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उत्तर बिहार के लोगों के लिए खुशखबरी है। अब उन्हें मुर्गी उत्पादन के लिए दूसरे प्रदेश के चूजे पर निर्भर नहीं रहना होगा। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विवि के पशु शोध संस्थान में हैचरी इकाई (अंडे से चूजा) ने काम करना शुरू कर दिया है। प्रथम चरण में बटेर के अंडे से चूजे का प्रजनन शुरू किया गया है। इसके बाद मुर्गी व बतख के अंडे से चूजा तैयार किया जाएगा। फिलहाल, आंध्र प्रदेश व अन्य जगहों से यहां चूजे लाए जाते हैं जो 25 से 55 रुपए तक के होते हैं। संस्थान के नोडल पदाधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार की मानें तो अब तक करीब एक हजार बटेर के अंडों से चूजे तैयार किए गए हैं। वर्तमान में मदर स्टॉक को बढ़ाने की प्रकिया जारी है। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो तीन-चार माह में यह पूर्ण आकार ले लेगा। इसके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा रहा है।
कैसे होता है कार्य : वैज्ञानिक डॉ. कुमार ने बताया कि इस हैचरी में दो हैचर व दो सेटर हैं। सेटर से एक बार में 17 हजार अंडों से चूजा तैयार करने की क्षमता है। शुरुआती दौर में अंडे को सेटर में रखा जाता है। वहां तापमान, नमी, ऑक्सीजन आदि को नियंत्रित करने के बाद उसे हैचर में स्थानांतरित किया जाता है।
किसानों को क्या मिलेगा लाभ : वैज्ञानिक ने बताया कि हैचरी में मुर्गी, बटेर व बतख के अंडे से चूजों के प्रजनन की प्रक्रिया शुरू की गई है। आरकेवीवाई के तहत इस परियोजना में चूजा उत्पादन के बाद कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों को उपलब्ध कराने की योजना है। साथ ही किसानों खासकर महिलाओं को इससे जुड़ा अति आधुनिक तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा। वैज्ञानिक ने बताया कि विवि के इस परियोजना के पूर्ण कार्यरूप में आने के बाद बाजार से कम कीमत में चूजा उपलब्ध हो सकेगा।