श्रीनगर नगर निगम के डिप्टी मेयर शेख इमरान, मुंतजिर मोहिउद्दीन से जम्मू कश्मीर में नए राजनीतिक समीकरणों पर केंद्र के प्रतिनिधियों की कथित तौर पर बातचीत हो चुकी है।

महबूबा को लेकर मतभेद : सूत्रों की मानें तो पीडीपी के नेताओं में महबूबा मुफ्ती के बिना आगे बढऩे को लेकर मतभेद हैं। पीडीपी से निष्कासित नेता चाहते हैं कि महबूबा और उनकी किचन कैबिनेट का हिस्सा रहे कुछ लोगों को दर किनार करते हुए पीडीपी में नए पदाधिकारियों का एलान करने के लिए बैठक बुलाई जानी चाहिए। इसमें आगे की रणनीति का एलान करते हुए कश्मीर को मौजूदा असमंजस के दौर से बाहर निकालने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए। इस गुट का नेतृत्व तथाकथित तौर सईद अल्ताफ बुखारी कर रहे हैं, लेकिन वह खुद इन बातों की पुष्टि करने को तैयार नहीं है।

बुखारी पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में शिक्षा, लोक कार्य और वित्त विभाग में बतौर मंत्री रह चुके हैं। पीडीपी संरक्षक मुजफ्फर हुसैन बेग चाहते हैं कि महबूबा की रिहाई का इंतजार करना चाहिए। बेग अपनी बात के पक्ष में तर्क देते हुए करीबियों से कह चुके हैं कि बेशक जम्मू कश्मीर में अब दो केंद्र शासित राज्यों में बंट चुका है। जम्मू कश्मीर का राजनीतिक परिदृश्य पहले से कहीं अलग है। बावजूद स्थानीय सियासत में महबूबा और उमर अब्दुल्ला को आप्रसंगिक मानना राजनीतिक अपरिपक्वता साबित हो सकता है।

केंद्र द्वारा राजनीतिक प्रक्रिया को बहाल करने की कवायद से जुड़े घाटी से संबंधित वरिष्ठ नेता ने नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि कुछ बड़े नेता चाहते हैं कि अगर महबूबा या उमर के बिना आगे बढऩा है तो तो फिर पीडीपी या नेकां का बैनर नहीं बल्कि कोई नया मंच होना चाहिए ताकि लोगों को यह न लगे कि इनके साथ इनके साथियों ने विश्वासघात किया है। उक्त नेता ने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस का भी एक धड़ा अब्दुल्ला परिवार से बाहर राजनीतिक गतिविधियों की संभावना को तलाशते हुए अपना रास्ता चुनने में जुटा है। सभी नेता ग्रामीण पृष्ठभूमि के हैं। इनमें एक नेता कई बार राज्य मंत्रिमंडल का भी हिस्सा रह चुके हैं। यह अपने युवा पुत्र को सियासत में आगे बढ़ाने के लिए मौका तलाश रहे हैं।

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